रामनाथ कोविंद बने देश के 14वें राष्ट्रपति

नई दिल्ली। देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को शपथग्रहण किया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस खेहर ने उन्हें संसद के केंद्रीय हाल में शपथ दिलाई। राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने अपने पहले भाषण में अपनी जीवन यात्रा, देश के मौजूदा हालात और भविष्य की संभावनाओं को लेकर अपनी बातें रखीं। शपथ ग्रहण में पीएम मोदी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार समेत राजनीति जगत के कई दिग्गज शामिल हुए।

सबसे पहले रामनाथ कोविंद महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने राजघाट पहुंचे। उसके बाद रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहां पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया।

शपथ ग्रहण के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा ”मैं यूपी के एक छोटे से गांव से हूं। मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं। मेरी यात्रा लंबी रही है, लेकिन ये यात्रा सिर्फ मेरी नहीं रही है, बल्कि मेरे देश और समाज की यही गाथा है।”

देश की विभिन्नता और विविधता को देश की ताकत बताते हुए कोविंद ने कहा, ”हम अलग जरूर है, लेकिन एकजुट हैं।” उन्होंने कहा, ”विविधता ही हमारा आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है। इस देश में हमें राज्यों, क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, सस्कृतियों और जीवनशैलियों जैसी कई बातों का मिलन देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं।” उन्होंने देश के निर्माण में देश की पुलिस, सेना और किसान राष्ट्र निर्माता बताया।

रामनाथ कोविंद ने कहा ”मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ लोगों को नमन करता है। मुझे अहसास है कि मैं डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणव मुखर्जी जैसी विभूतियों के पद्चिह्नों पर चलने जा रहा हूं।” राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गांव परौंख में लोग ढोल-मंजीरे बजाकर जश्न मना रहे हैं।

इससे पहले राष्ट्र के नाम आख़िरी संबोधन में निर्वतमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि समाज में बहस होना ज़रूरी है, लेकिन इसमें हिंसा की कोई जगह नहीं है। उनके विदाई संबोधन में एक तरफ जहां भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा का दर्द साफ दिखाई दिया, वहीं प्रदूषण और जयवायु परिवर्तन को लेकर भी वे चिंतित दिखाई दिए। भीड़ की हिंसा पर प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमें अपने जन संवाद को शारीरिक और मौखिक, सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा।

पर्यावरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा हमारे अस्तित्व के लिए बहुत जरूरी है। प्रदूषण और जयवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए उन्होंने सभी को साथ मिलकर काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि हम सबको मिलकर कार्य करना होगा क्योंकि भविष्य में हमें दूसरा मौका नहीं मिलेगा।

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