मराठा आरक्षण पर रोक से सुको का इंकार

साभार/ नई दिल्ली/ मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षिक संस्‍थानों और सरकारी नौकरियों में मराठों को आरक्षण देने पर महाराष्‍ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि शीर्ष अदालत ने महाराष्‍ट्र सरकार को नोटिस जारी करके दो हफ्ते में जवाब मांगा है। इस मामले में अब अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम शैक्षिक संस्‍थानों और सरकारी नौकरियों में मराठों को दिए गए आरक्षण को रद्द करने के लिए दायर अपील पर सुनवाई करेंगे।’ सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर स्‍टे देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में जो भी मराठा रिजर्वेशन के तहत अभी ऐडमिशन हो रहे हैं वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित होंगे। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद महाराष्‍ट्र सरकार को बड़ी राहत मिली है।

बता दें कि इसी साल महाराष्‍ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाला है, ऐसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला देवेंद्र फडणवीस के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। मराठाओं को नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 16 फीसदी रिजर्वेशन को मंजूरी के साथ ही अब महाराष्‍ट्र में आरक्षण 70 फीसदी तक हो गया है। उधर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर भी सवाल खड़े हो गए हैं, जिसमें उसने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तक तय की थी।

महाराष्ट्र हाई कोर्ट की जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे की पीठ ने मराठा आरक्षण को संवैधानिक तौर पर वैध करार दिया। यह मुद्दा सूबे में लंबे समय से विवाद और बहस का विषय रहा है। हालांकि कोर्ट ने राज्य सरकार से 16 फीसदी रिजर्वेशन की बजाय इसे शिक्षा में 12 फीसदी और नौकरियों में 13 पर्सेंट तक करने का सुझाव दिया है।

आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण के साथ ही महाराष्ट्र में आरक्षण 70 फीसदी तक पहुंच गया है। इस आदेश से अब आरक्षण को लेकर नई चीजें सामने आ सकती हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा तय की थी। इस लिहाज से गुरुवार का हाई कोर्ट का फैसला अहम है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत आरक्षण के लिए 50 फीसदी की लिमिट तय की थी।

मराठा आरक्षण को मंजूरी देते हुए कोर्ट ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में 50 फीसदी कोटे की इस सीमा को पार किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा, ‘यदि विशेष परिस्थिति हो तो 50 फीसदी की सीमा को पार किया जा सकता है। हमें लगता है कि जस्टिस एम.बी गायकवाड़ आयोग ऐसा दिखाने में सफल रहा है।’ मराठा कोटे को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि बैकवर्ड क्लास कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में यह साबित किया है कि मराठा सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े हैं। इसके अलावा सरकारी नौकरियों में भी उनका प्रतिनिधित्व कम है।

 

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