उन्नाव रेप केस: SC ने पांचों केस दिल्ली किए ट्रांसफर

साभार/ नई दिल्ली। उन्नाव रेप पीड़िता (Unnao rape victim) के एक संदिग्ध सड़क हादसे में घायल होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को बेहद सख्त रुख अपनाते हुए इस केस से जुड़े सभी पांच मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही केस की सुनवाई के लिए 45 दिन की डेडलाइन भी तय कर दी है। सड़क हादसे की छानबीन भी एक हफ्ते के अंदर पूरी करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह पीड़िता के परिजनों को 25 लाख रुपये का मुआवजा भी दे। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यदि घायल पीड़िता के परिवारवाले इच्छा जाहिर करें, तो उसे इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में शिफ्ट किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को दिनभर उन्नाव मामले पर ऐक्टिव रहा। कोर्ट ने गंभीर रूप से घायल पीड़िता के स्वास्थ्य के प्रति गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कई सवाल किए। मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि वह इस मामले को जल्द से जल्द रफा-दफा करना चाहती है। कोर्ट ने तलब की गईं सीबाईआई की जॉइंट डायरेक्टर संपत मीणा से पीड़िता की पिता की हिरासत में हुई मौत को लेकर भी कई कड़े सवाल किए।

सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने कहा कि हम पीड़िता के लिए अंतरिम मदद की अपील भी स्वीकार करते हैं। यूपी सरकार (UP Government) को आदेश दिया जाता है कि वह पीड़िता को अंतरिम मदद के तौर पर 25 लाख की सहायता राशि दे। बाद में जरूरत के हिसाब से आर्थिक मदद की राशि बुलाई जा सकती है। सीजेआई ने पीड़िता के स्वास्थ्य के प्रति चिंता जाहिर करते हुए अच्छे इलाज के लिए एम्स शिफ्ट करने की मंशा जताई। उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर्स सबसे अच्छे जज हैं। वही बता सकते हैं कि क्या पीड़िता और उनके वकील को दिल्ली एयरलिफ्ट किया जा सकता है या नहीं?’

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि पीड़िता का स्वास्थ्य अभी कैसा है? इस पर मेहता ने बताया कि वह वेंटिलेटर पर है। फिर जजों ने पूछा कि क्या उन्हें (पीड़िता को) शिफ्ट किया जा सकता है? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह कुछ कह नहीं सकते। फिर कोर्ट ने कहा कि अगर संभव हो तो उसे हवाई जहाज से दिल्ली लाकर ऐम्स में भर्ती कराएं। इसके बाद दोपहर बाद जब फिर सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया। इसके साथ ही कहा कि परिजन चाहें तो पीड़िता को एम्स में शिफ्ट किया जाए।

सीजेआई रंजनन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस ए बोस की बेंच बेंच ने सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल को कहा कि इस मामले को जल्द खत्म करना चाहते हैं, आप कितने दिनों में स्टेटस रिपोर्ट सौंप देंगे? इस सवाल पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एक महीना तो लग जाएगा। इस पर जजों ने कहा कि नहीं, 7 दिनों में स्टेटस रिपोर्ट आ जानी चाहिए। जैसे भी हो, हम इसे 7 दिनों में खत्म करना चाहते हैं।

खुद सीजेआई ने उनसे पूछा, ‘क्या आर्म्स ऐक्ट में पीड़िता के पिता की गिरफ्तारी हुई थी? क्या पीड़िता के पिता की मौत हिरासत में हुई थी? हिरासत में लिए जाने के कितने देर बाद उनकी मौत हुई थी?’ सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अस्पताल में इलाजरत पीड़िता की हेल्थ रिपोर्ट 2 बजे तक सौंपने को कहा। जजों ने पूछा कि क्या घायल पीड़िता को अभी एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाकर एम्स में भर्ती कराया जा सकता है?

गौरतलब है कि रेप कांड के मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर पर आरोप है कि उसने रेप पीड़िता के पिता को अपने गुंडों से पिटवाया और फिर अवैध हथियार रखने के मामले में जेल भिजवा दिया। उनकी जेल में ही मौत हो गई। बाद में सीबीआई की जांच में पता चला था कि पुलिस वालों ने ही पीड़िता के पिता को अवैध हथियार रखने के झूठे मुकदमे में फंसाया था। पीड़िता के चाचा को भी रेप कांड के मुख्य आरोपी और तत्कालीन बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई की पिटाई के करीब दो दशक पहले के केस में जेल में बंद कर दिया गया। उन्हें 28 जुलाई के सड़क हादसे में जान गंवाने वाली अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए परोल पर रिहा किया गया है।


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