सारंडा के बाईहातु में मनाया गया 73वां वन महोत्सव

सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला (West Singhbhum District) के हद में सारंडा वन प्रमंडल एवं टीएसएलपीएल (TSLPL) खदान प्रबंधन के संयुक्त तत्वाधान में 30 जुलाई को सारंडा के बाईहातु गांव में 73वां वन महोत्सव मनाया गया।

महोत्सव का उद्घघाटन बतौर मुख्य अतिथि जिला परिषद उपाध्यक्ष रंजीत यादव, सारंडा डीएफओ चन्द्रमौली प्रसाद सिन्हा, आईएफएस पदाधिकारी प्रजेश कांत जेना ने संयुक्त रूप से किया।

जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम में राज्य के मंत्री जोबा माझी कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भाग लेने वाली थी, लेकिन वे अपनी व्यस्तता के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकी। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित गणमान्य जनों ने अपने-अपने विचार रखे और पौधरोपन किया।

इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि जिला परिषद उपाध्यक्ष रंजीत यादव ने कहा कि हमारे जीवन का मुख्य आधार जंगल व पर्यावरण है। हम सभी प्रण लें कि न सिर्फ जंगल की रक्षा करेंगे, बल्कि तमाम खाली स्थानों को वृक्षारोपण कर हरा भरा कर देंगे।

उन्होंने कहा कि वन विभाग एवं तमाम खदान प्रबंधन बेरोजगारों को वन आधारित रोजगार दें, ताकि वह पलायन नहीं करें। सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ चन्द्रमौली प्रसाद सिन्हा ने कहा कि पूरे भारत में 1540 वर्ग किलोमीटर वन बढ़ा है जो हर्ष की बात है। झारखंड में कुल 110 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है, जिसमे पश्चिमी सिंहभूम में 2.32 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।

डीएफओ ने कहा कि यह सफलता वन विभाग के अलावे तमाम संस्थानों, जनता के संयुक्त प्रयास से संभव हो सका है। सभी के सहयोग से सारंडा वन क्षेत्र को सघन वन में परिवर्तित करने का कार्य किया जा रहा है।

खादानों से मिट्टी व मोरम के बहाव को रोकने हेतु कैट प्लान का गठन किया गया है। उन्होने बताया कि हमारी पूरी कोशिश होगी कि वनोपज से नए अवसर सृजन कर युवा ग्रामीणों को पलायन से रोका जा सके।

टीएसएलपीएल खदान के एजेंट राहुल किशोर ने कहा कि कंपनी हमेशा से हीं वन एवं पर्यावरण तथा इसमें निवास करने वाले तमाम प्रकार के वन्य प्राणियों तथा रहिवासियों की रक्षा के प्रति गंभीर रहा है। इसी के तहत ग्रामीणों व व्यापक समाज को जागरुक करने का कार्य के साथ-साथ पौधारोपण किया जा रहा है।

आईएफएस प्रजेश कांत जेना ने कहा कि सारंडा जंगल एवं यहाँ की नदी-नाला, झरने की चर्चा पूरे विश्व में होती है। इस प्राकृतिक धरोहर व पर्यावरण को बचाना है। उन्होने बताया कि हमारी पूरी दिनचर्या ही वन संसाधन पर निर्भर होती जा रही है।

हम सुबह दातुन से लेकर रात सोने के चटाई अथवा पलंग, दीवान का उपयोग करते है। इसमें कही न कही हम प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से वनों पर ही निर्भर है।

इस दौरान उपरोक्त के अलावा गुवा के रेंजर ए के त्रिपाठी, टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट के देबाशीष मुखर्जी, देवाशीष दास, छोटानगरा थाना प्रभारी उमा शंकर वर्मा, छोटानगरा मुखिया मुन्नी देवगम, प्रमुख गुरुवारी देवगम, प्रभारी वनपाल शंकर कुमार पांडेय, सनोज कुमार, आदि।

कमल कृष्ण महतो एवं समता, गुवा, सासंगदा व कोइना के सभी वनरक्षी और मुंडा कानुराम देवगम, मुंडा जामदेव चाम्पिया, मुंडा रोया सिद्धू, मुंडा बिनोद बारीक, मुंडा पाईकरा देवगम, मान सिंह चाम्पिया आदि दर्जनों ग्रामीण रहिवासी मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन निर्मल महतो ने किया।

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