सनातन धर्म सदा से सर्वप्रिय है-उज्ज्वल शांडिल्य

श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के समापन पर श्रद्धालुओं का लगा तांता

यज्ञ में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद, महाभोग किया ग्रहण

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। सनातन धर्म सदा से सर्वप्रिय रहा है। बुद्ध के शिष्य विद्वान होते हैं। समाज में विद्वेष फैला रहे बुद्ध के शिष्य नहीं हो सकते हैं। उक्त बातें 5 फरवरी की रात्रि बोकारो जिला के हद में बेरमो तथा गोमियां प्रखंड के सीमांकन के कथारा चार नंबर में बीते 30 जनवरी से आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के समापन के अवसर पर चित्रकूट से आये कथावाचक उज्ज्वल शांडिल्य जी महाराज ने कही।

कथावाचक उज्ज्वल शांडिल्य जी महाराज ने श्रीराम कथा के विश्राम दिवस पर हनुमान् जी के चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि हनुमान् जी कलियुग के अति प्रभावशाली देवता हैं। रामायण में हनुमान् जी ने जितने बड़े बड़े कार्य किए, उतना कोई और न कर सका।

परंतु इतना होने पर भी उनको तनिक भी अहंकार नहीं हुआ। हनुमान जी बल, बुद्धि, विद्या, ज्ञान और भक्ति में सबसे बड़े होने पर भी अपने को घास फूस से भी छोटा मानते हैं। भक्त का जीवन ऐसा ही होता है।

उन्होंने कहा कि अहंकार मनुष्य का नाश कर देता है। रावण को अहंकार था कि उसके समान कोई दूसरा नहीं है। उसकी लंका को कोई जीत नहीं सकता। हनुमान जी ने अहंकारी रावण के सोने की लंका में आग लगा दी। श्रीराम ने वानरी सेना लेकर लंका पर चढ़ाई कर दी। युद्ध में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद सहित अनगिनत राक्षस मारे गए।

कथावाचक उज्ज्वल शांडिल्य जी महाराज ने कहा कि श्रीराम जैसा नेता कोई दूसरा नहीं हो सकता। ऐसी नेतृत्व क्षमता भी किसी दूसरे में नहीं है। राम रावण युद्ध में भारत का कुछ भी नुकसान नहीं हुआ। भारत का एक भी वानर नहीं मरा और न ही भारत का एक भी रुपया इस महायुद्ध में खर्च हुआ। लंका रावण की जली, बेटे रावण के मरे और सेना भी रावण की नष्ट हुई।

अधर्म के मार्ग पर चलने वाले की यही गति होती है। रावण ने सीताजी को चाहा लेकिन राम जी को नहीं चाहा, इसलिए उसके दश सिर कट गए। श्रीराम की कृपा के बिना सीताजी नहीं मिल सकतीं। शूर्पणखा ने श्रीराम को चाहा पर सीताजी को नहीं चाहा, इसलिए उसके नाक कान कट गए। सीताजी की कृपा के बिना राम जी नहीं मिल सकते।

भारतीय नारी का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी धर्म में नारी को बेबी तो किसी धर्म में नारी को बीबी कहा जाता है। लेकिन सनातन धर्म में नारी को देवी कहा जाता है। स्त्री का सबसे अधिक सम्मान सनातन धर्म ने किया है। श्रीराम ने जीवन भर सीताजी के अतिरिक्त किसी और स्त्री को आंख उठाकर नहीं देखा।

लिव इन रिलेशनशिप जैसी गंदी व्यवस्था में रहने वाले युवक और युवतियों को श्रीराम से शिक्षा लेनी चाहिए। माता पिता की इज्जत की रक्षा करना पुत्र और पुत्री का दायित्व है। सीताजी को लेकर श्रीराम अयोध्या आए और रामराज्य का निर्माण हुआ। कथा के बीच में नए नए भजनों को गाकर सभी भक्तों को उन्होंने झूमने पर मजबूर कर दिया।

महाराज जी ने क्षेत्रवासियों को संदेश देते हुए कहा कि सदा एक रहकर समाज और देश के विकास में अपनी भूमिका निभाएं। राष्ट्र को देवता मानकर उसकी सेवा करें। अपने वातावरण को स्वच्छ बनाएं और रोज रामायण का दश मिनट पाठ अवश्य करें।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रामायण को जलाने से गोस्वामी तुलसीदास के विचारों को नहीं जलाया जा सकता है। साथ हीं रामायण की महत्ता को भी नहीं जलाया जा सकता है। बल्कि ऐसा करनेवाले अपनी अज्ञानता का परिचय दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रामायण में ढोल गंवार का तात्पर्य ढोल की तरह बोलनेवाले अज्ञानी समाज में परित्यक्त पशु के समान व्यवहार करनेवाले को ज्ञान के प्रकाश से परिपूर्ण करने से समरस समाज की स्थापना संभव है। उन्होंने कहा कि बिहार के उस मंत्री को इतनी भी समझ नहीं है कि यदि कोई नीच कुल में जन्म लेकर अच्छे कर्म को करता है तो वह सदगति को प्राप्त होता है।

इसी प्रकार कोई उच्च कुल में भी जन्म लेकर अच्छे कर्म नहीं करनेवाला दुर्गति को प्राप्त करता है। बोधिसत्व कभी नीच कुल में जन्म नहीं लेते हैं। बुद्ध के शिष्य विद्वान होते हैं, इसलिए उनसे गलती नहीं हो सकती। कुछ अज्ञानी बुद्ध के नामपर समाज में विद्वेष फैला रहे हैं।

कथावाचक उज्ज्वल शांडिल्य जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाकर जंगल में रहना पसंद किया था, लेकिन मुगलो का आधीपत्य कभी नहीं स्वीकार किया। क्योंकि सनातन धर्म सदा से सर्वप्रिय रहा हैं। इसमें हिन्दू सबसे सहिष्णु होते हैं। यह सबको साथ लेकर चलता है।

समापन के अवसर पर महाआरती का आयोजन किया गया। साथ ही इससे पूर्व दिनभर हजारों श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद, महाभोग का वितरण किया गया।

जबकि समापन के पूर्व भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विनय सिंह, बेरमो प्रखंड बीस सूत्री अध्यक्ष प्रमोद सिंह, यज्ञ समिति के सचिव अजय कुमार सिंह, एम एन सिंह, वेदब्यास चौबे, चंद्रशेखर प्रसाद, बिजय यादव, देवेंद्र यादव, रामकुमार यादव, अमन आकाश आदि ने मुख्य कथावचक को शॉल भेंट कर उन्हें तथा उनके संगीतज्ञ टीम को सम्मानित किया।

मौके पर उपरोक्त के अलावा गोमियां के पूर्व विधायक व् राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त योगेंद्र प्रसाद, पूर्व विधायक बबिता देवी, समाजसेवी दशरथ महतो, मथुरा सिंह यादव, प्रो. श्याम नंदन मंडल, इंद्रजीत सिंह, पंडित गुप्तेश्वर पांडेय, तपेश्वर चौहान, गंगा राम नायक, रंजय कुमार सिंह, राजेश पांडेय, शिवपुजन सिंह, भीमलाल यादव, गोपाल यादव, गोबिंद यादव, राजदेव चौहान, सुमित्रा देवी, अर्चना सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्य उपस्थित थे।

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