एकदिवसीय प्रमंडल स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन

राज्य सरकार जानवरों के प्रति संवेदनशील-मंत्री

दुग्ध उत्पादन व इससे निर्मित खाद्य पदार्थों के उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता-उपायुक्त

एस. पी. सक्सेना/देवघर (झारखंड)। एकदिवसीय प्रमंडल स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन 16 मार्च को देवघर में झारखंड (Jharkhand) के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

इस दौरान जिला उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री (District Deputy Commissioner Manjunath Bhajantri), पशुपालन निदेशक डॉ शशी प्रकाश झा एवं संबंधित विभाग के वरीय अधिकारी व तकनीकी टीम के सदस्य आदि उपस्थित थे।

एकदिवसीय प्रमंडल स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का शुभारंभ द्वीप प्रज्वलित कर मंत्री, उपायुक्त व उपस्थित जनप्रतिनिधियों, अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

एकदिवसीय प्रमंडल स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला के दौरान उपस्थित जानसमूह को संबोधित करते हुए मंत्री पत्रलेख ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उदेश्य है संथाल परगना के छः जिलों से आए हुए पशुपालन विभाग के अधिकारी, चिकित्सक, कर्मचारियों को बेहतर व आधुनिक जानकारियों से अवगत कराया जाय, ताकि ज्यादा से ज्यादा कृषकों एवं पशुपालकों को इसका लाभ मिल सके।

उन्होंने कहा कि संथाल परगना के किसानों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं का लाभ व जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले इसी उदेश्य से सभी को कार्य करने की आवश्यकता है। झारखंड में पशुपलान काफी पहले से होता आ रहा है। पशु यहां के किसानों के जीवन का अभिन्न अंग है।

इसके अलावा कृषि के लिए पशुओं से काफी मदद मिलती है। इस कड़ी को बेहतर बनाते हुए कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि कृषि व पशुपालन से यहां के किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके।

इसी उदेश्य से राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की अगुवाई में राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए और किसानों को अतिरिक्त आय दिलाने के लिए राज्य में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना चलायी जा रही है, ताकि राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसानों को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाया जा सके।

मंत्री ने कहा कि यह योजना ग्रामीण आबादी के आर्थिक उत्थान में झारखंड में मील का पत्थर साबित हो रही है। झारखंड के गांवो में रोजगार सृजन का यह एक महत्वपूर्ण जरिया बन रहा है।

उन्होंने अधिकारियों को कहा कि अधिक से अधिक पशुपालकों को राज्य में संस्थागत दूध संग्रह प्रणाली से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन मूल्य का लाभ मिल सके।

वर्तमान में सरकार द्वारा किसानों को समृद्ध बनाने के लिए कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा कई तरह की जन कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में योजनाओं का लाभ लेने से किसान वंचित रह जाते हैं।

विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों से भी अपील होगी कि अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा किसानों को योजनाओं की जानकारी देते हुए उन्हें भी योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित करें, ताकि सरकार का उद्देश्य पूरा हो सके और किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो सके।

उन्होंने जानकारी दी कि राज्य के पशुओं की देखभाल और संरक्षण के मामले में बड़ा फैसला लिया गया है। सरकार ने राज्य की गौशालाओं में पशुओं को खिलाने के लिए प्रति पशु 100 रुपये प्रतिदिन देने का फैसला किया है। पहले यह राशि 50 रुपये प्रति पशु प्रतिदिन के हिसाब से सिर्फ 6 महीने के लिए दी जाती थी।

राज्य सरकार ने इस राशि को एक साल के लिए बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया है। उन्होंने कहा कि जानवरों की देखभाल और उनकी रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिए राज्य पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि जानवर अपनी मांग नहीं उठा सकते, वे हमारी संवेदनशीलता पर निर्भर हैं। राज्य पशु कल्याण बोर्ड के माध्यम से उनकी सभी समस्याओं का समाधान किया जाता है।

उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने एकदिवसीय प्रमंडल स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला के दौरान मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि देवघर जिले में प्रमंडलीय कार्यशाला का आयोजन हर्ष की बात है। उन्होंने संथाल परगना के सभी छः जिलों से आए पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि कृषि, पशुपालन व सहकारिता विभाग का कार्य सेवाभाव एवं चुनौतियों से भरा है।

कृषि व पशुपालन हमारे लिए केवल उद्योग नहीं, बल्कि हमारी जरूरत और संस्कृति है। हम सभी का यह सामुहिक प्रयास होना चाहिए कि इस क्षेत्र में पारंपरिक तौर-तरीकों के साथ वैज्ञानिक पद्धति को जोड़ते हुए सरकार की जनकल्याकारी योजनाओं से कृषकों को लाभान्वित करना, ताकि सही मायने में किसानों को आत्मनिर्भर बनाते हुए उनकी आय को बढ़ाया जा सके।

उपायुक्त ने देवघर व दुमका जिला में गेंदा फूल के साथ साथ अन्य फूलों की खेती को भी बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा बाबा बैद्यनाथ मंदिर, बाबा बासुकीनाथ मंदिर एवं अन्य मंदिरों में सालों भर फूलों की खपत होती है।

ऐसे में बेहतर बाजार उपलब्धता के साथ यदि स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित और प्रशिक्षित कर फूलों की खेती से जोड़ते हुए कार्य करने की आवश्यकता हैं, ताकि इस दिशा में ज्याद से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके।



उन्होंने कहा कि देवघर जिले को दूध का हब बनाने के उदेश्य से कार्य योजना बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है। जिले में आज भी बाहर से दूध की खरीद की जाती है। दूध का हब बनाते हुए दही, खोवा, पनीर, पेड़ा एवं दूध से बनाये अन्य उत्पादों के मामले में देवघर को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। लोगों को रोजगार के नये अवसर इसके माध्यम से दिये जा सकते हैं।

पशुपालन निदेशक शशी प्रकाश झा ने कार्यक्रम के मुख्य बिन्दुओं व अपने-अपने जिलों में किये जाने वाले कार्यों की वास्तुस्थिति से सभी अवगत कराया। प्रशिक्षकों द्वारा पशुपालन विभाग के अधिकारियों व चिकित्सकों को तकनीकी जानकारियों के साथ स्कील रिसर्च न्यू डेवलपमेन्ट व टेक्नोलॉजी की विस्तृत जानकारी दी गयी।

एकदिवसीय प्रमंडल स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला के दौरान सशक्त व उन्नत कृषक बिषु महरा ने सरकार के सहयोग से अपने द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी से अवगत कराया। मौके पर मंत्री व उपायुक्त ने संथाल परगना के सभी जिलों से आए जिला पशुपालन पदाधिकारी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

इस दौरान उपरोक्त के अलावे क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन विभाग एवं राँची से आए डॉ रमेश तिवारी, डॉ विवेक कुमार सिंह एवं संबंधित विभाग के अधिकारी, चिकित्सक व कर्मचारी आदि उपस्थित थे।

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