यूथ विथ ए मिशन की दरिया दिली

लॉकडाउन में जरूरतमंदों का बना सहारा

आनंद मिश्रा/ मुंबई। कोरोना (Coronavirus) की चक्की में पीस रही जनता को राहत पहुचाने वाली यूथ विथ ए मिशन की दरिया दिली ने देश के धनाठ्यों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। लॉक डाउन के दौरान इस संस्था ने करीब 80 हजार से अधिक बेसहारों का सहारा बनने का गौरव हासिल किया है। एक तरफ कोरोना वायरस ने देश को पंगू बना दिया है वहीं इसके प्रकोप ने देश की सरकार को लॉक डाउन लगाने पर मजबूर कर दिया। ‘यूथ विथ ए मिशन’ लॉक डाउन के दौरान मुंबई शहर के लाखों बेसहारा लोगों का सहारा बना।

बता दें कि यूथ विद ए मिशन (Youth With A Mission) नामक गैरसरकारी संस्था पिछले 30 सालों से देशभर के अनेक शहरों में अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम की बदौलत लोगों को राहत पहुचा रहे हैं। इस टीम के कार्यकर्ताओं को जैसे ही पता चला कि न सिर्फ मुंबई बल्कि आसपास के इलाकों में हजारों निरीह, बेसहारा मजदूर और गरीब भूखे रहने को मजबूर हैं तो उन्होंने तुरंत ही अपनी टीम तैयार की और अपने मिशन को पूरा करने में लग गए। इस दौरान टीम ने मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, वसई, नालासोपारा आदि इलाकों में फसे व जरूरतमंदों की जरूरतों को पूरा करने की हर संभव कोशिश की।

इस मिशन के तहत जहां जितने जरूरतमन्द लोग मिले उन्हें सहायता पहुंचाओ, उन्हें पका पकाया खाना दो। गरीब परिवारों को राशन दो और अगर कोई अस्पताल जाने के लिए सड़क पर पड़ा हो तो उन्हें पहुंचाओ। बस क्या था टीम के डायरेक्टर मारीमुथु (Mari muthu) की अगुवाई में चार सूत्रीय एजेंडा तैयार किया गया जिसमें स्वयंसेवकों ने अपनी सराहनीय भूमिका निभाई।

इसके बाद फंसे हुए गरीबों की मदद के लिए चार प्रोजेक्ट लांच किए गए। पहले प्रोजेक्ट के तहत इनकी टीम ने 6700 खाने के पैकेट अलग-अलग पॉकेट्स में बांटे। जबकि दूसरे प्रोजेक्ट के तहत टीम के सदस्यों ने करीब 10,000 राशन के किट्स को जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाया। बताया जाता है कि हर किट में 7 दिनों का पर्याप्त खाद्यान दिया गया। इसके अलावा जोगेश्वरी, आरे कॉलोनी, अंधेरी, सीप्ज और कांदिवली जैसे एरियाज में खाने के पैकेट भी बांटे गए।

मारीमुथु ने बताया कि तीसरे प्रोजेक्ट के तहत हमने अपनी ड्यूटी निभा रहे मुंबई पुलिस के जवानों को भी नारियल पानी, मिनरल वाटर, फल और मास्क वितरित किया। यहां हमारी टीम के कार्यकर्ताओं को 200 किलोमीटर तक की दूरी भी लॉकडाउन में नापनी पड़ी। जबकि चौथे प्रोजेक्ट के तहत नंगे पांव भटक रहे प्रवासी मजदूरों को खाने के पैकेट पानी फल और स्नैक्स वितरित किए। मारीमुथु जो कि “सेंटर फॉर अर्बन मिशन” के डायरेक्टर हैं, उन्होंने बताया कि इस मिशन की बदौलत बेघर, अंधे, शारीरिक रूप से विकलांग, विधवाओं, ट्रांसजेंडर, प्रवासी मजदूर, जनजातीय लोगों, एचआईवी से पीड़ित तंग गलियों और बस्तियों में रहने वाले करीब 80,000 लोगों तक अपनी सेवाएं पहुंचाई।

मिशन के इस काम से खुश आरे कॉलोनी में रहने वाली सरस्वती ने बताया कि उनका परिवार बहुत बड़ी मुश्किल में था, रोज कमाने वाले उनके पति काम पर नहीं जा सके। जिसके कारण हमरे परिवार के सामने भुखमरी की नौबत आ चुकी थी। ऐसे में “यूथ विद ए मिशन” के स्वयंसेवक देवदूत बनकर आए और हमें राशन देकर जिंदा रखा। हम उनके सदैव आभारी रहेंगे।

कुछ इसी तरह धन्यवाद के शब्द निकालते हुए जोगेश्वरी के अमानतुल्लाह खान ने कहा कि लाकडाउन उनके ऊपर कहर बरपा रहा था और उनके सारे कमाई के साधन बंद हो चुके थे। यहां तक कि रोजी रोटी के लाले पड़े गए। ऐसे में खुदा के इन नेक बंधुओं ने हमें बहुत सहायता की। अल्लाह उनको बरकत दे।   अपने इस मिशन और विजन के बारे में प्रकाश डालते हुए मारी मुथु ने कहा, “हमारी संस्था इसीलिए बनी है कि हम जो कुछ भी सोसाइटी से लेते हैं उन्हें वापस दें। आज जब हमारे भाई बंधू मुश्किल में है तो उनकी मदद करना हमारा धर्म है और हमने अपना धर्म निभाया है।

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