विजय कुमार साव/गोमियां(बोकारो)। गोमियां प्रखंड (Gomian Block) के हद में मजदूर संगठन एक्टू ने लालपनियां में पीट मीटिंग कर केंद्र सरकार (Cantral Government) ( द्वारा लाई गई चार लेबर कोड बिल की प्रतियां जलाई।
एक्टू से संबद्ध झारखंड जनरल मजदूर यूनियन शाखा तेनुघाट थर्मल पॉवर स्टेशन लालपनियां में 1 अप्रैल को प्रशासकीय भवन के प्रथम गेट के समीप पीट मीटिंग कर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार लेबर कानून जो मजदूर विरोधी बताया जा रहा है की प्रतियां जलाकर केंद्र सरकार के विरोध में नारेबाजी की। यूनियन के ललपनियाँ शाखा सचिव सुरेंद्र प्रसाद यादव ने पीट मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार किसानों के ऊपर हमला करने के बाद अब मजदूर वर्ग पर चार लेबर कोड कानून लागू करने जा रही है। इनमें मुख्य रूप से वेतन कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड, औद्योगिक संबंधित कोड, कार्यस्थल सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सेवा शर्तें सम्मिलित है। यादव ने कहा कि 29 श्रम कानूनों को खत्म कर, चार नए लेबर कोड श्रम संहिता में बनाई गई है। इसके तहत भारत में बाल श्रम कानूनी हो गया है और ठेकेदारी प्रथा अब गैरकानूनी नहीं रहा। उन्होंने कहा कि बोनस एक्ट खत्म होने के साथ मालिकों की मजबूरी भी खत्म हो गई। सबसे अहम बात यह है कि 8 घंटे काम के अधिकार को खत्म कर मालिकों को ओवरटाइम लगाने की अनिवार्यता की इजाजत दे दी गई है। महिलाएं अब रात्रि पाली में असुरक्षित स्थिति में काम करेगी।
यादव ने कहा कि पूंजीपतियों के अत्याचार के समक्ष हड़ताल मजदूरों का सबसे बड़ा हथियार होता है। औद्योगिक कोड के जरिए मजदूरों के हड़ताल के अधिकार पर सबसे बड़ी चोट की गई है। देखा जाए तो मजदूरों के हड़ताल करने का अधिकार को समाप्त कर दिया गया है। अध्यक्ष उमेश राम ने कहा कि मोदी सरकार पूंजीपतियों के पक्ष में लगातार कानून बना रही है। किसानों को गुलाम बनाने के लिए कृषि कानून लाई गयी है। अब चार लेबर कोड को लाकर मजदूरों के अधिकार पर डाका डालने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी की समस्या चरम पर है। इस कानून के बन जाने से कंपनियां एवं उद्योगपति अपने मन मुताबिक छटनी करने का अधिकार प्राप्त कर लेगी। इन बदलावों से बड़े स्तर पर आर्थिक एवं सामाजिक तनाव पैदा होगा। मजदूरों के रोजगार और सामाजिक सुरक्षा दोनों खत्म हो जाएंगे। मौके पर सामुदास मुंडा, लालू महतो, महेश साव, रामू यादव, परमेश्वर महतो, अमजद अंसारी, नागेश्वर दूरी, धनेश्वर प्रजापति, अर्जुन हांसदा आदि सैकड़ों मजदूर उपस्थित थे।
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