लोक आस्था का केंद्र बनता जा रहा है भुइयां बाबा की पूजा

एस. पी. सक्सेना/वैशाली (बिहार)। यूँ तो हमारे देश में पौराणिक काल से हीं अनेको देवी-देवताओ की पूजा की जाती रही है। लोकोक्ति के अनुसार हमारे देश में छत्तीस कोटि देवी देवता पूजे जाते रहे हैं। यह स्थान, प्रदेश और परिवेश पर आधारित रहा है। इसी कड़ी में उत्तर बिहार में इनदिनों पूर्व काल से पशु देवता के रूप में भुइयां बाबा की पूजा की जाती रही है।

बताया जाता है कि अब भुइयां बाबा का पूजा भी समय और परिवेश के साथ बदलने लगा है। पूर्व में जहां पशु के बीमार होने अथवा गर्भ धारण नहीं करने के कारण श्रद्धालू बाबा भुइयां से पशु के ठीक होने अथवा गर्भ धारण करने पर पूजा कराने की मनौती मानते थे। धीरे धीरे यहां के रहिवासियों की इसमें आस्था बढ़ता गया।

अब श्रद्धालू पशु के अलावा पारिवारिक सदस्य के स्वस्थ होने की कामना को लेकर भी मनौती मानने लगे हैं। खासकर यह पूजा उत्तर बिहार के वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर आदि जिलों में विशेष रूप से प्रचलित हैं। इसके अलावा मुंगेर, सहरसा, बेगूसराय, दरभंगा, छपरा, सिवान, पटना आदि क्षेत्रों में भी मनाया जाने लगा हैं।

ज्ञात हो कि भुइयां बाबा की पूजा में बाबा बकतौर, बाबा बसावन और माता गहिल की आराधना की जाती है। बाबा भुइयां का एकमात्र मंदिर वैशाली जिला के हद में राजापाकर थाना क्षेत्र के बसौली नामक गांव के भुइयां स्थान में स्थापित है।

बाबा भुइयां की बढ़ती लोक आस्था का प्रमाण एक जून को हाजीपुर सदर प्रखंड के हद में बिष्णुपुर तीतीढ़ा में देखने को मिला। यहां अर्ध रात्रि तक श्रद्धालू व् पुजारी पूजन कार्य में मशगुल रहे।

लगभग 72 वर्षीय स्थानीय रहिवासी जितेंद्र शुक्ला के अनुसार जब वे दशवी बोर्ड की परीक्षा दी थी तब उनके पिता स्व. हरदेव शुक्ला द्वारा परीक्षा अच्छे अंको से पास होने पर मनौती भुइयां बाबा के पूजा करने की मान ली थी। उसी मनौती को पुरा करने के लिए वे उक्त पूजा करा रहे हैं।

उक्त पूजा को संपन्न करा रहे बिदुपुर गणिनाथ के पुजारी विनोद सिंह के अनुसार वे जब आठ साल के थे तभी से इस पूजा को जगह जगह जाकर करा रहे हैं। पुजारी के अनुसार वे पिछले 22 वर्षो से लगातार भुइयां बाबा की पूजा करा रहे हैं। जिसमें वे मुख्य रूप से बाबा की शक्ति की आराधना करते रहे है।

खास यह कि इस पूजा में मुख्य रूप से मानर वाद्य का प्रयोग किया जाता है। पूजा के दौरान तितरा निवासी दिनेश राम तथा समस्तीपुर जिला के हद में जौनपुर निवासी रितलाल जहां मानर बजाने के साथ साथ बाबा बखतौर, बाबा बसावन तथा मईया गहिल के जयकारा और गीत बीच बीच में प्रस्तुत कर रहे हैं, जबकि महनार रोड के कचनापुर धरमपुर के समीप स्थित माइल पकड़ी निवासी दिनेश राम इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं।

 268 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *