चुनाव बाद कहीं नोकझोंक, कहीं खुशियों की बल्ले-बल्ले

संतोष कुमार/वैशाली (बिहार)। दूसरे चरण का पंचायत चुनाव सम्पन्न होने के बाद वैशाली जिला के हद में हाजीपुर प्रखंड क्षेत्र (Hajipur block Area) में कहीं आपसी नोकझोंक तो कहीं बिजयी उम्मीदवारों की बल्ले-बल्ले हो रहा है। कहीं जश्न सा माहौल भी देखा गया।

हाजीपुर प्रखंड की पंचायतों में शामिल दयालपुर पंचायत में भी चुनाव के पहले सियासी मिजाज वाले लोग काफी उत्साह में दिख रहे थे। चुनाव बाद भी उनमें से कुछ का उत्साह बरकरार रहा। कुछ प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को घोर निराशा हांथ लगी, जब उनके समर्थित प्रत्याशी के हार की सूचना मिली।

खास यह कि इस बार के पंचायत चुनाव में एक से एक स्थानीय राजनीति के दिग्गज मैदान में डटे थे। मुखिया पद के लिए खास मुकाबला तत्कालीन मुखिया रिंकू देवी और महिला प्रत्याशी इंदु देवी के बीच रहा। ऐसे भी इन्हीं दोनों के बीच के मुकाबले पर पंचायत में आम नजर खास बनी हुई थी।

जिसकी बानगी इंदु देवी की जीत के बाद दिखी भी। उनकी जीत के बाद ऐसे तो उनके परिजनों खासकर पति नागेश्वर पासवान समेत अन्य को बेहद उत्साहित देखा गया। साथ ही उनके समर्थकों ने भी प्रत्याशी पति के आग्रह के बाबजूद खूब उत्साह भरा शोर मचाया। पूरे पंचायत में जिसकी चर्चा भी काफी तेज हुई। हालांकि आमजन इसे परम्परा के तहत ही स्वीकार करते दिखे।

मालूम हो कि पिछले चुनाव में इस घर से रहे मुखिया उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार जीत हुई। उधर मुखिया रिंकू देवी को निराश होना पड़ा और उन्हें अपना पद गवाना पड़ा। दोनों महिला उम्मीदवारों को अपनी सीट से बड़ी उम्मीदें थीं।

वहीं थाथन बुजुर्ग पंचायत में हिंसक प्रतिक्रिया का दौर चला। कई राउंड फायरिंग एक-दूसरे पर की गई। मालूम हो कि विरोधी पक्ष की चुनाव में जीत के बाद हो रही आतिशबाजी का परिणाम रहा कि उन पर गोलियां चलाई गई।

सुनी सुनाई बातें इस रूप में चर्चा में रही कि अगर जीत के बाद हर्ष आतिशबाजी नहीं की गई होती तो सद्भावना से पर्दा नहीं उठ पाता। पुलिस को घटना की सूचना मिली और पुलिस एक्शन में आयी तथा पुलिस वहां विधि सम्मत कार्रवाई को आगे बढ़ाने में जुट गयी है।

इस बार दयालपुर वार्ड छह के नतीजों को लेकर बेहद कौतूहल भरा माहौल देखने को मिला। दयालपुर पंचायत की चुनावी परम्परा बरकरार रही। नतीजों के बाद सभी एक दूसरे से सद्भाव जताने में जुट गए। वार्ड छह दयालपुर पंचायत में त्रिकोणीय संघर्ष रहा। जीत का सेहरा समाजसेवी सह युवा प्रत्याशी कृष्ण कुमार के सिर बंधा।

उधर समाजसेवी मुकेश कुमार और उम्मीदवार संतोष कुमार दोनों को निराश होना पड़ा। प्रत्याशी कृष्ण कुमार ने 32 वोटों से जीत हासिल किया। उधर प्रत्याशी मुकेश कुमार को 155 मतदाताओं ने पसंद किया। तीसरे प्रत्याशी संतोष कुमार को काफी कम लोगों ने वोट किया।

वे तीन दर्जन से कम पर ही सिमट गए। ग्राम की पुरानी चली आ रही परम्परा के मुताबिक ही इस बार भी जीते हुए सभी प्रत्याशियों ने काफी सद्भावना के साथ जनता से आशीर्वाद मांगा और आगे जनकल्याण से जुड़े कार्यों के आशीर्वाद की उम्मीद भी जताई।

वहीं भाजपा के सिपहसालार कुमार प्रभाकर जिन्हें चुनावी जंग का समझदार योद्धा माना जाता है, जैसा कि पंचायत वासियों ने बताया उन्हें मात्र पांच वोट की कमी ने निराश किया। उनके समर्थकों ने बताया कि यह नतीजा उनके उत्साह को कम नहीं करने वाला। इसकी गहन समीक्षा होगी और आगे किसी भी चुनाव में रणनीतियों में अच्छे परिवर्तन किए जाएंगे।

उन्होंने भी सद्भावना के साथ जनता का आभार प्रकट किया। प्रत्याशी रहे युवक कृष्ण कुमार ने भी गांव की महत्तवपूर्ण संस्कृति और परंपरा को जीवन्त बनाते हुए सबों से आशीर्वाद की अपेक्षा की।

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