लेखक किसी भी सिनेमा का जनक होता है-राजन कुमार

मुम्बई में स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन की 65वीं वार्षिक मीटिंग में राजन कुमार ने कई दिग्गज लेखकों से राइटर्स की महत्ता पर की चर्चा

युधिष्ठिर महतो/धनबाद (झारखंड)। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बीते 17 जुलाई को मुम्बई के सेलिब्रेशन क्लब (Celebration Club) में स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन (SWA) की 65वीं एनुअल जेनरल बॉडी मीटिंग का आयोजन किया गया।

जहां हीरो राजन कुमार ने बॉलीवुड के कई दिग्गज लेखकों और एसडब्लूए के कई पदाधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने फिल्मों में लेखकों की महत्ता पर घंटो विचार विमर्श किया।

उन्होंने चर्चित हिंदी सिनेमा आशिकी, बाजीगर, साथी, सड़क, जुनून, अतिथि तुम कब जाओगे, अंदाज़, कोई मिल गया, ओमकारा, गजनी, कृष 3 सहित कई फिल्मों के लेखक रॉबिन भट्ट से भेंट की और स्क्रीन राइटिंग के विषय और सिनेमा में राईटर के योगदान पर चर्चा की।

गुलाम, कच्चे धागे, अपहरण, राजनीति जैसी फिल्मों के लेखक अंजुम रज्जब अली और स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी दानिश जावेद के साथ भी राजन ने मुलाकात की और पटकथा लेखन के विषय पर बातचीत की।

शुरू से राजन कुमार का मानना रहा है कि सिनेमा का जनक लेखक होता है। इसलिए लेखकों का विशेष सम्मान होना चाहिए। उन्हें क्रेडिट भी मिलना चाहिए और उनकी मेहनत का उचित पारिश्रमिक भी मिलना चाहिए। समय बदला और बदल रहा है। अब लेखकों को अलग नजरिये से देखा जाने लगा है। सलीम जावेद ने लेखकों की अहमियत को दर्शा दिया। साबित कर दिया था। उसी परम्परा को आगे बढाने की आवश्यकता है।

वर्षों से एसडबल्यूए के रेगुलर मेम्बर रहे राजन कुमार ने आगे कहा कि स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन की स्थापना को 65 साल हो गए हैं। भारतीय फिल्म टीवी लेखकों को भी उनका हक मिलने लगा है।

अगर आप एसोसिएशन के सदस्य हैं और अपने वर्क को रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो आपकी रचना की चोरी होने की आशंका भी नहीं होगी। यदि चोरी अथवा कॉपी की जाती है तो एसोसिएशन इस मामले में आपके अधिकार के लिए लड़ता है।

राजन कुमार ने बताया कि एक तरफ जहां मुम्बई में लगातार जोरों की बारिश हो रही है, वहीं कोरोना काल के बाद इस तरह का आयोजन कहीं न कहीं जीवन को फिर से पटरी पर लाने का एक संकेत है। इस मीटिंग को अटेंड करने के बाद राजन कुमार पुणे के दौरे पर चले गए हैं, जहां वे एक समारोह को एंकर के रूप में होस्ट करेंगे।

आपको बता दें कि राजन कुमार एक उम्दा लेखक, कवि, गीतकार हैं। साहित्य से उनके गहरा नाता रहा है।लेखक के रूप में उनकी बाल कविताओं के दो संग्रह “हंसता बचपन” और “अंकुर” पाठकों के सामने आकर लोकप्रिय रहा है। उन्होंने नमस्ते बिहार और “शहर मसीहा नहीं” जैसी हिंदी फिल्मों में गाने भी लिखे हैं। मशहूर जर्नलिस्ट, शायर, गीतकार गाज़ी मोईन से उन्होंने उर्दू भाषा भी सीखी है।

हाल ही में राजन कुमार को विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा भारत गौरव सम्मान से नवाजा गया था। बिहार के मुंगेर यूनिवर्सिटी ने उनपर लिखी कविता के लिए उन्हें सम्मानित किया। अब हीरो के तौर पर राजन कुमार को आगामी 27 जुलाई को पटना के साइंस सेंटर में होने जा रहे भव्य समारोह में कलाम यूथ लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा।

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