एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के हेमंत सरकार का प्रस्ताव बर्दाश्त नहीं-विजय शंकर नायक

दलित आदिवासी समाज के सुरक्षा कवच के रूप में एससी-एसटी एक्ट

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने एसटी- एससी एक्ट की जांच दरोगा एवं इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी के द्वारा किए जाने के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए 22 नवंबर को कहा कि दलित आदिवासी समाज के सुरक्षा कवच के रूप में एससी-एसटी एक्ट। इसलिए एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के हेमंत सरकार का प्रस्ताव बर्दाश्त के बाहर है।

नायक ने साफ शब्दों में कहा कि एसटी-एससी एक्ट का सुपरविजन करने का अधिकार पूर्व में डीएसपी एवं वर्तमान में भी डीएसपी को हीं है। ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा किस परिस्थिति में इंस्पेक्टर एवं दरोगा से सुपरविजन करने का प्रस्ताव कैबिनेट में रख रहे हैं। यह समझ से परे है।

कहा कि मै कड़े शब्दों में इस प्रस्ताव की निंदा करता हूँ। साथ ही साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से यह मांग करता हूं कि वह एसटी/एससी एक्ट में जो प्रोविजन केंद्रीय सरकार के द्वारा किया गया है उसको छेड़छाड़ करने का काम ना करें अन्यथा अंजाम बुरा होगा। इसके खिलाफ आने वाले दिनों में दलित आदिवासी समाज एकजुट होकर गोलबंद होकर उग्र आंदोलन करने का काम करेंगे। जिसकी जिम्मेवारी हेमंत सरकार की होगी ।

नायक ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र सरकार के द्वारा एसटी एससी एक्ट में किए गए पूर्व में संशोधन के खिलाफ झारखंड में उसके विरुद्ध किए गए आंदोलन में एसटी एससी समाज के युवाओं जिन पर केस किया गया था वह केस हेमंत सोरेन के द्वारा उठाने का काम किया जाता है। दूसरी तरफ हेमंत सरकार एसटी-एससी एक्ट को कमजोर करने की दिशा में कार्य किया जाता है।

उन्होंने कहा कि सरकार के प्रस्ताव के तहत एसटी-एससी एक्ट के तहत किए गए केसो में दरोगा एवं इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी के द्वारा जांच किया जाना है जो दलित-आदिवासी समाज के खिलाफ है। कहा कि दलित आदिवासी समाज इस प्रस्ताव को कभी भी स्वीकारने का काम नहीं करेगी और आने वाले दिनों में सरकार के विरुद्ध उग्र आंदोलन किया जाएगा।

नायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री किसके बहकावे में आकर दलित, आदिवासी समाज का सत्यानाश करने पर तूले है यह समझ से परे है। एसटी- एससी एक्ट में डीएसपी या आईपीएस स्तर के पदाधिकारी से जांच से कम कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पूर्व में जो व्यवस्था थी उसी व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में सरकार काम करें और एसटी-एससी एक्ट को सख्ती से लागू करने हेतु उस दिशा में काम करें। तभी सरकार का भला होगा अन्यथा सरकार को इसके खिलाफ गंभीर परिणाम भुगतने होंगे

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