संवेदनहीन व्यवस्था के आगे लाचार मृत प्रवासी मजदूर के परिजन

विष्णुगढ के प्रवासी मजदूर दुलारचंद की मलेशिया में मौत के 21 दिन बाद भी पहल नहीं

धीरज शर्मा/बिष्णुगढ़ (हजारीबाग)। विष्णुगढ प्रखंड के हद में बंदखारो निवासी कोलेश्वर महतो के 40 वर्षीय पुत्र दुलारचंद महतो की बीते 15 अक्टूबर को मलेशिया के अस्पताल में मौत हो गयी थी। मृत मजदूर की मौत के 21 दिन बाद भी इस मामले में सरकारी व्यवस्था पुरी तरह पंगु हो गयी है। पंगु व्यवस्था के आगे मृतक दुलारचंद के परिजन लाचार है।

जानकारी के अनुसार दुलारचंद महतो पिछले 1 अक्टूबर को मलेशिया गया था। जहां ब्रेन हेमरज होने के कारण उसे वहां के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहाँ उसकी मौत हो गयी थी। दुलारचंद एलएनटी नामक कंपनी में काम करता था।

इस घटना को लेकर प्रवासी मजदूर दुलारचंद का शव वतन लाने के लिए सोशल मीडिया ट्वीट के माध्यम से प्रवासी मजदूर के हितार्थ में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकंदर अली एवं उनके परिजनों द्वारा क्षेत्र के विधायक, सांसद एवं सरकार से गुहार लगाई गई थी। इस मामले में मृतक का शव भारत लाने के लिए अभी तक उक्त कंपनी द्वारा किसी भी प्रकार से परिजनों को सूचना नही दी गयी है।

सरकार उक्त मृत मजदूर के हित में कुछ पहल नहीं की है। परिजनों ने बताया कि फोन के माध्यम से सूचना मिली है कि अभी तक शव का अंतिम संस्कार नही किया गया है। पहले बताया गया था कि शव को वतन वापसी के लिए भेजा जाएगा। साथ ही कंपनी द्वारा उचित मुआवजे भी दी जाएगी। पर टाल मटोल कर फिर बोला गया कि शव को नहीं भेजा जाएगा।

मुआवजा भेज दी जाएगी। जो अब तक 21 दिन बाद किसी तरह से कोई सूचना नही मिली है। इस स्थिति में घर के परिजन आस लगाए तड़प बिलख कर अधमरा हो गए।

वहीं परिजनो ने दुलारचंद महतो का शव उचित मुआवज़े के साथ वतन लाने की अपील कर गुहार लगाई है। वह भी अबतक बेकार साबित हो रहा है। क्या बहरी व्यवस्था की तंद्रा अब भी टूटेगी अथवा जन आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी जनता तब सरकार की तंद्रा टूटेगी।

ज्ञात हो कि, मृतक अपने पीछे पत्नी यशोदा देवी, पुत्री सीता कुमारी(22 वर्ष), कंचन कुमारी(19 वर्ष) व पुत्र सुंदर कुमार (12) को छोड़ गया है।

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