शहर बसाकर गांव ढूंढते हैं अजीब पागल हैं, हाथों में कुल्हाड़ी लेकर छांव ढूंढते हैं-शंकर

सोनपुर में समसामयिक विषयों पर परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी संपन्न

प्रहरी संवाददाता/सोनपुर (सारण)। शहर बसाकर गांव ढूंढते हैं। अजीब पागल है, हाथों में कुल्हाड़ी लेकर छांव ढूंढते हैं। काव्य पाठ एवं कवि गोष्ठी से सोनपुर की फिजां में चार चांद लग गया।

सारण जिला के हद में सोनपुर रजिस्ट्री बाजार स्थित दुर्गा स्थान प्रांगण में 28 मई को आयोजित समसामयिक विषयों पर परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी में स्थानीय कवि एवं चिंतक शंकर सिंह ने अपने मर्मस्पर्शी काव्य पाठ से गणमान्य जनों को रुबरु कराया। इस मौके पर स्थानीय कवियों, साहित्यकारों, सामाजिक चिंतकों आदि ने काव्य पाठ कर दर्शक एवं श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।

समारोह की अध्यक्षता वामपंथी चिंतक ब्रज किशोर शर्मा ने की, जबकि संचालन प्रगतिशील विचारक शंकर सिंह कर रहे थे। कवि गोष्ठी में साहित्यकार अवध किशोर शर्मा ने स्वरचित कविता सोया था शांत से प्रस्तुत कर उपस्थित जनों का भरपूर मनोरंजन किया।

उनके काव्य पाठ “सोया शांत से अपनी छोटी सी कुटिया में, सर को छुपाए था अपनी छोटी सी कुटिया में, कि धन के लालची भेड़िए आ गए आग लगाने हमारी छोटी सी दुनिया में। हमारी बेबसी भी दे रही थी दुआ महलों को, मगर महल दे रहे थे ताना हमारी छोटी सी कुटिया को आदि कविता सुनकर दर्शक-श्रोता भाव-विह्वल हो गए।

वहीं, अधिवक्ता व् साहित्यकार विश्वनाथ सिंह ने प्रकृति को समर्पित कविता हरे हुए तो प्राण हरे हैं, मुरझाए तो प्राण मरे हैं। जीवन का नाता है इनसे इनमें सब अरमान भरे हैं।

कवि एवं चिंतक अभय कुमार सिंह (अधिवक्ता) ने व्यवस्था पर प्रहार करनेवाली कविता ऐ सड़क शहर से गांव आते-आते तुमने इतनी देर कर दी कि गांव से अधिकांश लोग शहर चले गए पाठ कर रहिवासियों को सच्चाई से अवगत कराया।

कवि एवं चिंतक शंकर सिंह ने समसामयिक विषयों पर आधारित मर्मस्पर्शी कविता शहर बसाकर गांव ढूंढते हैं। अजीब पागल हैं, हाथों में कुल्हाड़ी लेकर छांव ढूंढते हैं। पक्षियों को मारकर कौओं का कांव-कांव ढूंढते हैं प्रस्तुत कर व्यंग की तीखी लकीर पेश की।

इस अवसर पर वामपंथी चिंतक ब्रज किशोर शर्मा की कविता ऐ दोस्त गीत गाऊंगा, जरुर गीत गाऊंगा। मगर करो क्षमा मुझे, अभी नहीं, अभी नही। यह जिंदगी अजाब है, अधुरा इंकलाब है और हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो काव्य पाठ से श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वनाथ सिंह अधिवक्ता ने किया।

मालूम हो कि विगत दिनों बुद्धिजीवियों ने निर्णय लिया था कि प्रत्येक रविवार को सोनपुर के समसामयिक विषयों पर परिचर्चा एवं कवि-गोष्ठी का आयोजन अनवरत चलता रहेगा, जिसमें वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी भी शामिल थे।

 399 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *