पारंपरिक कारीगरों के समृद्ध होने से सुदृढ़ होगी अर्थव्यवस्था-उपायुक्त

हस्तलिपि ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म को किया जायेगा विकसित-उपायुक्त
एस.पी.सक्सेना/देवघर(झारखंड)। वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार (India Government), हस्तशिल्प सेवा केन्द्र देवघर (Deoghar) तथा जिला उद्योग केन्द्र की ओर से सूचना भवन सभागार में आयोजित हस्तशिल्प चौपाल सह परिचर्चा कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन 4 मार्च को देवघर जिला उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री, अनुमंडल पदाधिकारी दिनेश कुमार यादव व उपस्थित महिला प्रशिक्षकों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस दौरान उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि भारत गांवों का देश है। यहां हस्तशिल्प की अपनी लंबी परंपरा रही है। जिसका सामजिक सांस्कृतिक महत्व है। आज हम आधुनिक तकनीक से जुड़ रहे हैं। साथ हीं परंपरागत हस्तशिल्प से कट रहे हैं। ऐसे में इस कार्यशाला का अपना महत्व है। उपायुक्त ने कहा कि अर्थव्यवस्था और समाज की व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है कि विभिन्न ट्रेडों के हस्तशिल्पियों, कारीगरों तथा अन्य पारम्परिक उद्योगों से जुड़े महिलाओं को प्रशिक्षित कर समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पारम्परिक हस्तशिल्पी व कारीगर जब खुशहाल व समृद्ध होंगे, तभी समाज खुशहाल होगा और अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के पारम्परिक कारीगर जैसे बम्बू क्राफ्ट, लाह की चूड़ी, लोहार, कढ़ाई, बुनाई करने वालों को एक प्लेटफाॅर्म पर लाकर उन्हें बेहतर बाजार उपलबध कराया जायेगा। इस हेतु देश व राज्य स्तर पर लगने वाले मेला एवं ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म, एमेजाॅन, फ्लिपकार्ट, सरकारी पोर्टल जेम के माध्यम से बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास कराया जायेगा। कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को किये जाने वाले कार्यों को धरातल पर उतारने के उदेश्य से आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया।
चौपाल सह परिचर्चा के दौरान उपायुक्त भजंत्री द्वारा महिला हस्तशिल्पियों को आर्टिजन कार्ड से होने वाले फायदों व इसके उपयोग से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गयी, ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके। जिससे इनकी सही पहचान हो कि संबंधित महिला किसी खास क्षेत्र के कारीगर हैं। साथ हीं आर्टिजन कार्ड बनने के बाद आर्टिजंस भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से आयोजित होने वाले मार्केटिंग प्रोग्राम में भाग ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि देशभर के सरकारी फेयर में स्टॉल निरूशुल्क मिलेगी। आने-जाने का किराया उपलब्ध करवाया जाता है। इसके अलावा जो भी महिला-पुरूष आर्टिजन स्वयं का उद्योग स्थापित करना चाहते हैं उनको प्रधानमंत्री योजना के तहत 10 लाख रुपए का लोन मुहैया करवाया जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण सारे आर्टिजन कार्डधारियों का ऑनलाइन रिकॉर्ड होगा। जिसके आधार पर बड़े कारखाने या कम्पनियों द्वारा आमन्त्रित किया जा सकता है। यानी रोजगार का अवसर। साथ हीं राज्य सरकार की ओर से जारी आर्टिजन कार्ड से कारीगरों को प्रदेश में उद्योगों से संबंधित संचालित हो रही योजनाओं का फायदा मिलेगा। इनमें सब्सिडी, ब्याज की दरों, कारीगरों के कल्याण से जुड़ी विकास योजनाओं में कारीगरों को फायदा मिलेगा। इस प्रकार के कार्ड से आर्टिजन्स सरकार की ओर से दी जाने वाली विकासशील योजनाओं से लाभान्वित होंगे। इसके अलावा, राज्य में लगने वाले उद्योग मेलों में सब्सिडी, स्टॉल आवंटन आदि में कार्डधारक कारीगर को प्राथमिकता मिलेगी।
चौपाल कार्यक्रम के दौरान अनुमंडल पदाधिकारी दिनेश कुमार यादव द्वारा जानकारी दी गयी कि वर्तमान में स्वाबलंबी बनकर कार्य करना अति महत्वपूर्ण है। एक समूह में मिलकर कार्य करने से सभी और भी बेहतर तरीके से नये कामों को सिखते हुए कर सकती है। जिला प्रशासन व संबंधित विभाग द्वारा सभी की बेहतरी के लिए आवश्यक कदम व कार्य किये जा रहे हैं, ताकि आत्मनिर्भर व सशक्त बनाया जा सके। सहायक निदेशक हस्तशिल्प भुवन भास्कर ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और भारत सरकार द्वारा हस्तशिल्प विकास के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियों की जानकारी दी। साथ हीं जोर दिया कि परंपरागत लोक कला और हस्तशिल्प के प्रति ज्यादा से ज्यादा प्रारंभिक रूचि जगाने की आवश्यकता है, ताकि आगे चलकर इन्हें रोजगार से जोड़ा जा सके। इसके अलावे उन्होंने हस्तशिल्पि टाॅल फ्री नंबर 18002084800 की जानकारी से सभी को अवगत कराया।
चौपाल सह परिचर्चा के दौरान विभिन्न महिलाओं द्वारा आत्मनिर्भर बनने की कहानी से सभी को प्रेरित किया। जिसमें सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कपड़ों के व्यवसाय, लाह की चूड़ी लहटी आदि बनाकर अपने गांव व पंचायत को एक नयी पहचान दिलाने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर अपनी मेहतन और लगन से एक नई मिशाल बनाकर आज दूसरों को भी अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित कर रही है। आज सरकार द्वारा मिलने वाले अनुदान के माध्यम से इन महिलाओं ने छोटे स्तर से शुरू किये अपने इस काम को वृहत कर लिया है। इससे वे आत्म निर्भर हो पा रही है एवं अपने आय से घर परिवार के लिए कुछ बचत भी कर पा रही है। महिलाओं द्वारा इस प्रकार का स्वरोजगार करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उन्हें काम करने के लिए अपने घर से दूर नहीं जाना पड़ता है और वे अपने हुनर से हीं घर बैठे रोजगार कर पाती है। इस दौरान अनुमंडल पदाधिकारी दिनेश कुमार यादव, उद्योग महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र सैमराॅम बारला, सहायक निदेशक हस्तशिल्प भुवन भास्कर, स्टेट बैंक के प्रतिनिधि, जिला समन्वयक मुख्यमंत्री लघु कुटीर बोर्ड, प्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र रामस्नेही सिंह, वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के अधिकारी एवं संबंधित विभाग के अधिकारी व प्रशिक्षक आदि उपस्थित थे।

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