सुरेन्द्र वर्मा द्वारा लिखित नाटक मरणोपरांत का मंचन

एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। नाट्य संस्था रंगम द्वारा बीते 13 मार्च की संध्या सुरेन्द्र वर्मा द्वारा लिखित नाटक मरणोपरांत का मंचन पटना के कालिदास रंगालय में किया गया। जिसका परिकल्पना एवं निर्देशन रास राज ने किया। उक्त जानकारी चर्चित रंगकर्मी व् कलाकार साझा संघ के सचिव मनीष महीवाल ने दी।

महीवाल ने बताया कि प्रस्तुत नाटक मरणोपरांत के कथासार के अनुसार नाटक मरणोपरांत स्त्री-पुरूष एवं प्रेमी के त्रिकोणीय संबंधों पर एक कड़ी टिप्पणी है। स्त्री को अपनी संपूर्णता की तलाश में किसी गैर मर्द के साथ जुड़ जाना, बाद में ट्रक के साथ हैड लॉन्ग क्रैश स्त्री की मृत्यु हो जाना, उसके मरणोपरांत पति को प्रेमी के दिये कुछ निशानियों से पूरे प्रकरण का पता चल जाना नाटक का मुख्य रोमांच है।

महीवाल के अनुसार जब किसी स्त्री की शादी होती है, तो पति ही पहला व्यक्ति होता है। जब शादी के बाद किसी से प्रेम हो जाता है तो प्रेमी पहला व्यक्ति हो जाता है और पति दूसरा व्यक्ति बन जाता है। इस कहनी में भी कुछ ऐसा हीं है। प्रस्तुत नाटक में महिला पात्र आफिस में जॉब के दौरान पति की परवाह किये बिना गैर पुरुष को दिल दे बैठती है।

दोनो एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने लगते हैं। दोनो का प्यार, मोहब्बत परवान चढ़ने लगता है। अचानक एक दिन उसका ट्रक के साथ हैड लांग क्रैश एक्सीडेंट हो जाता है। पति को सूचना मिलती है। पति के हॉस्पिटल पहुंचने के 7-8 मिनट के बाद वह दम तोड़ देती है।

पत्नी के पर्स से प्रेमी के दिए कुछ महत्वपूर्ण निशानियों के साथ एक फ़ोन नंबर बिना नाम का मिलता है। इन चीज़ों के मिलने के बाद पत्नी के प्रेम रहस्य का पर्दाफाश होता है, कि उसकी पत्नी किसी दुसरे पुरुष के रिलेशनशिप में थी।

कहानी के अनुसार पति उस पुरुष को फ़ोन कर मिलने को कहता है। दोनों एक जगह पहली बार मिलते हैं। उनका सामना स्त्री-पुरुष संबंधों की सूक्ष्म पेचीदगियों और विवाहेत्तर संबंधों की कुंठाओं को प्रकट करता है। दोनों युवती के साथ साझा किए गए अंतरंग पलों का खुलासा कर एक-दूसरे को शर्मिंदा करते हैं। साथ ही ये भी पता चलता है कि दोनों पुरुष स्त्री को लेकर काफी पजेसिव थे।

महीवाल के अनुसार नाटकीय एक्शन तब और भी दिलचस्प हो जाता है जब दिखाया जाता है कि पत्नी अपने नए प्रेमी के लिए उसे लगभग छोड़ दिया था। विडम्बना यह कि निराश पति के पास अपनी बेवफा पत्नी से इसका कारण पूछने का भी अवसर नहीं है।

अंततः दोनों उस स्त्री को भूलने की राह की तलाश में निकल जाते हैं। उन्होंने बताया कि उक्त नाटक में निर्देशक ने अत्यधिक प्रयोगात्मक और बौद्धिक विषयगत डिजाइन के माध्यम से आंतरिक संघर्षों को उजागर किया है।

नाटक मरणोपरांत के मंच पर स्त्री की भूमिका रुपाली मल्होत्रा, पहला व्यक्ति रास राज, दूसरा व्यक्ति कुणाल सत्यन, वेटर चन्दन कुमार ने चरित्र कॉ जीवंत बनाया है। जबकि मंच से परे मंच संचालन विभा कपूर, प्रकाश परिकल्पना राहुल रवि, संगीत आदर्श राज प्यासा, अक्षय कुमार, मंच परिकल्पना सतीश कुमार एवं सुनील शर्मा, आदि।

टिकट पर शिवम कुमार, पिंकू राज, वस्त्र विन्यास पिंकू राज, निभा, रूप सज्जा निभा, फोटोग्राफी स्वस्तिक, विभा कपूर, प्रस्तुति संयोजक रमेश सिंह, मनोज राज, वीडियोग्राफी आदित्य शर्मा, निहाल कुमार दत्ता, प्रोडक्शन सत्यन फिल्म्स तथा जनता होमियो राजा बाज़ार, आफ्टर स्कूल गेट वेल मेडिकल, लिटिल क्रिएटर प्ले स्कूल, ऐड फॉर मैनकाइंड, शारदा पाइप, बहुरानी कलेक्शन, अमित फोटोग्राफी स्टूडियो, बिहार आर्ट थियेटर है।

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