सरकारी मदद से राज्य के प्रगतिशील किसान कर रहे हैं स्ट्रॉबेरी की खेती

एस.पी.सक्सेना/रांची(झारखंड)। स्ट्रॉबेरी अब झारखंड (Jharkhand) के खेतों में भी अपनी रसीली लालिमा बिखेरने लगा है। सैकड़ों किसान परंपरागत खेती से अलग बाजार की मांग के अनुरूप कदमताल करने लगे हैं। उन्हीं में शामिल हैं पलामू के शुभम, रामगढ़ की गुलाबी देवी (Gulabi devi) और चाईबासा की सुनाय चातर, शंकरी कुंटिया, रानी कुंकल, सुनिता सामद जैसे सैकड़ों नाम। दो कदम आगे बढ़ अब इन किसानों ने टिशू कल्चर स्ट्रॉबेरी किस्म के पौधों को भी विकसित करना शुरू कर दिया है।
राज्य सरकार लगातार स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती में वैज्ञानिक विधि अपनाने पर बल दे रही है। समय-समय पर तकनीकी सहायता दिला रही है। सरकार की कूप निर्माण और सूक्ष्म टपक सिंचाई योजना स्ट्रॉबेरी की मिठास को बढ़ाने में सहायक हो रही है। सरकार स्ट्रॉबेरी की फसल की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध करा रही है। नतीजा जहां किसानों की आजीविका को गति मिल रही है, वहीं उन्हें प्रति एकड़ ढाई लाख रुपये तक की आमदनी भी हो रही है।
झारखंड सरकार ने किसानों को उन्नत कृषि योजनाओं से जोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। इच्छुक प्रगतिशील किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती की विधि की जानकारी उपलब्ध कराई गई। सरकार के सहयोग से उनके खेतों में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की गयी। प्रगतिशील किसानों के उत्साह के कारण स्ट्रॉबेरी की खेती अन्य किसानों के लिए प्रेरक बन रही है। ऐसे किसानों को भी स्ट्राबेरी की खेती से जोड़ने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है।
सूचना विभाग रांची के अनुसार झारखंड का स्ट्रॉबेरी बिहार, छत्तीसगढ़ तथा बंगाल के कई शहरों में भेजा जा रहा है। झारखंड के स्ट्रॉबेरी की मिठास किसी ठंडे प्रदेश में उत्पादित स्ट्रॉबेरी से कम नहीं है। झारखंड में इसकी खेती सैकड़ों एकड़ में हो रही है। अगर पलामू के हरिहरगंज की बात करें, तो यहां के किसान 30 एकड़ भूमि में स्ट्रॉबेरी उपजा रहे हैं। स्ट्रॉबेरी की मांग बाजार में काफी अच्छी है। विशेषकर कोलकाता में इसकी बिक्री हो रही है। कोलकाता के बाजार में स्ट्रॉबेरी पहुंचते ही हाथों हांथ क्रय कर लिया जा रहा है। इस तरह झारखंड के किसानों को राज्य सरकार द्वारा बाजार की मांग के अनुरूप स्ट्रॉबेरी, ब्रोकोली, वाटरमेलन, मस्कमेलन, बेबी कॉर्न तथा ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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