धरती आबा के पदचिन्हों पर चलकर ही शोषण मुक्त झारखंड संभव-काशीनाथ

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। धरती आबा बिरसा मुंडा के व्यक्तित्व और उलगुलान विद्रोह स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में हमेशा एक गौरवशाली अध्याय बना रहेगा। उनके उलगुलान और बलिदान ने ही उन्हें ‘भगवान’ बना दिया। उक्त बातें चांदो प्रखंड निर्माण समिति के अध्यक्ष काशीनाथ केवट ने कही।

केवट 15 नवंबर को अपराह्न बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में चांदो पंचायत भवन में आहूत बिरसा मुंडा की जयंती पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हालात आज भी बिरसा मुंडा के काल खंड जैसा है। अपने मूल स्थान से आज भी आदिवासी मूलवासी खदेड़े जा रहे हैं।

जंगलों के संसाधन तब भी असली दावेदारों के नहीं थे और अब भी नहीं हैं। उन्होने कहा कि 1895 में बिरसा ने अंग्रेजों द्वारा लागू की गयी ज़मींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-ज़मीन और सूदख़ोरी महाजनी प्रथा के ख़िलाफ़ विद्रोह किया था।

यह मात्र विद्रोह नहीं बल्कि आदिवासी अस्मिता, स्वायतत्ता और संस्कृति को बचाने के लिए संग्राम था। इसलिए शोषणमुक्त समाज बनाने के लिए धरती आबा के पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लेना अति आवश्यक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मुखिया राजेन्द्र नायक ने किया, जबकि संचालन सामाजिक कार्यकर्ता जनक प्रसाद भगत ने किया। राजेन्द्र नायक और जनक भगत ने कहा कि बिरसा मुंडा के सपनों का झारखंड अब तक अधूरा है। सरकारों ने केवल झारखंड के संसाधनों का दोहन करने का काम किया है।

उन्होंने बिरसा मुंडा के विचारों को जनजन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। बिरसा मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उपस्थित लोगों ने श्रद्धांजलि दी।

यहाँ उपरोक्त के अलावा कुलदीप सिंह, अमर सिंह, रोहित मुर्मू, राजकुमार टुडू, सिकंदर भुइयां, सीताराम नायक, राजेश कुमार नायक, श्यामलाल मांझी, गोविंद मुर्मू, संजय मांझी, रामटहल नायक, उदय सिंह, पंचायत सचिव निशांत अम्बस्ट, एएनएम प्रभारी नीलम कुजूर, एएनएम मुक्ता कुमारी, सहिया गीता देवी, सीताराम मांझी, सोमनाथ रजक, विश्वनाथ नायक, चुनीलाल केवट, राजेन्द्र सिंह आदि ने भी विचार रखे।

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