ओड़िशा के मुख्यमंत्री ने किया बाजरा सम्मेलन का उद्घघाटन

भुवनेश्वर में किसानों की आय बढ़ाने के लिए 2500 करोड़ का निवेश

पीयूष पांडेय/बड़बील (ओड़िशा)। हाल के दिनों में पोषक तत्व यथा बाजरा आहार का हिस्सा बन गया है। राज्य में आदिवासियों द्वारा बाजरा को कई वर्षों से संरक्षित किया गया है। इस खेती को बढ़ावा देने, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों की आय और आजीविका बढ़ाने के लिए 2500 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है।

इसके लिए सरकार सीधे तौर पर मंडिया वसूल रही है। उक्त बातें ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 10 नवंबर को मंडिया दिवस के अवसर पर जनता मैदान में ओड़िशा सरकार द्वारा पहली बार आयोजित अंतरराष्ट्रीय बाजरा सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर कही।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बाजरा के भविष्य का रोडमैप तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ओड़िशा में बाजरा मिशन 2017 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बाजरा को आधुनिक समाज की खाद्य प्रणाली के एक अनिवार्य हिस्से के रूप में बहाल करना है, ताकि हर आम व् खास आदमी की थाली में बाजरा हो। कहा कि मोटे अनाज और बाजरा आधारित उद्यमों के माध्यम से आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाया जाएगा।

कहा कि चूंकि बाजरा की खेती में ताजे पानी का उपयोग होता है, इसलिए इस प्रक्रिया में कम कार्बन पैदा होता है। ओड़िशा सरकार ने पोषण को बहाल करने और इसे मुख्यधारा में लाने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाया है।

इस अवसर पर राज्य के कृषि मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वायकु ने कहा कि राज्य के 30 जिलों के 177 ब्लॉकों में बाजरा मिशन लागू किया गया है। बाजरा की खेती और प्रसंस्करण में महिला किसानों और मिशन शक्ति की महिला सदस्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि ओड़िशा ने बाजरा मिशन ने न केवल राज्य या देश बल्कि पूरे विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के डीजी हिमांशु ठाक ने कहा कि आईसीएआर ने 5 साल में 9 बाजरा की 125 किस्में विकसित की हैं। बीते 3 साल में रिसर्च पर 250 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।

इस अवसर पर विकास आयुक्त अनु गर्ग ने कहा कि बाजरा ओड़िशा की आदिवासी कृषि और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बाजरे की खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि एवं किसान अधिकारिता सचिव डाॅ प्राथमिक सूचना एवं कृषि-खाद्य उत्पाद निदेशक प्रेमचंद्र चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किया। धन्यवाद ज्ञापन अरविंद पाढ़ी ने किया।

इस अवसर पर, बाजरा की खेती में विशेष योगदान के लिए 5 किसानों को और उत्पादन और समग्र कार्य के लिए सुंदरगढ़, कोरापुट, रायगड़ा और नुआपाड़ा जिलों को सम्मानित किया गया। कॉफ़ी, टेबल, बुक्स और विशेष डाक कवर का अनावरण किया गया। मौके पर रिकी केज और शेफ विकास खन्ना भी मौजूद थे।

ज्ञात हो कि, पिछले वर्ष 6 लाख मीट्रिक टन बाजरे का संग्रहण हुआ था। इस पर 250 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। इस वर्ष 30 जिलों के 177 ब्लॉकों में ढाई लाख हेक्टेयर में मंडिया की खेती की गयी है। इससे राज्य के दो लाख किसान जुड़े हैं।

इस सम्मेलन में 6 देशों सऊदी अरब, घाना, फिजी, केन्या, नेपाल के प्रतिनिधि, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधि, कर्नाटक, बिहार समेत विभिन्न राज्यों के कृषि सचिव व् अन्य राज्यों के किसान शामिल हुए हैं।

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