जिला स्तरीय एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन

फास्टर केयर परिवारों का सर्वे कर करें चिन्हित-डीडीसी

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला समाहरणालय सभागार में 14 अक्टूबर को जिला बाल संरक्षण इकाई (जिला समाज कल्याण शाखा) झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था द्वारा बच्चों के लिए स्नेहपूर्ण परिवार अंतर्गत परिवार आधारित वैकल्पिक देख भाल (फोस्टर केयर) का जिला स्तरीय एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला की अध्यक्षता उप विकास आयुक्त कीर्तीश्री ने की। मौके पर संबंधित विभागों के वरीय पदाधिकारी, सभी प्रखंडो के बीडीओ, सभी सीडीपीओ, महिला पर्वेक्षिका आदि उपस्थित थे।

मौके पर उप विकास आयुक्त (डीडीसी) ने कार्यशाला के उद्देश्य को सभी संबंधित विभागों को समन्वय के साथ पूरा करने को कहा। उन्होंने फास्टर केयर परिवारों को चिन्हित करने को लेकर जिले में सर्वे कराने को लेकर संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया। साथ ही ऐसे परिवारों एवं बच्चों के संबंध में डाटा बेस तैयार करने को कहा।

फास्टर केयर को लेकर जन जागरूकता के लिए ग्राउंड स्तर पर व्यापक कार्यक्रम एवं प्रचार-प्रसार चलाने को कहा। उप विकास आयुक्त ने बाल विवाह मुक्त समाज निर्माण के दिशा में जिले में चल रहें कार्यक्रमों की जानकारी ली एवं आगामी 16 अक्टूबर को सभी विभागों के वरीय पदाधिकारियों की अगुवाई में अपने – अपने कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों की उपस्थिति में बाल विवाह नहीं करने एवं दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करने को लेकर शपथ लेने को कहा।

उन्होंने सभी संबंधित पदाधिकारियों को बोकारो जिला को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने के लिए संकल्प लेने को कहा। उन्होंने सभी को समन्वय के साथ बच्चों से जुड़े सभी संचालित योजनाओं में गंभीरता के साथ काम करने एवं बेहतर प्रदर्शन करने की बात कहीं।

इससे पूर्व, कार्यशाला में तकनीकी सहयोग कर रही संस्था मिराकेल फाउंडेशन इंडिया रांची की सहायक प्रबंधक अरूंधती भट्टाचार्य ने क्रमवार कार्यशाला के उद्देश्यों को बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों को परिवार आधारित और वैकल्पिक देखभाल की दिशा में बदलाव लाना है।

कहा कि देखभाल संस्थानों को अंतिम विकल्प के रूप में देखते हुए परिवार, रिश्तेदारी, फोस्टर केयर, स्पॉन्सरशिप, एडॉप्शन, आफ्टर केयर जैसे विकल्पों से जोड़कर उन्हें परिवार या परिवार जैसे माहौल में रखना बच्चों के सर्वोत्तम हित में होता है। कहा कि बच्चों के लिए ऐसे विकल्पों पर विचार करते हुए तदनुसार उनके परिवार से अलगाव की रोकथाम एवं गेट कीपिंग की प्रक्रिया स्थापित करना आवश्यक हो जाता है।

जिससे बच्चों को स्थाई रूप से परिवार में रहना संभव हो सके। यदि किन्हीं कारणों से बच्चे का पालन पोषण उसके घर में सुनिश्चित नहीं हो पा रहा हो तब उसे फोस्टर केयर जैसी सेवाओं से जोड़ने के विकल्पों को देखना आवश्यक हो जाता है।

आयोजित कार्यशाला में इस बात पर बल दिया गया कि समितियों एवं बोर्ड द्वारा बच्चों के संबंध में उपर्युक्त निर्णय लेने हेतु बच्चे की व्यक्तिगत देखरेख योजना और सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट से मिली जानकारी और जांच कर्ता द्वारा सुझाई गई योजना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।

मौके पर प्रधान दंडाधिकारी किशोर न्याय बोर्ड ने बोर्ड के समक्ष आए मामलों के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दी। वहीं, संबंधित पदाधिकारी ने पोक्सो कानून, बाल विवाह से संबंधित मामलों की भी जानकारी दी। कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों द्वारा जिला स्तर पर परिवार आधारित एवं वैकल्पिक देखभाल सेवाओं को बढ़ावा देने हेतु कार्ययोजना बनाकर संबंधित जिले में लागू कराने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर प्रधान दंडाधिकारी किशोर न्याय बोर्ड, जिला श्रम अधीक्षक प्रवीण कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी जगरनाथ लोहरा, जिला शिक्षा अधीक्षक मो. नुर आलम खान, जिला खेल पदाधिकारी हेमलता, सहायक जनसंपर्क पदाधिकारी अविनाश कुमार, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अनिता झा, आदि।

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष शंकर रवानी, सदस्य प्रीति, रेणु रंजन, प्रगति शंकर, रजि अहमद, संरक्षण पदाधिकारी सरीता कुमारी, विधि सह परा. गौशुल अहमद, प्रखंडों के बीडीओ, सीडीपीओ, महिला पर्वेक्षिका, सहयोगिनी के सदस्य आदि उपस्थित थे।

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