राहर दियारा के बाबा महीनाथ की महिमा है निराली

समर्पण भाव से पूजा करने से होती मनोकामना पूरी

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर-जेपी सेतु पटना रोड में राहर दियारा चौक पर स्थित शिव मंदिर की महिमा निराली है। मही नदी से सटे उत्तरी किनारे स्थित होने के कारण आसपास के रहिवासी इन्हें बाबा मही नाथ महादेव के नाम से पुकारते हैं।

बाबा महीनाथ की अपनी महिमा है।इनके दरबार में कामना लेकर आया कोई भी दुखियारा भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। उसकी कामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं। यहां हर- हर, बम- बम का उद्घोष हर समय होता रहता है।

मंदिर निर्माण में थी इनकी भागीदारी

जानकारी के अनुसार स्थानीय राहर दियारा नजरमीरा पंचायत के भक्तों ने ग्रामीणों के सहयोग से उक्त मंदिर का निर्माण कराया था, जबकि हनुमान भक्त स्व. गया राय ने इस मंदिर के ठीक सामने बजरंग बली का मंदिर निर्माण और उनकी मूर्ति स्थापित किया था।
शिव मंदिर के सटे पश्चिम में भक्तों ने दो और मूर्तियों का निर्माण कराया जिसमें दुखहरणी दुर्गा माता, राधा-कृष्ण की मूर्ति शामिल है। यह एक जीवंत आध्यात्मिक स्थल है।

शिव भक्तों के अनुसार सावन माह बारिश का मौसम होता है। पुराणों के मुताबिक शिवजी को चढ़ने वाले फूल-पत्ते बारिश में ही आते हैं। इसलिए सावन में शिव पूजा की परंपरा बनी। स्कंद पुराण में भगवान शिव ने सनत्कुमार को सावन महीने के बारे में बताया कि मुझे श्रावण बहुत प्रिय है। इस माह में शिवलिंग पर जल जरूर अर्पित करना चाहिए

।इस महीने फल, फूल और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं। अगर कुछ भी ना हो तो केवल मात्र एक लोटा जल चढ़ा देने से ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। जल चढ़ाने से पहले पंचामृत चढ़ाना भी अच्छा है।

सावन माह के सोमवार व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि विधान से की जाती है। जिनको मनचाहे जीवनसाथी की कामना होती है, वे सावन सोमवार व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से सुख, समृद्धि और उन्नति की मनोकामना भी पूर्ण होती है। सावन सोमवार व्रत के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है।

सावन में शिवलिंग पूजन से मिलती है सिद्धि

श्रावण माह में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजन करने का विधान है। विशेष पूजा-अर्चना से मनचाहे वरदान की प्राप्ति होती है। उन भक्तों को सिद्धि भी प्राप्त होती है।
यहां सावन में रोज 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर भक्तगण चढ़ाते हैं। घर की तमाम परेशानियों से मुक्ति के लिए गुग्गुल धूप जलाने की भी परंपरा है। विवाह में आ रही अड़चन दूर करने के लिए भक्तगण यहां शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाते हैं। इससे विवाह के योग बनने की संभावना बहुत हद तक बढ़ जाती है।

शिव के साथ नदी की भी होती पूजा

सावन माह में यहां शिव लिंग का अभिषेक और पूजन करनेवाले भक्तगण उनके प्रिय वाहन नंदी की भी अर्चना-पूजन करते हैं। गृहस्थ रहिवासी अपने घर के पालतु बैलों को इस माह हरा चारा खिलाते हैं, जिससे उनके पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि का शुभागमन हो और मन प्रसन्न रहे।

उक्त मंदिर के पुजारी धीरज बाबा बताते हैं कि सावन के प्रत्येक सोमवारी को यहां भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा-अर्चना और श्रृंगार किया जाता हैं। तमाम भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है।आते-जाते राहगीरों को भी रोककर प्रसाद खाने के लिए आग्रह किया जाता है।

इस परिपाटी की दूर-दूर तक प्रशंसा होती है। भक्तगण इस माह अपने घर पर आए गरीब और लाचार परिवारों को भोजन भी कराते हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से कभी अन्न की कमी नहीं होती। साथ ही पितरों को भी शांति मिलती है।

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