राकोमसं नेता ने कोयला मंत्री को पत्र भेजकर समस्याओं से कराया अवगत

एस.पी.सक्सेना/बोकारो। केंद्रीय ट्रेड युनियन इंटक से संबद्ध राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के सीसीएल (CCL) रीजनल सचिव अजय कुमार सिंह ने केंद्रीय कोयला मंत्री को पत्र भेजकर कोलियरी में कार्यरत श्रमिकों की समस्याओं के समाधान की अपील किया है। पत्र की प्रति राकोमसं नेता सिंह ने कोल इंडिया चेयरमैन सहित कोयला सचिव को प्रेषित किया है।

इस संबंध में राकोमसं नेता अजय कुमार सिंह ने 22 जून को जगत प्रहरी को बताया कि देश के पब्लिक सेक्टर (Public sector) में कोयला उद्योग में कोल इंडिया को महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त है। गलत कार्य योजना एवं कार्य संस्कृति के अभाव के कारण मुनाफा का ग्राफ कम है। सही धरातल पर सही चीजों का मूल्यांकन कर अगर निर्णय लिया जाए तो 3 माह के अंदर कोल इंडिया का मुनाफा दुगना हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बहुत से परियोजना ऐसे हैं, जो प्रशिक्षण केंद्र बनकर रह गया है। गलत कार्य संस्कृति इस बात का परिचायक है।

मई 2020 से मई 2021 तक को केंद्रबिंदु करें एक परियोजना पदाधिकारी का मई में पदस्थापना कथारा कोलियरी में किया जाता है। साथ ही अगस्त माह में स्वांग कोलियरी में किया जाता है। जनवरी माह में स्थानांतरण ढोरी क्षेत्र में किया जाता है। फिर अप्रैल माह में स्थानांतरण कथारा क्षेत्र किया जाता है। अंतिम स्थानांतरण आदेश अभी लागू भी नहीं हो पाया कि पुनः अलग कंपनी (बीसीसीएल) के लिए स्थानांतरण आदेश निर्गत किया जाता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि एक तो कंपनी में कार्यरत अधिकारी हो या कर्मचारी उसे मानसिक प्रताड़ना है।

साथ ही कंपनी को टीए डीए में लाखों रुपए का नुकसान। इस तरह के मामले एक नहीं दर्जनों है, जबकि प्रबंधन को ठोस निर्णय के तहत संपूर्ण उपयोगिता का ध्यान रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए। दूसरी ओर आज भी सिर्फ सीसीएल की बात करें तो करोड़ों का स्क्रैप एचईएमएम पार्ट्स का पड़ा हुआ है। वही कम से कम सीसीएल में चलने वाली लगभग 500 से अधिक गाड़ियां स्क्रैप में रहकर धूल मिट्टी में शामिल हो रहा है।

सिंह ने कहा कि सीसीएल की एकमात्र क्षेत्र की बात करें तो जानकर आश्चर्य होगा कि बरसों से करोड़ों रुपया का सैलरी की गुणवत्ता खराब हो रही है। यह कीमती स्लरी दामोदर में प्रवाहित हो रही है, लेकिन देश की बुनियादी चीजों को पूरा करने के लिए उसका सही सदुपयोग नहीं किया जा रहा है। एक तो राज्य के राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कोल इंडिया व सीसीएल का मुनाफा भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में कार्य संस्कृति कार्य योजना में बदलाव लाकर व्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए कोल इंडिया को मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।

सिंह ने कहा कि बहुत से ऐसे ही स्कीम है जिस स्कीम का कंपनी के सेहत के लिए अनुचित है। कंपनी जहां 10 साल 20 साल लाचार विवश कामगार को आधे तनख्वाह पर भुगतान करने की सहमति प्रदान करता है, लेकिन उसके आश्रित को नौकरी देना मुनासिब नहीं समझता है। योग्य व्यक्ति को कंपनी अपने कार्य में लगा कर उसके परिश्रम का अधिक लाभ ले सकती है। जिससे प्रतिष्ठान को मजबूती दिया जा सकता है। वहीं पर कुछ बने नियमावली के कारण कंपनी का लाखों लाख का नुकसान होता है। एक तरफ जहां कंपनी अपने अत्यधिक कामगार का रोना रोती है, वहीं दूसरी ओर आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दे रही है।

सही सदुपयोग नहीं करवा पाना यह प्रबंधन की विफलता है। करोड़ों रुपए की लागत से बना बोकारो जिला के हद में कथारा स्थित सीपीपी (कैपटिव पावर प्लांट) अपने अस्तित्व को बचाने का दंश झेल रहा है। सीसीएल प्रबंधन के गलत कार्य योजना के कारण लोगों का सही सदुपयोग नहीं करवा कर राष्ट्र का नुकसान समझ से परे है। कोल इंडिया के चेयरमैन तथा देश के कोयला मंत्री साथ ही कोयला सचिव अगर सिर्फ नगर महानगर और होटल में बैठकर समीक्षा करेंगे। निर्देश देंगे।

इसी तरह का नुकसान उठाता रहना पड़ेगा। जहां व्यवस्था की दोष होगी, वही दोषारोपण कामगारों के ऊपर होगा। अतः उपरोक्त सारे चीजों को गंभीरता से संज्ञान में लेकर होने वाले नुकसान को बचाकर देश के महारत्न कंपनी के मुनाफा को बढ़ाकर जो संशय की हालात परिस्थिति उत्पन्न हो रही है उसे दूर किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इंटक तथा राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ की ओर से वे मांग करते हैं कि गंभीर परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इसे संज्ञान में लेना आवश्यक है। अनियमितता को दूर करते हुए देश के विकास में सहायक कारगर साबित होने का प्रयास किया जाना आवश्यक है।

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