… तो फिर गिरा कुरैशी नगर में चट्टान बाल-बाल बचे रहिवासी

मुश्ताक खान/मुंबई। कुरैशी नगर में पहाड़ी का चट्टान गिरने के कारण करीब 6 झोपड़े तबाह हो गए। इस हादसे में 2 लोग जख्मी हैं, जबकि एक 80 वर्षीय महिला और चार साल का बच्चा बाल-बाल बच गए।

रविवार कि देर रात करीब एक और डेढ़ बजे की बीच हुए इस हादसे में करीब 45 साल के मो० जाकिर को हाथ और पैर पर मिलाकर 25 टांके पड़े हैं। वहीं उसके भाई मो० साबीर शेख के पैर में 7 टांके आये हैं।

हादसे के बाद स्थानीय विधायक मंगेश कुडालकर (MLA Mangesh kudalkar) और नगरसेविका ने धटना स्थाल का दौरा किया। इसके बाद सोमवार को विधायक ने म्हाडा और मनपा के अधिकारियों को बुलाकर दिशा निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि कुर्ला पूर्व के कसाईवाड़ा स्थित कुरैशी नगर के बिसम्मील्लाह महताब चाल, गुलजार होटल के सामने रूम नंबर 5 और 6 के अलावा अन्य झोपड़ों को भी भारी नुकसान हुआ है।

इस हादसे में जख्मी हुए मोहम्मद साबीर सिकंदर अली शेख के अनुसार रविवार के अहले सुबह करीब दो बजे कसाईवाड़ा के पहाड़ी का एक चट्टान खिसक कर उनके घर की तरफ आया। इस हादसे में साबीर शेख के घर के अलावा पास पड़ोस के करीब 6 झोपड़ों को चट्टान ने अपनी चपेत में ले लिया।

चट्टान के साथ बड़े पैमाने पर पहाड़ी का मलबा भी इन झोपड़ों में घुस गया। जिसके कारण सभी के घर का सामान व झोपड़ों को तबाह कर दिया। साबीर के अनुसार उनके घर में उनकी बुढ़ी मां, बड़ा भाई मोहम्मद जाकीर, उनकी पत्नी और दो बच्चे थे। इनमें एक बच्चा 4 साल व दूसरे महज तीन माह का है।

चार साल के बच्चे का सर फटा है व बुढ़ी मां जैबुन निसा करीब 80 साल की हैं। उन्हें अंदरूनी चोटें आई हैं, जो फिलहाल बिस्तर पर ही हैं। इसके अलावा साबीर के बड़े भाई के हाथ और पैरों में कुल 25 टांके लगे हैं। साबीर के पैर में भी सात टांके लगे हैं।

वहीं इस हादसे में पड़ोसी परवेज शफी शेख (42), जैनब बी मो० शफी (76), रूबीना उमर शफी (45) और सोहेल शेख बाल बाल बच गए। जबकि इनका झोपड़ा भी तबाह हुआ है। कुरैशी नगर के इस हादसे में किसी कि मौत नहीं हुई है। इस हादसे के बाद स्थानीय विधायक मंगेश कुडालकर और नगरसेविका सान्वी तांडेत व उनके पति विजय तांडेल भी घटना स्थल पर पहुंच कर जायजा लिया।

इस हादसे के दूसरे दिन यानी सोमवार को विधायक ने म्हाडा और मनपा के अधिकारियों को घटना स्थल पर बुलाकर जल्द से जल्द राहत कार्य करने को कहा। लेकिन शुक्रवार को समाचार लिखे जाने तक इन झोपड़ों में घुसे मलबे को नहीं निकाला जा सका है। जिसके कारण हादसे के प्रभावितों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है।

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