सनातन धर्म मूर्ति महान योगी थे जगदाचार्य त्रिदंडी स्वामी-लक्ष्मणाचार्य

श्रीगजेंद्र मोक्ष देवस्थानम में मनाया गया जगदाचार्य श्रीत्रिदंडी स्वामीजी की पुण्यतिथि

चरण पादुका पूजन और तैल चित्र पर माल्यार्पण कर भक्तों ने किया नमन

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्यदेश हरिहरक्षेत्र पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने 7 दिसंबर को कहा कि श्रीमद्विष्वकसेनाचार्य श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज श्रीसनातन धर्ममूर्ति महान योगी थे।उन्होंने कहा कि यदि घोरतम नास्तिक ने भी उनका दर्शन कर लिया तो उसे आस्तिक होते देखा गया। ये बातें सत्य है कि नराधम विषयी पुरुष भी निर्विषयी प्रपन्न श्रीवैष्णव होते देखे गए ।

स्वामी लक्ष्मणाचार्य सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला के साधु गाछी स्थित श्रीगजेन्द्रमोक्ष देवस्थानम् दिव्यदेश नौलखा मन्दिर में मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष दशमी को जगदाचार्य श्रीमद्विष्वकसेनाचार्य श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में उपस्थित भक्तों को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने सर्व प्रथम गुरुदेव श्रीत्रिदण्डी स्वामी का चरणपादुका का पूजन किया।तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं अष्टोत्तर शतनाम तुलसी अर्चना कर दिव्य भगवद स्वरूप स्मरण किया। इस अवसर उपस्थित दर्जनों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जगदाचार्य श्रीमद्विष्वक्सेनाचार्य
श्रीसनातनधर्ममूर्ति महान योगी थे।

उनके संदर्भ में जितना भी बताई जाए वह सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है, क्योंकि उनका यथार्थ रूप से समग्र जीवन चरित्र बताना सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्विकल्प निर्विषय शम-दम-दया के समुद्र आर्ष ऋषिकल्प जीवन व्यतीत करनेवाले प्रबलतम श्रीभगवद्भागवताचार्य निष्ठ वरिष्ठ पयोव्रती परमाचार्य चरण श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी का दर्शन यदि घोरतम नास्तिक ने भी कर लिया तो उसे आस्तिक होते देखा गया।

उन्होंने कहा कि ये बातें सत्य है कि नराधम विषयी पुरुष भी निर्विषयी प्रपन्न श्रीवैष्णव होते देखे गए। उन्होंने त्रिदंडी स्वामी को तपोमूर्ति बताते हुए कहा कि गंगा, यमुना, सरयु, सोनभद्र नदियों के तटों पर निवास करते हुए उन्होंने वैदिक सनातन धर्म के प्राचीनतम श्रीवैष्णव सम्प्रदाय का प्रचार प्रसार तथा लोकहित में कार्य किया।

उन्होंने कहा कि श्रीवामनाश्रम, सिद्धाश्रम, व्याघ्रसर जिसे वर्तमान समय में बक्सर कहा जाता है, परम पावन तीर्थ बक्सर चरित्रवन गंगाजी के पावन तट पर श्रीलक्ष्मीनारायण पुष्पवाटिका में 2 दिसंबर 1999 में दिन के 9 बजकर 20 पर वे परमपद को प्राप्त हुए थे।

चरित्रवन बक्सर में पतितपावनी गंगा के परम पावन तट पर महायोगी श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज की जाग्रत समाधि है, जो एक भव्य मंदिर के रूप दर्शनीय है। इस अवसर पर मंदिर के व्यवस्थापक बाबा नंद कुमार राय, दिलीप झा, बालदेव शर्मा, सतीश शर्मा, धनंजय सिंह, गोपाल सिंह, नरेश सिंह, दिलीप सिंह सहित बड़ी संख्या में भक्त गण उपस्थित थे।

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