वाडिया के डॉक्टरों ने बच्चे को दी नई जिंदगी

8 घंटे चला मासूम के मस्तिष्क का ऑपरेशन

प्रहरी संवाददाता/ मुंबई। महज 4 माह के मासूम बच्चे की मस्तिष्क की सर्जरी कर वाडिया अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे नई जिदंगी दी है। दरअसल जन्म से ही बच्चे का सिर खुला हुआ था, जिसके कारण उसका मस्तिष्क बाहर निकला हुआ था। डॉक्टरों ने समय पर सर्जरी कर बच्चे को इस रोग से मुक्त करा दिया। आंकड़ों के मुताबिक दस हजार में से किसी एक को ही होती है ऐसी बीमारी।

बताया जाता है कि महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले धनाजी पुत्रों गांव के रहने वाले किसान सुरेश कुटा पवार के महज 4 माह का बेटा जन्म से ही एन्सेफेलोसेल डिसऑर्डर नामक बीमारी से ग्रस्त था। यह बीमारी जन्मजात विकृति है, जिसमें भ्रूण के विकास के दौरान खोपड़ी पूरी तरह से बंद नहीं होती है।

अनुभवी डॉक्टरों का मानना है की यह बीमारी दस हजार नवजात शिशुओं में से 1 को ही होती है। यह बीमारी फोलिक एसिड की कमी और अनुवांशिक कारणों से बच्चे में उतपन्न होती है। इस बीमारी के कारण मासूम को दूध पीने और सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।

इस बीमारी की पुष्टि होने के बाद स्थानीय डॉक्टरों ने बच्चे को वाडिया अस्पताल में रेफर किया। वाडिया अस्पताल (Wadia Hospital) के अनुभवी न्यूरोसर्जन डॉ. चंद्रशेखर देवपुजारी ने कहा की जब बच्चे को इलाज के लिए लाया गया था, तब उसकी नाक और आंखें सूज गई थीं। जांच के बाद बच्चे में एन्सेफेलोसेले नामक बीमारी की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया की बच्चे का दिमाग थैली की तरह नीचे था। ऐसे में हमने बच्चे की सर्जरी करने का निर्णय लिया। बच्चे पर क्रोनियोटॉमी प्रक्रिया की गई।

इस प्रक्रिया में खोपड़ी को खोलकर चेहरे पर मस्तिष्क के हिस्से को सही जगह पर स्थापित किया गया। सर्जरी करीब 8 घंटे तक चली। ऑपरेशन के बाद बच्चे को दो दिन तक आईसीयू में रखा गया था। इसके बाद उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया। यदि ऑपरेशन सही समय पर नहीं होता तो बच्चे की जिंदगी को खतरा और भी बढ़ सकता था। बच्चों को यह बीमारी न हो इसके लिए गर्भवती माताओं को फोलिक एसिड की दवाओं का सेवन करना जरूरी है।

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