बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर आदिवासी समुदायों का सड़क आंदोलन शुरू

भुख हड़ताल पर बैठे पंचायत समिति सदस्य अयुब खान

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से सड़क पानी आदि सुविधा की कर रहे हैं मांग

एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड के कामता पंचायत की सांसद आदर्श ग्राम चटुआग, चिरोखाड़ तथा कामता में पानी व अन्य बुनियादी सुविधाओं के समाधान के लिए आदिवासी समुदायों द्वारा 24 जनवरी से सड़क पर तीन दिवसीय आंदोलन शुरू कर दिया गया। आदिवासी समुदाय मांगों को लेकर 25 जनवरी को हवन करेंगे।

दर्जनों आदिवासियों द्वारा हांथों में लिए तख्ती में हम भी हैं भारत के नागरिक, अपने हाल पर हमें छोड़ दिया गया है। माननीय प्रधानमंत्री, माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध, चारपहिया वाहन चलने लायक सड़क बनवाई जाय।

गांव तक नहीं आती एम्बुलेंस और चारपहिया वाहन, खटिया डोली के सहारे जाते हैं अस्पताल। आदिवासी, उपेक्षित और अंतिम पायदान पर खड़ा है चिरोखाड़ चटुआग गांव, अजादी के बाद से प्रशासनिक और जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार है यह गांव।

सड़क से कटा हुआ इस गांव के ग्रामीण सड़क पानी आवास आदि बुनियादी सुविधाओं से हैं वंचित। खतियानी जोहार यात्रा में कैसे जाएं चारपहिया वाहन गांव आती नहीं लिखा हुआ था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता स्थानीय रहिवासी कमल गंझु तथा संचालन बिशुन गंझु कर रहे थे। इस अवसर पर स्थानीय कामता पंचायत के पंचायत समिति सदस्य अयुब खान भी भुख हड़ताल पर बैठे थे।
सूचना के बाद उप प्रमुख आश्विनी मिश्रा भी कार्यक्रम स्थल पहुंचकर आदिवासियों के आंदोलन का समर्थन किया।

आंदोलन में शामिल आदिवासी समुदायों की मांग था कि सांसद आदर्श ग्राम चटुआग के टोला चिरोखाड़ की सड़क को एम्बुलेंस चारपहिया वाहन आने जाने लायक बनवाने, साथ ही सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने, सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसद आदर्श ग्राम चटुआग को साधन सुविधायुक्त करने, आदि।

कामता पंचायत के सभी राजस्व ग्राम में सड़क, पानी, स्कूल भवन, आंगनबाड़ी केंद्र भवन की व्यवस्था ठीक करने, प्रधानमंत्री आवास प्लस में छुटे सभी योग्य लाभुक ग्रामीणों का नाम जोड़ने की मांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार से कर रहे हैं।

इस अवसर पर कमल गंझु ने कहा कि सांसद आदर्श गांव चटुआग के टोला चिरोखाड़ आदिवासी बहुल टोला है जो अंतिम पायदान पर खड़ा है। यहां करीब 20 – 25 घरों के परिवार निवास करते हैं। यह टोला गांव की सड़क से पुरी तरह कटा हुआ है। दशकों से इस टोले में एक भी सरकारी योजनाएं नहीं चलाई गई है, न ही एक रूपए की सरकारी राशि खर्च हुई है।

ग्रामीण बिशुन गंझु ने कहा कि इस टोले में दशकों से अधिकारी, पदाधिकारी, कर्मचारी तक नहीं आये हैं। इस टोले में सुविधा के नाम पर केवल बिजली पहुंची है। यहां विकास के नाम पर मात्र एक अभियान विद्यालय है।

पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने कहा कि चिरोखाड़ गांव तक एम्बुलेंस और चारपहिया वाहन पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। स्थानीय रहिवासी खटिया डोली के सहारे करीब 1.5 किलो मिटर तक मरीज को पैदल जंगल के रास्ते जाते हैं, तब जाकर मरीज को चार पहिया वाहन से अस्पताल लेकर पहुंचते हैं।

उन्होंने कहा कि विलंम्ब होने के कारण कभी कभी मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। पंसस खान ने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत वर्ष 2017 में जब चटुआग ग्राम का चयन यहां के सांसद सुनील सिंह ने किया था, उस समय लगा था कि गांव की समस्या दूर होगी, लेकिन आजतक यहां सड़क समेत एक छोटी सी भी समस्या को दूर नहीं किया गया।

आज भी चुआंड़ी का बदबूदार पानी से ग्रामीण प्यास बुझा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक और जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार है चिरोखाड़ टोला। प्रधानमंत्री आवास प्लस में अधिकांश ग्रामीणों का नाम छुट गया है। इसके कारण उन्हें पक्का आवास नहीं मिल पा रहा है।

समस्या समाधान नहीं होने से झामुमो कांग्रेस राजद गठबंधन की नेतृत्व वाली हेमंत सोरेन सरकार के सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
यहां भुख हड़ताल में पंसस खान के अलावा कमल गंझु, बिशुन गंझु, विशेश्वर गंझु, राजकुमार गंझु, मुठस गंझु, सनिचर गंझु, रामबृक्ष गंझु, द्वरीका ठाकुर बैठे हैं जबकि, आंदोलन में ग्राम प्रधान सुरेश उरांव, आदि।

निशा उरांव, सुमंती कुमारी, बिमला उरांव, सुगवा देवी, करिश्मा देवी, अंजली देवी, कबुतरी देवी, जतरी देवी, शांति देवी, रुपा देवी, रनवा देवी, रुकमनी देवी, किरन माझी समेत बड़ी संख्या में गांव के आदिवासी महिला पुरुष शामिल हैं।

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