सरगुंजा के फूलों से सारंडा की वादियां हुईं मनमोहक

सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। सरगुंजा की पीली फूलों से पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में एशिया का सबसे बड़ा सारंडा जंगल इनदिनों गुलजार हो गया है।

जानकारी के अनुसार सारंडा के रहिवासी खाने का तेल के लिये बड़े पैमाने पर सरगुंजा की खेती करते हैं। सरगुंजा को व्यापारियों के पास बेचकर यहां के किसान आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर हैं। सरगुंजा की खेती में कम मेहनत और कम पानी की जरूरत होती है। इसलिये वह पहाड़ी व ढलानों पर स्थित अपनी खेतों में सरगुजा की खेती करते हैं।

सारंडा के तमाम ग्रामीण व मुख्य सड़कों से गुजरते समय सारंडा की तमाम वादियों और जंगलों को इन पीली फूलों से पटा देखा जा सकता है। सारंडा से गुजरने वाले तमाम राहगीर एक बार सरगुंजा के इन पीले फूलों से पटा खेतों में घुसकर एक सेल्फी या फोटो खिंचवा कर अपने कैमरे व मोबाईल में कैद कर रहे हैं।

हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सरगुंजा की खेती असमय वर्षा की वजह से प्रभावित हुई है। सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम ने 29 अक्टूबर को बताया कि सरगुंजा की खेती में पानी की आवश्यकता कम होती है, लेकिन आखिरी समय में काफी वर्षा होने की वजह से फसल में रोग और कीड़ा लग गया, जिससे पचास फीसदी फसल को नुकसान पहुंचा है।

मानकी ने बताया कि पिछले वर्ष हमलोग 100 रुपये प्रति किलो अथवा 10 डब्बा सरगुंजा के बदले 20 डब्बा चावल व्यापारियों से लिये थे। इस बार इसका रेट क्या होगा पता नहीं।

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