केंद्रीय योजना कार्यान्वयन को लेकर ओड़िशा और केंद्र सरकार आमने-सामने

पीयूष पांडेय/बड़बिल (ओडिशा)। बीजू जनता दल (बीजद) सरकार ने राज्य में पीएम एसएचआरआई पहल को लागू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के दो पत्रों का अभी तक जवाब नहीं दिया है।

केंद्र प्रायोजित पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम एसएचआरआई) योजना को लागू करने में ओडिशा सरकार की अनिच्छा ने सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) शासन और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली (भाजपा) केंद्र सरकार को टकराव की राह पर खड़ा कर दिया है।

जानकारी के अनुसार बीते 7 सितंबर 2022 को शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य देश भर में 14,500 से अधिक स्कूल स्थापित करना है। इसके पहले चरण में 6,207 स्कूलों की पहचान की गई है।

बीजद सरकार ने पिछले तीन महीनों में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखे दो पत्रों का अभी तक जवाब नहीं दिया है। जिसमें उनसे मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के साथ ओड़िशा राज्य में योजना का कार्यान्वयन करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया गया है।

यह दूसरा ऐसा उदाहरण है जब बीजद सरकार ने केंद्रीय मंत्रियों के बार-बार पत्रों और अनुरोधों के बावजूद, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के उद्देश्य से एक प्रमुख केंद्रीय योजना आयुष्मान भारत को लागू करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है।

बीजेडी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पीएमश्री राज्य सरकार की विशाल परियोजना की तुलना में एक छोटी योजना है, जिसने अब तक अपने बहुप्रतीक्षित फाइव टी (टीम वर्क, प्रौद्योगिकी, पारदर्शिता, परिवर्तन) के तहत 6,872 हाई स्कूलों को बदलने के लिए ₹3,411 करोड़ खर्च किए हैं।

सरकार की नजर अब कॉलेजों में भी इसी तरह के हस्तक्षेप पर है। इसने ओडिशा आदर्श विद्यालय (ओएवी) पहल के तहत राज्य के 314 ब्लॉकों में 315 स्कूल भी स्थापित किए हैं, जिसका उद्देश्य अंग्रेजी-माध्यम में गुणात्मक और सस्ती शिक्षा प्रदान करना है। सभी ओएवी आधुनिक शिक्षा प्रौद्योगिकी से सुसज्जित हैं और छात्रों को उच्च कुशल शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता है। बीजेडी ने कहा कि ओएवी में वे सभी तत्व हैं जिन्हें पीएमश्री लागू करना चाहते हैं।

ऐसे समय में जब नवीन पटनायक सरकार की स्कूल परिवर्तन पहल के लिए प्रशंसा की जा रही है, नरेंद्र मोदी सरकार पीएमश्री योजना के माध्यम से लाभ हासिल करने की कोशिश कर रही है। इस संबंध में बीजद प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार 2014 में सत्ता में आई, लेकिन शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने में उसे नौ साल लग गए।

बीजेपी का कहना है कि यह बड़ी बाधा है। राज्य भाजपा प्रवक्ता पृथिराज हरिचंदन ने कहा कि राज्य भाजपा इकाई ने प्रतिवाद किया कि बीजद सरकार देश में आधुनिक शिक्षा लाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा बन गई है। कहा कि राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र के समग्र विकास के बारे में कम चिंतित है। इसकी हर योजना और कार्यक्रम के पीछे मुख्य उद्देश्य प्रशंसा जीतना है।

ओडिशा सरकार ने यह भी कहा है कि उसकी अपनी बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना (बीएसकेवाई) आयुष्मान भारत से बेहतर है। जहां आयुष्मान भारत प्रति परिवार ₹5 लाख का वार्षिक स्वास्थ्य कवर प्रदान करता है, वहीं बीएसकेवाई महिलाओं के लिए ₹10 लाख तक के इलाज का खर्च वहन करता है।

बीजेडी नेता ने कहा कि बीएसकेवाई के तहत सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बिल भी नहीं दिया जाता है। जबकि 2023 में आयुष्मान भारत के लिए ₹7,200 करोड़ का बजटीय आवंटन था। कहा गया कि ओडिशा सरकार ने अकेले 2023 में बीएसकेवाई के तहत ₹2,528.22 करोड़ की प्रतिपूर्ति की।

बीजद नेता ने कहा कि इस योजना ने अब तक राज्य में 99.09 लाख (83 प्रतिशत) परिवारों को कवर किया है। इसलिए पीएमश्री योजना राज्य के लिए अस्वीकार्य है।

अनुभवी पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रबी दास के अनुसार, यदि ओडिशा सरकार पीएमश्री के कार्यान्वयन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करती है, तो उसे केंद्र की कुछ शर्तों का पालन करना होगा। यह राज्य के लिए अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि, स्कूली शिक्षा हमेशा राज्य सरकार की जागीर रही है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा ने भुवनेश्वर मेट्रो परियोजना के कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाए हैं, जिसके लिए राज्य का खजाना ₹6,500 करोड़ खर्च करेगा। कहा कि नवीन पटनायक सरकार मेट्रो रेल परियोजना के आंशिक वित्तपोषण के लिए केंद्र से संपर्क कर सकती थी। जैसा कि अतीत में कई राज्य सरकारों ने किया है। इसके बजाय, बीजद सरकार पूरी लागत वहन कर रही है, जो जनता के पैसे की बर्बादी है।

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