पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत कथा पाठ से त्रिविध तापों से मिलती है मुक्ति-लक्ष्मणाचार्य

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर स्थित श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने 16 जुलाई को यहां कहा कि पुरुषोत्तम मास में भागवत कथा श्रवण करने से त्रिविध (दैहिक, दैविक तथा भौतिक) तापों का शमन होता है।

लक्ष्मणाचार्य महाराज ने कहा कि इस बार 19 वर्षों के बाद श्रावण माह में पुरुषोत्तम मास लगा है। जो अत्यंत मांगलिक व जन-जन के लिए शुभकारी है। स्वामी लक्ष्मणाचार्य सोनपुर के नारायणी नदी किनारे श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम में युग बोध साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित पुरुषोत्तम मास की महिमा विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी एवं संचालन साहित्यकार अवध किशोर शर्मा कर रहे थे।

इस मौके पर युग बोध के संस्थापक सदस्य शंकर सिंह एवं विश्वनाथ सिंह ने जगद्गुरु लक्ष्मणाचार्य को अंगवस्त्र से सम्मानित कर समस्त युग बोध परिवार के साथ उनका आशीर्वाद ग्रहण किया। संगोष्ठी में उपस्थित गणमान्य जनों को संबोधित करते हुए स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि इस बार का श्रावण मास हरिहरात्मक मास इसलिए है कि इस मास में 19 वर्षों के बाद एक ओर शिवालयों में बोलबम का नारा गूंज रहा है, तो दूसरी ओर वैष्णव मठ-मंदिरों में भागवत कथा, हरि कीर्तन, राम कथा, श्रीविष्णु यज्ञ का आयोजन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि श्रावण माह शिव का पुरुषोत्तम मास, भगवान श्रीहरि विष्णु का मास होने के कारण यह संयुक्त रुप से हरिहरात्मक मास बन गया। हरिहरक्षेत्र के लिए श्रावण माह गौरव का माह है। उन्होंने कहा कि पुरुषोत्तम मास की अमावस्या के दिन जो जागरण करता है, वह वैकुंठ लोक का लाभ पाता है।

उसका इस धरा पर पुनरागमन नहीं होता। पुरुषोत्तम मास में पितरों का पिंडदान अति उत्तम कहा गया है। उन्होंने कहा कि पुरुषोत्तम मास श्रीहरि का नाम है और पुरुषोत्तम क्षेत्र उनका निवास स्थान। पुरुषोत्तम क्षेत्र जगन्नाथपुरी को कहा जाता है। इस मास में एक शाम भोजन करने से अश्वमेध यज्ञ का और एक ही अन्न ग्रहण करने से यज्ञ का लाभ मिलता है।

हरिहरक्षेत्र कलश यात्रा से मिली क्षेत्र को देशव्यापी पहचान-सुरेन्द मानपुरी

संगोष्ठी में अपने अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी ने कहा कि स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने हरिहर क्षेत्र कलश यात्रा आरंभ कर इस क्षेत्र को काशी, हरिद्वार आदि के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया। त्रेता में भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम बन कर आए थे, वही द्वापर में वही लीला पुरुषोत्तम बन कर आये। यानी त्रेता की मर्यादा द्वापर में लीला के रुप में सामने आया।

उन्होंने सीता हरण के बाद वर्षा ऋतु प्रसंग में श्रीराम के विरह का घन घमंड नभ गरजत घोरा, प्रिया हीन डरपत मन मोरा। दामिनी दमक रह घन माही, खल कै प्रीति जथा थिर नाही का वर्णन करते हुए कहा कि ठीक उसी प्रकार से द्वापर में गोपिकाएं श्रीकृष्ण के गोकुल छोड़ने से विरह वेदना में व्यथित थी।

साहित्यकार विश्वनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने स्वामी लक्ष्मणाचार्य में उनके गुरु महाराज गोलोकवासी त्रिदंडी स्वामी की छवि देखी है। युग बोध के संस्थापक सदस्य कविवर शंकर सिंह ने कहा कि स्वामी लक्ष्मणाचार्य हरिहर क्षेत्र सोनपुर की पहचान बन गए हैं। इनके बगैर हरिहर क्षेत्र अधूरा है। आज इस देवस्थानम का विराट स्वरुप देख हार्दिक खुशी होती है। युग बोध के सदस्य व् अधिवक्ता अभय कुमार सिंह ने हरिहर क्षेत्र में आध्यात्मिक क्रांति लाने में स्वामी लक्ष्मणाचार्य की भूमिका को अग्रणी बताया।

इस अवसर पर व्यवस्था प्रमुख लालबाबू पटेल, राजू सिंह, विपिन कुमार सिंह, संजीत कुमार ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। आशु कवि अधिवक्ता लक्ष्मण कुमार प्रसाद ने पुरुषोत्तम मास एवं स्वामी जी पर लिखित अपनी रचना का पाठ कर सर्वप्रथम स्वामी लक्ष्मणाचार्य का अभिनंदन किया। सबलपुर मध्यवर्ती पंचायत के सरपंच दिलीप सिंह की कार्यक्रम के आयोजन में भागीदारी रही। अंत में धन्यवाद ज्ञापन मंदिर के व्यवस्थापक नंद बाबा ने किया।

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