हरिहरक्षेत्र मेले में इस वर्ष देशी विदेशी झूलों की बहार

दो जापानी सहित छोटे बड़े तीन दर्जन झूले बढ़ा रहे मेले की शान

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर के हरिहरक्षेत्र मेला में इस वर्ष देशी और विदेशी झूलों की बहार है। इनकी संख्या लगभग तीन दर्जन केबताया जा रहा है, जिनमें दो जापानी भी शामिल हैं।

जानकारी के अनुसार हरिहरक्षेत्र मेला में लगे इन झूलों की आकृति, रंग और स्वरुप भी एक दूसरे से अलग अलग है। बत्तख, टैक्सी, जीप, कार, मोटर साइकिल, नाव, घोड़ा आदि की आकृति वाले छोटे और बड़े झूलों की उपस्थिति ने मेला की रौनक में वृद्धि की है। रेल ग्राम में टॉय ट्रेन एवं अजूबा डिजनीलैंड में ड्रेगन ट्रेन का जलवा बरकरार है। मेला दर्शकों की पसंदगी में ब्रेक डांस भी शामिल है।

मेले में छोटे बड़े भारतीय झूलों की धमाकेदार इंट्री ने अहसास कराया है कि झूले की इस मेले में जबरदस्त मांग है। ये झूले रंग बिरंगे और भिन्न आकृति वाले हैं, जो बच्चे तो बच्चे बड़ों का भी मन ललचा रहे हैं। ब्रेक डांस तो युवा दिलों के लिए खास है। युवाओं को खूब भा रहा है। उन्हें अपने हृदय पर धक्का खाने में आनंद की अनुभूति हो रही है। जिनका हृदय कमजोर है वे दूर से ही नजारा देख संतोष कर रहे हैं।

इस बार मेले में चार ब्रेक डांस, चार नौका झूला भी दर्शकों पर डोरा डाल रहा है। यहां भी भीड़ उमड़ रही है। बड़े आकार वाले आकाश झूले की संख्या भी पांच है। एक मारुति सर्कस भी अपना करतब दिखा रहा है। डेढ़ दर्जन छोटे बच्चों का झूला भी बच्चों के आकर्षण और मनोरंजन का केंद्र बना हुआ है।

ज्ञात हो कि, अकेले चिड़िया बाजार थाना रोड में ही रंग बिरंगे 12 झूले लगे हैं। अजूबा डिजनीलैंड मेला में दो जापानी झूले सहित 12 छोटे बड़े झूले कमाल दिखा रहे हैं, जिसमें अकेले 7 झूले बच्चों के हैं। यहां सुपर ड्रेगन ट्रेन की भी सवारी हो रही है। टिकट 50 रुपए प्रति व्यक्ति है।विदेशी झूले की प्रति व्यक्ति 100 रुपए टिकट रखा गया है।

रेल ग्राम, मीना बाजार रोड एवं क्रॉफ्ट मेला में एक एक बच्चों का झूला लगा है। चिड़िया बाजार से शिव दुलारी उच्च विद्यालय के बीच 9 झूले मेला दर्शकों को आकर्षित कर रहे हैं। लकड़ी बाजार मार्ग में नखास तक में 7 झूला और एक मारुति सर्कस भी है। रेल ग्राम के ट्वॉय ट्रेन में भी मेला यात्री शुल्क देकर सफर का आनंद उठा रहे हैं।

भारत में है झूलनोत्सव की प्राचीन परंपरा

भले ही देश और दुनिया में झूले के स्वरूपों में भारी बदलाव दिख रहा है लेकिन इसका आदि स्वरुप का वर्णन वेदों सहित सभी संस्कृत के ग्रंथों में दोला, हिंडोला और झूला के रुप में दृष्टिगोचर होता है। सावन में अयोध्या, मथुरा, वृंदावन सहित पूरे भारत के मंदिरों में भगवान के विग्रहों को झूले में झुलाने की प्राचीन परंपरा कायम है। नेपाल में भी झूलनोत्सव धूमधाम से होता है। नन्हें शिशुओं का पालना भी एक झूला ही है।

सोनपुर मेला में बाबा हरिहरनाथ मंदिर एवं हनुमान मंदिर के निकट स्थित राधा कृष्ण मंदिर में लड्डू गोपाल का झूला दर्शकों के लिए दर्शनीय बना हुआ है। श्रीगजेन्द्र मोक्ष देव स्थानम दिव्य देश में भी झूलनोत्सव की परंपरा कायम है।

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