सोशल मीडिया पर वायरल होता यह संदेश

मुंबई। हाल के दिनों में सोशल मीडिया (व्हाट्सअप) पर एक तरफ आतंकवादी तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की चर्चा जोरों पर चल रही है। वहीं इन दिनों व्हाट्सअप पर हमारे प्रधानमंत्री के खिलाफ देश के व्यापारियों में अलग चर्चा है। इस तरह अब देश के लगभग सभी व्यापारी एक सूत्र में बंधते जा रहे हैं। इतना ही नहीं व्यापारियों में मौजूदा सरकार के खिलाफ रोष के साथ-साथ विरोधी कदम उठाने पर भी विचार किया जा रहा है। बिना संशोधित चर्चा कुछ इस तरह का है।

व्यापारी मित्रों : चुनाव के पहले tax terror को समाप्त करने का वादा करने वाले मोदी जी अपने वादों से भटक गए हैं। इतना ही नहीं उनकी सरकार ने tax terror को कई गुना बढ़ा दिया है। Income tax raid, search, seizure, scrutiny cases, reassessment, notices आदि अपनी चरम सीमाएं पार कर चुकी है। इस तरह पूरे देश मे भय का माहौल बना दिया है। मोदी जी खुद के गुणगाण में, विदेश भ्रमण मे और प्रवचनों में व्यस्त हैं वहीं अरूण जेटली जी रोज व्यापारियों को जेल भेजने और परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं।

व्यापारियों का कहना है कि इससे पहले किसी भी सरकार ने इस तरह की हरकत नही की, वादे के मुताबिक विदेशों से काला धन लाने के नाम पर फूटी कौड़ी भी नही आई तो जेटली ने अपना चेहरा छिपाने के लिये देश के व्यापारियों के पीछे पड़ गये है। अब भाजपा सरकार देश में ही धन की तलाश में जुट गई है। इसके अलावा नाकाम सरकार ने यह दिखाना शुरू किया है कि व्यापारी समाज भ्रष्ट है। जबकि लाखों- लाख करोड़ डकारने वाले, चुनाव मे बेशुमार काला धन खर्च कर चुनाव जीतते हैं और लोगों को ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हैं। इतना ही नहीं मौजूदा सरकार करदाताओं को ही कर चोर साबित करने में लगी है। इन्हीं कारणों से देश में आतंक और मंदी का माहौल है, भ्रष्ठ अफसर मौज कर रहे हैं। इस सरकार में निवकमे, कामचोर, निर्ल्लज, भ्रष्ठ, घूस खोर अधिकारीयों की पूरी फौज सक्रिय हो गई है। घूसखोरी चरम पर है,यहां कोई रोकटोक नही है, officers को मनमानी करने की छूट है।

व्यापारियों का कहना है कि हम खुद पुंजी (capital) लाते है, दिन रात मेहनत करके, खून पसीना बहाकर, चौबीसों घंटों चिंतित रहकर, अपनी सुख सुविधाओं को त्याग कर काम में लगे रहते है। इसके लिए व्यापार और केवल व्यापार के बारे में ही सोचते और विचार करते हैं। इसके लिए घर, परिवार, समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य का ख्याल भी नहीं करते पाते, केवल काम की धुन रहती है। व्यापार के सिवा कुछ भी नही, हमारे working hours समाप्त ही नही होता।

बस लगे ही रहते है। व्यापार को बढ़ाने के आपाधापी मे मालूम ही नही होता कि कब कौन सी बीमारी लग गई, तब लगता है कि शरीर के बारे में भी सोचना चाहिये था, कितने समाजिक काम रह गये, घर परिवार का नही सोचा, केवल व्यापार और काम के बारे में ही सोचा,जी तोड़ मेहनत करके चार पैसे जोड़ लिये पर काफी कुछ छूट जाता है। इसके बाद भी हम व्यापारियों को संतोष रहता है कि हम कभी थके नही, काम करते गये, खुद काम मे लगे और बहुतों को काम दिया। और न जाने कितने ही परिवारों का पालन पोषण किया व कराया।

अपनी मेहनत के बदौलत पूराने नये business को, तिल तिल कर आगे बढ़ाया, असफलता का मुकाबला किया, कितने risk लिये, कितनी कठिन स्थिति से गुजरे, समय- समय पर लिये सटीक निर्णय आदि का खयाल कितना संतोष देता है,पर कहीं से किसी भी तरह कोई भी मंत्री हमारी देश हित मे भागीदारी का उल्लेख नही करता?

ऐसे में लगता है की इस देश मे व्यापार करना कोई बड़ा अपराध है। व्यापारियों के लिए इतने कानून बना दिये है, इतने license बना दिये है, इतने तरह की formalities है कि इनका ठीक ठीक maintenance सम्भव ही नही है। जिसवेत्र् कारण इनमें ही ज्यादा समय, और शक्ति लगती है, कारोबार के लिये कम समय रह जाता है। और यही से सरकारी अफसरों की मनमानी शुरू होती है, यहीं से घूसखोरी और भ्रष्टाचार का जन्म होता है। यह तो कानून बनाने वाले भी जानते है कि इतना सम्भव ही नही है, पर उनको इससे क्या?

बताते चलें की घूसखोरी और भ्रष्टचार को बढ़ावा देना जिनका मकसद है वे कभी भी सुधार नही चाहते? जब मन किया notice भेज दिया, जब मन किया detalis मांग ली, जब भी दिल किया पूछताछ के लिये चले आये, हमको तो आतंकवादियों से भी ज्यादा जिल्लत और अपमान सहना पड़ता है। इससे क्या फायदा होता है, किसका भला होता है, क्या मकसद पूरा होता है, देश का समाज का कुछ भला होता है क्या? ये भ्रष्ठ officers लोग वया काम कर रहे है, ये देश को दीमक की तरह चाट रहे है, खोखला कर रहे हैं। इस कारण कारोबारी समाज का शिक्षित नवजवान, और वर्तमान पीढी business मे रुचि नही लेती, दूसरों को काम देने की क्षमता रखने वाले खुद काम माँग रहे है। आरामतलब जिंदगी की तमन्न रखने वालों के सामने बहूत ही भयावह स्थिति है।

ये देश हित मे नही है, जिस समाज ने करोड़ों करोड़ों हाथों को काम दिया है उसका उदासीन होना खतरनाक है। कितनी भी विदेशी पूँजी आ जाये, कितने भी नये रोजगार पैदा हो जाये किंतु इसकी भरपाई सम्भव नही, बिना मतलब के कानूनों को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिये single point taxation ही इसका उपाय है।

हम व्यापारी तो हाथ जोड़ कर tax देना चाहते है पर इतने तरह के tax, इतने तरह के झंझट नही चाहते, जितना जरूरी हो एक साथ, एक ही जगह tax लगा देना चाहिये। ताकि हम भी खुश सरकार भी खुश! लेकिन इन भ्रष्ट officers, inspectors, notices, licences, renewals, records maintainance आदि से मुक्ति चाहते हैं। हम चाहते है की एक नम्बर दो नम्बर के बही खातों और कच्चे पक्के बही खातों की समाप्ति हो? लेकिन ये सब भ्रष्ट कानूनों और भ्रष्ट सरकारी अफसरों की देन है की हमको इस तरह के भ्रष्ठ व्यवस्था मे लिप्त किया गया है, हमारी चाहत नही है बल्कि मजबूरी है।

हम तो परेशान है, त्रस्त है और इसकी समाप्ति चाहते है। हम middle class के छोटे बड़े कारोबारी शांतिप्रिय लोग है। हमको अपने दो हाथों, अपनी मेहनत और कार्य कुशलता पर भरोसा है हम जंगल मे मंगल कर सकते है। हम विदेशी capital या किसी reservation के मोहताज नही है। हम दंगा फसाद, आगजनी, आंदोलन, हिंसा वाले लोग नही है।

हम तो हाथ जोड़ कर माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी से विनती करते है कि यदि हमारी मांगो मे जरा भी सचाई हो और यदि उनको लगे कि ये सारी मांगे जायज है तो कृपया ? सही मायने में ये समय की माँग है और सबसे बढ़कर यह देश हित में है। कृपया कानूनों की जटिलताओं से व्यापार को मुक्त कराएं हम व्यापारी समाज और ये देश हमेशा आपके ऋणी रहेंगे।
(व्यापारी मित्रों से निवेदन है, यदि उनको उचित लगे तो ज्यादा से ज्यादा forward करिये)

अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा की की व्यापारियों द्वारा लगातार पोस्ट किया जा रहा यह व्हाट्सअप संदेश का क्या असर होता है। इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि इस सच्चाई को सरकार हजम कर पाती है या नहीं?

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