फाइलेरिया मुक्त जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। फाइलेरिया मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने में जन समुदाय की भागीदारी जरूरी है। फाइलेरिया से बचाव के लिए सभी को दवा खाना है। सारण जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाना है।
उक्त बातें सारण के जिलाधिकारी (डीएम) अमन समीर ने 10 फरवरी को छपरा सदर अस्पताल में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरूआत करते हुए कही।
जिलाधिकारी ने सर्वप्रथम खुद फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया। उसके बाद सभी उपस्थित पदाधिकारियों और कर्मियों को दवा खिलायी गयी। इस दौरान डीएम ने हरी झंडी दिखाकर फाइलेरिया मुक्त जागरूकता रथ को रवाना किया।जागरूकता रथ के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में फाइलेरिया से बचाव तथा दवा सेवन के प्रति आमजनों को जागरूक किया जायेगा।
इस अवसर पर डीएम अमन समीर ने कहा कि फाइलेरिया पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान शुरू किया गया है। जिसमें घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलायी जाएंगी। कहा कि जिला को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि आम जनता को जागरूक किया जाए। जैसे पोलियों का उन्मूलन जागरूकता से हुआ। इसी तरह से इसका भी होगा।
उन्होंने कहा कि फाइलेरिया एक भयावह बीमारी है, जिसके लक्षण कई साल के बाद दिखाई देता है। जिसका कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी का बचाव ही एक उपाय है। इसलिए सभी फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन अवश्य करें। डीएम ने कहा कि यदि इस अभियान में मीडिया अपनी सकारात्मक पहल से समाज में जागरूकता फैलाए तो निश्चित तौर पर सारण से फाइलेरिया का उन्मूलन पूरी तरह से संभव है। क्योंकि समाज जब जागरूक होगा तब यह संभव है कि वर्ष 2027 तक जिले को फाइलेरिया मुक्त किया जा सकेगा।
मौके पर सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, डीएमओ डॉ दिलीप कुमार सिंह, डीएस डॉ आरएन तिवारी, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीवीबीडीसी सुधीर कुमार, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद, पिरामल के डिस्ट्रिक्ट लीड हरिशंकर कुमार, प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक, यूनिसेफ के एसएमसी आरती त्रिपाठी, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, वीडीसीओ मीनाक्षी कुमारी, वीडीसीओ सुमन कुमारी समेत अन्य मौजूद थे।
जिले के 37.92 लाख आबादी को खिलायी जायेगी फाइलेरिया से बचाव की दवा
इस अवसर पर जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि सारण जिला में 37 लाख 92 हजार 159 रहिवासियों को दवा खिलायी जायेगी। अभियान के दौरान जिले में 5 लाख 88 हजार 834 घरों को लक्षित किया गया है। दवा खिलाने के लिए 1884 टीम गठित किया गया है। 3357 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर, 179 सुपरवाइजर लगाये गये है।
कहा कि 17 दिनों तक यह अभियान चलेगा। शुरूआती तीन दिनों तक बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी। निजी और सरकारी विद्यालयों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, चौक-चौराहा, पंचायत भवन, सरकारी कार्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, पीएचसी, सीएचसी और स्वास्थ्य केंद्रों में बूथ लगाकर दवा खिलायी जायेगी।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि अभियान के दौरान दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से जूझ रहे रहिवासियों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन नहीं कराया जाएगा। इनके अलावा सभी उम्र के लाभुकों को उम्र और लंबाई के हिसाब से दवाओं का सेवन कराया जाएगा। डॉ दिलीप ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन सभी के लिए लाभप्रद है।
आम जन खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें। कभी-कभी खाली पेट दवा खाने से भी कुछ समस्याएं होती हैं। कहा कि आम जनों में फाइलेरिया की दवा सेवन के साइड इफेक्ट के बारे में कुछ भ्रांतियां हैं, जिसे दूर करने की सख्त जरूरत है। फाइलेरिया की दवा सेवन से जी मतलाना, हल्का सिर दर्द व हल्का बुखार हो सकता है जो शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी के मरने के कारण होता है। इसलिए दवा सेवन से किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट मरीज के हित में ही है। हालांकि, इसके लिए जिले के सभी प्रखंडों में क्यूआरटी का गठन किया गया है।
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि इस अभियान में जन-सहभागिता जरूरी है। कहा कि फाइलेरिया यानी हाथी पांव एक ऐसी बीमारी है, जो एक बार हो जाये तो आपको जीवन भर के लिए दिव्यांग बना देती है। हाथी पांव का इलाज संभव नहीं है। ऐसे में सभी से अपील है कि दवा स्वयं खायें और अपने परिवार के सभी सदस्यों को खिलायें। तभी फाइलेरिया मुक्त जिला का सपना साकार हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि सर्वजन दवा सेवन अभियान की मॉनिटरिंग मोबाइल ऐप के माध्यम से की जायेगी। इसके साथ हीं प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है, ताकि कहीं भी कोई प्रतिकूल प्रभाव सामने आने पर तुरंत रिस्पांस किया जाये। इसके साथ हीं सुपरविजन के लिए अलग-अलग टीम गठित की गयी है, जो क्षेत्र में जाकर अभियान के दौरान अनुश्रवण करेगी। कहा कि इस अभियान के दौरान तीन तरह की दवा खिलायी जायेगी। जिसमें डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन की गोली शामिल है। आइवरमेक्टिन दवा हाइट के अनुसार देना है।
90 से 119 सेमी लंबाई वाले को एक गोली, 120 से 140 सेमी लंबाई वाले को 2 गोली, 141 से 158 सेमी वाले को 3 गोली और 159 सेमी से ज्यादा चाहे जितना भी हो उसे 4 गोली देनी है। वहीं 2 से 5 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की एक गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग को डीईसी की दो गोली और अल्बेंडाजोल की एक गोली, 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले को 3 डीईसी और एक अल्बेंडाजोल की गोली देनी है।
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