स्वच्छता पखवाड़ा के चौथे दिन कथारा क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में सीसीएल कथारा क्षेत्र में कोयला मंत्रालय के निर्देशानुसार बीते 16 जून से 30 जून तक स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत स्वच्छता और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 20 जून को क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

उक्त जानकारी देते हुए कथारा क्षेत्र के सीएसआर नोडल पदाधिकारी सह उप प्रबंधक चंदन कुमार ने बताया कि स्वच्छता पखवाड़ा के तहत नेहरु स्मारक उच्च विद्यालय स्वांग में बच्चों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक और पर्यावरण, वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति, क्षेत्र के रहिवासियों और पर्यावरण पर इसके प्रभाव और प्लास्टिक संकट से निपटने के उपाय पर विस्तृत चर्चा की गयी।

बच्चों को बताया गया कि कचरा प्रबंधन एक पहल है, जिसे वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में एक ऐसी विधि के रूप में विकसित किया गया था जो हम सभी को लैंडफिल या भस्मीकरण के लिए भेजे जाने वाले कचरे की मात्रा को कम करने और अनावश्यक रूप से उत्पादित होने वाली वस्तुओं की मात्रा को कम करने में मदद करती है।

उन्होंने बताया कि थ्री आरएस का मतलब है कम करना, पुनः उपयोग करना तथा पुनर्चक्रण करना। ये तीन छोटे शब्द कचरे के प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

चंदन कुमार ने बताया कि थ्री चक्रम के तहत कम करना का अर्थ है मात्रा को छोटा या कम करना। पुनः उपयोग का अर्थ है किसी वस्तु का पुनः उपयोग करना, या तो उसके मूल उद्देश्य के लिए या किसी भिन्न कार्य के लिए। पुनर्चक्रण का अर्थ है कचरे को ऐसी सामग्री में परिवर्तित करना जिसका उपयोग उस वस्तु को पुनः बनाने या कुछ और बनाने के लिए किया जा सके।

उन्होंने बताया कि इस अवसर पर राजेंद्र उच्च विद्यालय जारंगडीह में इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट का निपटान एवं प्रबंधन पर जागरूकता शिविर लगाया गया। जिसमें इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, जिसे ई-कचरा के रूप में भी जाना जाता है। उन बेकार विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को संदर्भित करता है, जो अपने उपयोगी जीवन के अंत तक पहुँच चुके हैं या जिनकी अब आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में इलेक्ट्रॉनिक कचरे का वैश्विक उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। तीव्र तकनीकी प्रगति, नए उपकरणों के लिए उपभोक्ताओं की मांग और लघु उत्पाद जीवनचक्र ने ई-कचरे में वृद्धि में योगदान दिया है। इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट पुनर्चक्रण पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि दुनिया भर के देश बढ़ती समस्या से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक कचरे की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसमें नीतिगत ढांचे को मजबूत करना, जागरूकता पैदा करना, बुनियादी ढांचे में निवेश करना तथा इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन और रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना शामिल है।

उन्होंने बताया कि सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी भी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ई-कचरा प्रबंधन प्रथाओं को बेहतर बनाने और स्थायी समाधान विकसित करने में मदद कर सकते हैं।
बताया कि इस अवसर पर कथारा उच्च विद्यालय एवं संत अन्थोनी मध्य विद्यालय जारंगडीह में बच्चों द्वारा सफाई का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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