देशव्यापी हड़ताल को लेकर निकाला गया मशाल जुलूस

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। मजदूर संगठनों ने 28 एवं 29 मार्च को आम हड़ताल की घोषणा की है। इसका असर सार्वजनिक उपक्रमों पर विशेष रूप से पड़ने का दावा किया जा रहा है।

केंद्र सरकार (Central Government) पर मजदूर विरोधी नीति का आरोप लगाते हुए सीटू, एटक, एचएमएस, इंटक और उससे संबद्ध यूनियन ने आंदोलन की घोषणा की है। हालांकि भारतीय मजदूर संघ और राकोमसं (ददई गुट) का आंदोलन को समर्थन नहीं है।

इधर, सार्वजनिक सेक्टरों के प्रबंधनों ने मजदूर संगठनों से हड़ताल पर नहीं जाने का आग्रह किया है। बैंक, कोयला सहित निजी सेक्टरों में भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। मजदूर संगठनों ने बीते 26 मार्च को बताया कि विभिन्न सेक्टरों के करीब 60 लाख मजदूर आंदोलन में हिस्सा लेंगे।

वहीं कोयला, इस्पात, कॉपर, बॉक्साइट व माइका सेक्टर के चार लाख से ज्यादा मजदूर हड़ताल पर रहेंगे। लौह अयस्क खदान में भी इसका व्यापक असर पड़ने की संभावना है।

संगठनों ने बताया कि राज्य के 10 लाख निर्माण कामगार, चार लाख परिवहन मजदूर के अलावा दो लाख से अधिक स्कल्ड वर्कर भी हड़ताल में शामिल होंगे। बैंक, इंश्योरेंस, पोस्टल आरएमएस के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहेंगे। सीसीएल ने हड़ताल नहीं करने का आग्रह किया है।

सीसीएल (CCL) ने 26 मार्च को संयुक्त सलाहकार समिति के सदस्यों से हड़ताल पर नहीं जाने का आग्रह किया है। सीसीएल प्रबंधन द्वारा कहा गया है कि हड़ताल का मुद्दा कोयला कर्मियों के जुड़ा नहीं है। हड़ताल से उत्पादन प्रभावित होगा।

मजदूर संगठनों ने कहा कि यह राष्ट्रीय (National) आह्वान पर आंदोलन हो रहा है। इसमें सीसीएल या कोयला कंपनियों से जुड़े मजदूर संगठन कुछ नहीं कर सकते हैं। बैठक में इंटक, एटक, सीटू और एचएमएस के प्रतिनिधि भी थे।

मजदूर संगठनों की मांगो में मजदूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करने, किसानों के फसल के लिए एमएसपी की गारंटी देने, सार्वजनिक उद्योगों का निजीकरण पर रोक लगाने, आयकर के दायरे से बाहर रहनेवालों को प्रतिमाह 7500 रुपये का भुगतान करने, आदि।

मनरेगा में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार करने, असंगठित क्षेत्र के सभी कामगारों को सार्वभौमिक सुरक्षा देने, पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी करने, ठेका प्रथा व आउटसोर्सिंग बंद करने, नयी पेंशन स्कीम रद्द करने आदि शामिल है।

बीएमएस और नहीं लेगा हिस्सा

भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) दो दिवसीय हड़ताल में हिस्सा नहीं लेगा। महासंघ के महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने कहा है कि हड़ताल विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित है। यह आंदोलन सिर्फ उन राजनीतिक दलों के अस्तित्व को बचाने के लिए है। यदि मजदूरों की लड़ाई संयुक्त रूप से लड़ना हो, तो राजनीतिक प्रतिबद्धता त्याग कर एक गैर राजनीतिक संयुक्त आंदोलन की रूप रेखा तैयार करें।

राकोमसं (ददई गुट) ढोरी क्षेत्र के एरिया सचिव मंगरा उरांव ने कहा कि हड़ताल विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित है। यह आंदोलन सिर्फ उन राजनीतिक दलों के अस्तित्व को बचाने के लिए है। फुसरो राकोमंस (ददई गुट) की बैठक मे अनुराग सिंह उर्फ सेम्पू, शिबू दिगार, बबन रजक,आशुतोष कुमार आदि मुख्य रूप से मौजूद थे।

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