विशेष रुप से कमजोर जनजातीय समूह बस्तियों में बिजली मिलने से रहिवासियों में हर्ष

पीयूष पांडेय/बड़बिल (ओडिशा)। बिजली का बल्ब के जलने से दूधिया रोशनी से जगमग सुकरा मुदुली की आंखें चमक उठती है। वह बताती है कि कैसे उसकी दोनों पोतियां अब पढ़ाई में अच्छा कर रही हैं। ओडिशा के मलकानगिरी जिला के हद में खैरपुट ब्लॉक के बोंडा हिल्स में सुकरा मुदुली के छोटे से घर में हाल ही में बिजली की आपूर्ति शुरु की गयी है।

विद्युत कनेक्शन से मुदुली के पोते-पोतियां अब न केवल शाम को पढ़ाई कर रहे हैं, उसे विश्वास है कि बच्चे अब बेहतर माहौल पा सकते हैं। बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्य भी अंधेरे में छिपे जंगली जानवरों के डर के बिना अपने मूल पोडेगुडा गांव में घूमने की मीठी खुशी का अनुभव कर रहे हैं।

भारत को आजादी मिलने के सात दशक से भी अधिक समय बाद ओडिशा के मलकानगिरी, रायगड़ा, कंधमाल और गंजम जिलों में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के 81 गांवों में आखिरकार विद्युतीकरण हो गया है। उक्त पीवीटीजी गांव टीपी दक्षिणी ओडिशा डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीएसओडीएल) के दायरे में हैं, जो चार वितरण कंपनियों में से एक है। ओडिशा सरकार और टाटा पॉवर के बीच एक संयुक्त उद्यम है।

जानकारी के अनुसार बीजू ग्राम ज्योति योजना (बीजीजेवाई) के तहत पंजीकृत ओडिशा के 139 पीवीटीजी बस्तियों में से 81 को अब तक विद्युतीकृत किया जा चुका है। जबकि, कुछ गांवों को ग्रिड से जोड़ा गया है। अधिकांश पहाड़ी इलाकों में सौर ऊर्जा की आपूर्ति की गई है।

सूत्रों के अनुसार हाल ही में विद्युतीकृत 61 गांवों में से 44 मलकानगिरी में, सात गंजम में, चार रायगड़ा में तथा छह कंधमाल में स्थित है। इससे पहले गंजम, रायगड़ा और कंधमाल के 20 गांवों को रोशन किया गया था। स्थानीय ग्रामीण रहिवासियों के अनुसार पहले मेरा गाँव बिजली के अभाव में अंधेरे में रहता था।

अपने जीवनकाल में ऐसे परिवर्तन की कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था। ग्रामीण मुदुली ने कहा कि शाम को अपने घर को जगमगाता हुआ देखना वाकई बहुत सुखद है। ज्ञात हो कि, देश के 75 पीवीटीजी में से 13 ओडिशा में पाए जाते हैं। वे 12 जिलों के 542 गांवों में रहते हैं। पीवीटीजी बस्तियों की बिखरी और क्षणिक प्रकृति से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद टीपीएसओडीएल ने दक्षिणी ओडिशा में गांवों के विद्युतीकरण को प्राथमिकता देते हुए प्रयास तेज कर दिए।

पूर्व में पीवीटीजी दुर्गमता के कारण साल में एक बार बिजली बिल का भुगतान कर रहे थे, अब संग्रह कर्मचारियों की नियमित यात्राओं के कारण हर महीने भुगतान कर रहे हैं। विभागीय एक अधिकारी ने कहा कि वे कभी भी चूक नहीं करते हैं और आम तौर पर प्रत्येक गांव से लगभग 1 लाख रुपये इकट्ठा कर मार्च महीने का लक्ष्य पूरा करते हैं।

इस संबंध में टीपीएसओडीएल के सीईओ अमित गर्ग ने कहा कि बिजली की पहुंच सकारात्मक बदलाव और सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए उत्प्रेरक है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का समर्थन इस पहल को वास्तविकता बना रहा है। कहा कि विद्युतीकरण समावेशी प्रगति को बढ़ावा देगा। पीवीटीजी समुदायों के लिए प्रगति और विकास को बढ़ावा देगा। बताया कि कंपनी द्वारा 2020 से अब तक 10 लाख से अधिक बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।

 163 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *