मुजफ्फरपुर के सरैयागंज में काव्य गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन

एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। मुजफ्फरपुर के सरैयागंज स्थित श्री नवयुवक समिति सभागार में 30 जुलाई को काव्य गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया। गोष्ठी सह मुशायरा में उपस्थित रचनाकारों ने अपनी रचना प्रस्तुत कर भरपूर तालियां बटोरी। उक्त जानकारी मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज ने दी।

युवा कवियित्री सविता ने बताया कि नटवर साहित्य परिषद द्वारा आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी सह मुशायरा की अध्यक्षता प्रोफेसर डॉ पुष्पा गुप्ता एवं मंच संचालन डॉ विजय शंकर मिश्र ने किया। कार्यक्रम के अंत ने धन्यवाद ज्ञापन सुमन कुमार मिश्र ने किया।
उन्होंने बताया कि आयोजित कवि गोष्ठी में दर्जनों कवियों ने अपनी रचना पाठ कर भरपूर तालियाँ बटोरी।

उक्त काव्य गोष्ठी में विजय शंकर मिश्र ने बीत गए दिन मेघ नहीं आएं प्रस्तुत कर भरपूर तालियां बटोरी। सुमन कुमार मिश्र ने बरसों मेरे गांव में जलधर अमन चैन का बादल बनकर सुनाई और श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। डॉ पुष्पा गुप्ता की कविता होरी हो गइल धनवान धनिया पेन्ह चुनरी, अव त समय चढ़ल परवान को बहुत तारीफ मिली। डॉ जगदीश शर्मा ने भाई बहन का प्यार आ रहा रक्षा बंधन का त्योहार सुनाई।

सत्येंद्र कुमार सत्येन का हम हम त जाईब हो बलमुआ बाबा धाम भोजपुरी रचना ने भी महफिल में शमां बांध दिया। अंजनी कुमार पाठक की मार्मिक रचना तुम नहीं रहे घर बिखर गया, पतझड़ सा जीवन हो गया को भरपूर सराहना मिली।

इस अवसर पर कवि लोकनाथ मिश्र ने ज्वलंत मुद्दे पर अपनी रचना पूछ रहा है मणिपुर सुनाकर श्रोताओं को भाव विह्वल कर दिया। कवियित्री सविता राज की गजल लबों पर मुस्कान दिखानी होती है, हर दर्द सीने में छुपानी होती है को बहुत सराहना मिली। विजय शंकर प्रसाद ने अपनी रचना जहर और जिंदगी आज तो जैसे शहर सुनाई। संतोष कुमार सिंह ने मुझे स्वाभिमान है साहित्य पर प्रस्तुत की।

शशि रंजन वर्मा ने काहे गइलू धनिया नजरिया मिलाके सुनाई। सहज कुमार ने देशभक्ति रचना जहां बहती गंगा की धारा है, भारत देश हमारा है सुनाई।मुन्नी चौधरी ने देखो वर्षा ऋतु आई चारों ओर हरियाली छाई प्रस्तुत की।अरुण कुमार तुलसी ने सावन की रिमझिम बूंदें, मन में आग लगाई रचना प्रस्तुत कर हृदय स्थल को अतिरेक से परिपूर्ण कर दिया।

उमेश राज ने इंतज़ार है मुझे जब कोई किसान निकलेगा, संसद के सड़कों पर सुनाई। रामवृक्ष राम चकपुरी की रचना सुलग रही चिंगारी उठने लगी, लपटें जला देंगी बहुत ही उत्कृष्ट सृजन थी। रामकुमार यादव ने एक बार आंदोलन उठाएंगे शोषित वंचित को अधिकार दिलायेंगे सुनाया। मौके पर सुनील कुमार ओझा, सुरेंद्र कुमार आदि कविगण उपस्थित थे।

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