भज नारायण भज के मधुर भजन से गूंजता रहा श्रीलक्ष्मीनारायण कांच मंदिर

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में नारायणी नदी किनारे सोनपुर के साधु गाछी में स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण कांच मंदिर अब सुर्खियों में है।

बिहार की राजधानी पटना के हद मे नौबतपुर प्रखंड के तरेत पाली स्थित राघवेन्द्र सरकार मंदिर में बाबा बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री के आगमन के बाद इस मंदिर ने प्रदेश वासियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। तरेतपाली मठ के महंत स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज ही सोनपुर स्थित मंदिर के महंत हैं।

अब तक इस मंदिर का मुख्य सड़क से जुड़ाव नहीं था, परंतु लगभग सौ साल बाद इस मंदिर का जुड़ाव हरिहरनाथ-गज-ग्राह चौक से हो गया, जो इस मंदिर की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस मंदिर में रहने वाले संत-महात्मा निरंतर नारायण भज नारायण, भज नारायण भज भाई रे। न चहिए दुनिया की दौलत, न चहिए ठकुराई रे मधुर भजन का गायन करते मिल जाएंगे। बिना लाउडस्पीकर के ही उनकी आवाज मीठी प्रतीत होती है।

इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीहरि विष्णु और देवी लक्ष्मी विराजमान हैं, जबकि जगमोहन में हनुमान जी एवं गरुड़ देव की प्रतिमा सुशोभित है। गर्भगृह के दोनों तरफ श्रीरामानुजाचार्य और तरेत पाली मठ नौबतपुर के गोलोकवासी महंत जगद्गुरु स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज का श्रीविग्रह स्थापित है। मंदिर के मुख्य मठ तरेत पाली की आध्यात्मिक, धार्मिक एवं शिक्षा जगत में निःशुल्क शिक्षा, सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार एवं गरीबों की सेवा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान है।

इसी सोंच को लेकर सोनपुर स्थित मंदिर परिसर में तरेत पाली मठ, नौबतपुर द्वारा नए मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। मंदिर निर्माण के लिए तरेत पाली मठ से एक तेज तर्रार युवा संत धीरेन्द्राचार्य जी को सोनपुर भेजा गया। उन्हीं की देख-रेख में इस मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार हो गया। रंग-रोगन हुआ भी नहीं था और ऊपर दुमंजिला अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि दैव योग से धीरेन्द्राचार्य जी चल बसे।

मंदिर निर्माण का शेष कार्य इससे बाधित हो गया। जो अभी तक बाधित ही है। पर नए मंदिर में श्रीलक्ष्मीनारायण की मूर्ति सहित आधा दर्जन मूर्तियों की यहां प्राण प्रतिष्ठा की गयी है। पटना जिले के नौबतपुर के पीतवास ग्राम निवासी धर्म परायण सज्जन रूपनारायण सिंह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में यजमान बनें। प्रतिष्ठित की गई सभी छह मूर्तियों को उन्होंने ही अपनी ओर से स्थापित कराया था।

जिसकी पूजा-अर्चना का दायित्व संत नवलाचार्य के हाथों में हैं।
वे बताते हैं कि ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु के ध्येय वाक्य मंत्र को लेकर यह मंदिर निरंतर प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है।

सोनपुर में नारायणी नदी किनारे पुराने मठ-मंदिरों की श्रृंखला में अवस्थित यह मंदिर श्रीरामानुज सम्प्रदाय का पहला आश्रम या मठ है। जिसकी स्थापना तरेत पाली के गोलोकवासी महंत स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज ने सौ साल पूर्व 1920-22 मे किया था। इसी के सटे बगल में श्रीरामानुज सम्प्रदाय का ही श्रीगजेंद्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश (नौलखा मंदिर) स्थित है।

सभी सुखी होवे”-यही होता है मंदिर से उद्घोष

इस तरह सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें। सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। ऐसा ध्येय लेकर इस मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ। स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज के गोलोकवासी होने पर तरेतपाली मठ नौबतपुर, श्रीलक्ष्मीनारायण कांच मंदिर सोनपुर सहित मठ से जुड़े तमाम मठों के महंत स्वामी धरणीधराचार्य जी महाराज हुए। इनके समय में सोनपुर स्थित इस मंदिर की ख्याति काफी फैल गयी। बिहार प्रदेश के सोनपुर, सबलपुर, हाजीपुर, छपरा, पटना, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय आदि के भक्तों का जुड़ाव इस मंदिर से हो गया। जो कमोबेश आज भी बना हुआ है।

सौ साल बाद मुख्य सड़क से जुड़ा मंदिर

सारण जिला के हद मे सोनपुर पुरानी गंडक पुल के निकट स्थित गज-ग्राह चौक से हरिहरनाथ मंदिर जानेवाले मुख्य सड़क पर कबीर मठ एवं नौलखा मंदिर के बीच यह मंदिर अवस्थित है। पहले इसका मुख्य द्वार नारायणी नदी किनारे पूरब से था। जिसे सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है।

विशेष अवसरों पर ही इसे भक्तों के लिए खोला जाता है। सोनपुर ग्रामवासी धर्मानुरागी भूषण सिंह ने इस मंदिर को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए रास्ते के बीच पड़नेवाली अपने हिस्से की जमीन दान में दे दी और शेष जमीन खरीद की गयी। अब यह मंदिर मुख्य मार्ग से जुड़ चुका है। माना जा रहा है कि निकट भविष्य में मंदिर का रुका कार्य आरंभ होगा।

यहीं किया गया तरेत पाली मठ के दो धर्माचार्यों का अग्नि संस्कार

बहुत कम लोग जानते हैं कि तरेत पाली मठ नौबतपुर के गोलोकवासी महंत स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज का सोनपुर स्थित इसी आश्रम में कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन स्वर्गारोहण हुआ था। उनकी ईच्छा को ध्यान में रखते हुए गंगा-गंडक संगम स्थल सबलपुर चहारम में अग्नि संस्कार किया गया था।

इसी तरह जब धरणीधराचार्य जी महाराज गोलोकवासी हुए तो उनकी इच्छा के मुताबिक भीषण बाढ़ का समय होते हुए भी उनका अग्नि संस्कार काली घाट से दक्षिण सबलपुर में संगम स्थल पर किया गया था। तब उनके शव को नाव पर लाद कर लाया गया था। युवा आचार्य धीरेन्द्राचार्य जी की भी मृत्यु सोनपुर में ही हुई थी।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर के हनुमत चर्चा का सोनपुर में भी दिखा असर

पटना के नौबतपुर स्थित तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री के आगमन एवं रामभक्त हनुमान विषयक प्रवचन एवं हिंदुत्व पर चर्चा के समय इस मठ के सोनपुर स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण कांच मंदिर से जुड़े रहिवासियों में भी जबर्दस्त जागृति आयी। रहिवासियों ने देखा कि किस तरह तरेतपाली मठ ने सनातन धर्म की लौ जलते रहने के लिए अपने मंदिर प्रांगण का दरवाजा खोल दिया।

वर्तमान में तरेतपाली मठ के महंत स्वामी सुदर्शनाचार्य (सिमरन जी) महाराज ही सोनपुर स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण कांच मंदिर के महंत हैं। उन्हीं की देखरेख में मन्दिर निर्माण एवं मुख्य सड़क से मंदिर को जोड़ने का कार्य चल रहा है।

ज्ञात हो कि, तरेत् पाली मठ के अधीन है 266 एकड़ जमीन। जिसमें सोनपुर सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अनेकों मठ-मंदिर स्थापित हैं। अकेले 66 एकड़ जमीन तरेत में है। अनेक विद्यालय, महाविद्यालय, गुरुकुल आदि भी संचालित है। गोशाला भी है तो आयुर्वेदिक इलाज भी चलता है। भविष्य में सोनपुर मंदिर के भी विकसित होने की संभावना है।

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