कोरोना को स्कैम ना समझें लोग: अकबर हुसैन राजू

आनंद मिश्र/ मुंबई। कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे योद्धाओं का जब भी नाम लिया जाएगा तो उसमें अकबर हुसैन “राजू” का नाम बेशक सबसे आगे आएगा। कांग्रेस वाहतूक सेना के अध्यक्ष रह चुके अकबर हुसैन (Akbar Hussain) ऐसे जांबाज समाज सेवक हैं जो चेंबूर के चीता कैम्प एरिया मे अपना सब कुछ दाव पर लगा कर… बिना किसी उम्मीद के दिन-रात कोरोना प्रभावितों की सेवा में जुटे हैं और जररूतमन्दों की आउट ऑफ द वे जाकर भी मदद कर रहे हैं। खुद उनके घर वाले कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं, फिर भी वे आसपास के लोगों के लिए मसीहा बने हुए हैं। जगत प्रहरी संवाददाता आनंद मिश्र ने अकबर हुसैन से बात की। प्रस्तुत है मुख्य अंश:

सवाल: आपके एरिया में कोरोना की क्या स्थिति है ?
जवाब: स्थिति काफी विकट है। ओवर कान्फिडेन्स में लोग यह मानने को तैयार ही नहीं है कि कोरोना जैसी कोई वायरस जनित घातक बीमारी है जिससे बचा जाना चाहिए। समझ में नहीं आता कि लोग इसे सीरियसली क्यों नहीं ले रहे हैं। कुछ लोग तो इसे अफवाह मानकर धड़ल्ले से बाहर घूमते हैं और बाद में पता चलता है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। मेरी दिक्कत यह है कि सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए मैं अभी कोई मीटिंग भी नहीं ले सकता। इसलिए मैं बार-बार अपनी जान पहचान के लोगों और आम जनता से अपील करता हूं कि वे अभी से ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

सवाल: सुनने में आया है कि बीएमसी ने क्वॉरन्टीन सेंटर हेतु आपको एक स्कूल दे दिया है..
जवाब : जी सही सुना है आपने। चीता कैम्प (Chitah camp) एरिया में कंजेशन और कोरोना के इन्फेक्शन को देखते हुए एक क्वॉरन्टीन सेंटर बनाने की जरूरत बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही थी। इसलिए मैंने अपने एनजीओ मुक्ति वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से बीएमसी (BMC) से दरख्वास्त की थी कि वह बगल के शाजी नगर उर्दू स्कूल को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील करने की परवानगी दे। मैं शुक्रगुजार हूं अधिकारियों का कि उन्होंने इसकी परमिशन दे दी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि वह सिर्फ एक डॉक्टर दे सकते हैं और बाकी का अरेंजमेंट जैसे कि बेड्स, बेडशीट्स, पेशंट का खाना पीना, तीन वक्त गर्म पानी आदि जैसे लॉजिस्टिक मुझे ही उपलब्ध कराने होंगे। मैंने हां कर दी और आज की तारीख में स्कूल क्वॉरेंटाइन सेंटर के लिए तैयार है।

सवाल: इसके अलावा और क्या किया आपने ?
जवाब : इसके अलावा जब से यह महामारी का प्रकोप फैला है, मैंने हजारों की तादाद में जरूरतमन्द लोगों को राशन किट मुहैया कराया है और साथ ही साथ मैंने दो सैनिटाइजर मशीन अपनी जेब से खर्च कर मंगाई है। जब भी कोई मुझे कॉल करता है या मुझे पता चलता है कि अमुक एरिया से कोई व्यक्ति पॉजिटिव निकला है तो मैं वहां इस सैनिटाइजिंग मशीन को भेजकर डिसइन्फेक्शन का प्रोग्राम चला रहा हूं। मैं दावा तो नहीं करता परंतु मुझे पूरी उम्मीद है इससे कोरोना के फैलाव में रोकने में काफी मदद मिली है।

सवाल: एमपी और एमएलए कैसा काम कर रहे हैं ?
जवाब: यहां के एमपी और एमएलए क्या कर रहे हैं, इसका जवाब देने में काफी तकलीफ हो रही है। यहां के चुने हुए एमपी, एमएलए और नगरसेवक पिक्चर से गायब हैं। आप खुद ही देख लीजिए। आसपास के लोग मुझे अपनी समस्याएं लेकर कॉल कर रहे हैं या अपनी समस्याएं सुनाते हैं। आप किसी से भी पूछ लीजिए।

सवाल: और बीएमसी के कामकाज को कैसे देखते हैं आप ?
जवाब: बीएमसी की भी अपनी सीमाएं हैं। कई मामलों में बीएमसी भी हमारे ऊपर ही डिपेंड है, जिसके पास न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और ना ही पर्याप्त मात्रा में लॉजिस्टिक्स सप्लाई कर सकने की क्षमता। ऐसे में हमारे जैसे एनजीओ का काम बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है। सिर्फ दिक्कत यही है कि बीएमसी या हमारी सेवाओं के अलावा आम जनता भी हमें मनमाफिक सहयोग नहीं दे रही है। ज्यादा से नहीं तो कम से कम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें।

सवाल: आप क्या अपील करना चाहेंगे लोगों से ?
जवाब: लोग इस बीमारी से डरें नहीं पर सावधानी अवश्य बरतें। जैसा कि मैंने पहले कहा कि लोग इसे सीरियसली नहीं लेकर इधर उधर घूम रहे हैं। मैं उनसे जब भी मुख्तलिफ होता हूं तो यही गुजारिश करता हूं कि ऐसा ना करें और अपने साथ ही साथ अपने घर वालों की जिंदगी भी संकट में ना डालें। मेरा मानना है कि लोग जल्द ही हम कोरोना से जंग जीतने में कामयाब होंगे और पुराने खुशहाली एक बार फिर वापस लौटेगी।

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