वैशाली के रक्तवीर प्रवीण कुमार ने किया 18वीं बार रक्तदान

प्रहरी संवाददाता/हाजीपुर (बिहार)। विश्व रक्तदाता दिवस पर वैशाली जिले के रक्तवीर परिवार के सदस्य और स्माइल इंडिया फाउंडेशन के सदस्य प्रवीण कुमार ने अपने जीवन का 18वां रक्तदान किया।

बातचीत के क्रम में प्रवीण कुमार ने बताया कि 9 वर्ष पूर्व उनहोंने स्थानीय आर ऐन कॉलेज के स्नातक के छात्र थे, उसी दौर में अपने एक साथी के संबंधी के दुर्घटनाग्रस्त युवक को देखने अस्पताल गए।

दुर्घटना की वजह से उस युवक का बहुत खून बह चुका था उसे खून की जरूरत थी, उसके संबंधी खून के लिये ब्लड बैंक से लेकर अन्य जगह दौड़ रहे थे लेकिन घायल युवक का ब्लड ग्रुप नहीं मिल रहा था, संयोग से घायल युवक और मेरा ब्लड ग्रुप एक ही था, मैंने पहली बार उस घायल युवक के लिये अपना एक यूनिट ब्लड दिया, ब्लड मिलने से उस घायल युवक की जान बच गई ।

इस घटना से मुझे काफी सुकुन मिला, बाद में अपने कॉलेज के साथियों के साथ मिलकर जरूरतमंदों के लिये रक्त की व्यवस्था में लग गया। आज वैशाली जिले के 300 से अधिक युवा रक्तवीर का हमारा परिवार है जो सभी व्हाट्सएप से जुड़े हैं। रक्तवीरों का डाटा है और जब भी किसी जरूरतमंद को ब्लड की आपातकालीन जरूरत होती है रक्तवीर परिवार के सदस्य अल्प सूचना पर किसी भी समय अपना रक्त दान के लिये हाजिर हो जाते हैं।

पिछले माह पटना अस्पताल में ब्लड कैंसर से जूझ रही सोनपुर की एक 27 वर्षीय महिला निरुदेवी के परिवार वाले परेशान थे जिसकी सूचना मिलने पर रक्तवीर परिवार के सद्स्य राजेश कुशवाहा ने उक्त महिला को रक्त देकर उसे बचने की कोशिश की।

रक्तवीर परिवार के सदस्यों का रक्त हाजीपुर ब्लड बैंक में भी जमा रहता है जिसे आपात स्थिति में जरूरतमंदों को मुहैया कराई जाती है। विश्व रक्तदान दिवस पर प्रवीण ने कहा की हमारे द्वारा दिया गया रक्त किसी को नई जिंदगी प्रदान करता है। रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता है। इससे आपके खून की चंद बूंदों से किसी घर का चिराग बुझने से बच सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर आप अपने पूरे जीवनकाल में किसी एक व्यक्ति को भी जीवन बचा लेते हैं तो आपका जन्म लेना सार्थक हो जाता है। परवीन ने लोगों से अपना रक्तदान करने की अपील करते हुये बताया कि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसकी आयु 18 से 60 वर्ष है, 50 किलो से अधिक वजन है और हीमोग्लोबिन 12.5 से ज्यादा है, तो रक्तदान कर सकता है! आइए अगर-मगर, किंतु-परंतु कहना छोड़िए और रक्तदान कीजिए, जीवनरक्षक बनिए।

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