जाको राखे साइयां मार सके न कोय

अपनों ने नवजात को ठुकराया, गैरो ने उसे अपनाया

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। जाको राखे साइंया मार सकै न कोय। जिसे अपनों ने ठुकराया और मौत का निवाला बनने के लिए छोड़ दिया उसे अंजान दंपत्ती ने ममता की छाँव देकर अपनाया। यह कोई मिथक नहीं बल्कि सत्य घटना है।

घटना वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर औद्योगिक थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव की है जहां बीते 5 सितंबर को एक नवजात बालिका केले के खेत में कीचड़ में फेंकी हुई पाई गई। किसी बेरहम माँ ने किसी मजबूरी में अपने कलेजे के टुकड़े को जन्म लेते ही मौत का निवाला बनने के लिए केले के बाग में रात्रि में ही फेंक दिया था।

बच्ची पूरी तरह से कीचड़ में लिपटी हुई थी। वहीं पर गांव के एक दंपति उषा देवी और विद्यासागर पासवान ने बच्ची को देखा और वहां से उठाकर पुलिस की मदद से सदर अस्पताल हाजीपुर में भर्ती करा दिया। बच्ची के प्रति पासवान दंपति का प्यार उमड़ आया। उन लोगों ने ठान लिया कि इस नवजात को गोंद लेकर अपनी बेटी के रूप में पालन- पोषण करेंगे।

जानकारी के अनुसार इसे लेकर 8 सितंबर को वैशाली के जिलाधिकारी यशपाल मीणा के जनता दरबार में आवेदन देकर पासवान दंपति ने उस नवजात बालिका को गोद लेने की इच्छा जताई। जिलाधिकारी द्वारा इस पर पूरी जानकारी प्राप्त की गई।
इस संबंध में पासवान ने बताया कि उसके तीन पुत्र हैं, लेकिन कोई पुत्री नहीं है। अतः वे इस बच्ची को गोद लेना चाहते हैं।

जिलाधिकारी द्वारा मामले में सज्ञान लेते हुए सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई वैशाली एवं बाल कल्याण समिति वैशाली को नवजात बालिका को दत्तक ग्रहण में देने के संबंध में नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। साथ हीं अपने कार्यालय में ही जिलाधिकारी ने बच्ची का नाम चंद्रमा पर पहुंचे भारतीय चंद्रयान के रोवर का नाम प्रज्ञान के नाम से प्रज्ञा रखा।

बताया जाता है कि उक्त मासूम बच्ची अस्पताल के चिकित्सको की देखरेख में अब पूर्णतः स्वस्थ है और नए मां बाप की गोद में अठखेलियां कर रही है। इसे कहते है कुदरत का करिश्मा।

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