कालिदास रंगालय में रक्त अभिषेक नाटक का मंचन

नाटक रक्त अभिषेक अहिंसा का पुनर्पाठ और हिंसा को न्यायोचित ठहराती है

एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की लोकप्रिय संस्थान क्रिएशन पटना द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से संस्कार भारती एवं रॉक एन रोल के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय जननायक नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के अंतिम दिन क्रिएशन द्वारा पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा द्वारा लिखित नाटक रक्त अभिषेक का मंचन पटना के कालिदास रंगालय में देश के लोकप्रिय नाट्य निर्देशक रोहित त्रिपाठी के निर्देशन में किया गया।

उक्त जानकारी देते हुए कलाकार साझा संघ के सचिव व् चर्चित टीवी कलाकार मनीष महिवाल ने बताया कि क्रिएशन द्वारा 20 दिवसीय कार्यशाला में यह नाटक तैयार किया गया है, जिसमें राहुल त्रिपाठी, उत्तम कुमार, जितेन्द्र चौरसिया, रौशन कुमार, राहुल राज, सोती, राजीव रंजन झा, अमित रोशन आदि द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है।

उन्होंने बताया के उक्त नाटक के मंचन में मुख्य अतिथि के तौर डॉ रंजना झा, प्रवीण गुंजन, अमित रौशन, सुदीपा बोस आदि मौजूद थी। नाटक के अंत में महोत्सव में शामिल सभी प्रतिभागी कलाकारों तथा विशेषज्ञों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

महीवाल के अनुसार अमित मौर्य राजा बृहद्रथ के काल से संबंधित नाटक रक्त अभिषेक में वर्तमान के लिए संदेश लेकर इतिहास सजीव हो उठा है। राजा बृहद्रथ की अहिंसा में अंधश्रद्धा का उसकी सैनिक रणनीति और निर्णय क्षमता में प्रवेश, भारतीय सुरक्षा तंत्र को अक्षम कर देता है। यह नाटक यूनानी आक्रांता सिकन्दर की भारत में असफलता और सेल्यूलस की पराजय का बदला लेने के लिए, यूनानी राजा मिनेंडर के आक्रमण का मार्ग प्रशस्त कर देता है।

इस परिदृश्य में सेनापति पुष्यमित्र का अविर्भाव इतिहास को एक नया मोड़ देता है। महीवाल ने बताया कि नाटककार दया प्रकाश सिन्हा ने दार्शनिक सिद्धांत और कठोर यथार्थ, आदर्श और व्यावहारिक सत्य, अकर्म और कर्म तथा हिंसा और अहिंसा के भारतीय मानस के द्वन्द्व को गहन सघनता से रूपायित करता है। रक्त अभिषेक नाटक अहिंसा के आधे-अधूरे ज्ञान पर हमें पुनर्विचार हेतु विवश करता है।

अहिंसा की वास्तविक अवधारणा की अनभिज्ञता, अन्ततः हिंसा और भीषण रक्तपात की कारक होती है। रक्त अभिषेक उस आंतरिक द्वन्द्व की गाथा है, जो वाह्य विपदा, अराजकता और संहार को जन्म देती है।
महोत्सव में क्रिएशन, पटना की ओर से प्रशिक्षक रोहित त्रिपाठी को बिहार दर्शन का स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।

महीवाल के अनुसार प्रस्तुत नाटक रक्त अभिषेक के मंच पर मिनेण्डर (बलराम कुमार यादव), टाइटस (सम्मी शर्मा), हेलियोडोरस (सुभम सिंह), बृहद्रथ (दीपक कुमार), पुष्यमित्र शुंग (प्रभाकर कुमार सिंह), अंटोनिया (जानवी सोनी), दासी (प्रियंका कुमारी), बटुक (राजकुमार), आदि।

पतंजलि (अतुल सिंह), वीरसेन (सौरभ कुमार), प्रजामुल (विकास वर्णवाल तथा राजकुमार) व् सैनिक की भूमिका स्नेहा, सपना, प्रियंका, शिवम, नर्तकी-स्नेहा, अन्नू शर्मा, दिव्या पांडेय, प्रियंका, सपना, ईपशा आदि ने निभाया है। जबकि मंच से परे वस्त्र निर्माण शिद्दी विनायक पटना, वस्त्र विन्यास स्नेहा, सुभम एवं गोपी, मंच सामग्री अतुल, राजकुमार, विकास, मंच सज्जा दीपक, सुनील शर्मा, रूप सज्जा विनय राज, आदि।

कैमरा विक्रम श्रीवास्तव, प्रस्तुति नियंत्रक गौतम गुलाल, रंजीत कुमार, लेखक दया प्रकाश सिन्हा, संगीत स्नेहा कुमार, प्रकाश परिकल्पना रौशन कुमार, प्रस्तुति क्रिएशन रेपेर्टरी पटना, परिकल्पना एवं निर्देशन रोहित त्रिपाठी तथा क्रिएशन पटना के सचिव उत्तम कुमार की भूमिका सराहनीय रहा है।

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