नांदेड चुनाव में निपट गए क्षेत्रीय दल

मुंबई। नांदेड महानगरपालिका के चुनाव में कांग्रेस को उम्मीद से कहीं ज्यादा सीटें मिलने से बीजेपी में भारी निराशा है, लेकिन यह बात दोनों राष्ट्रीय दलों के लिए उत्साह बढ़ाने वाली है कि इन्हें मिलने वाले वोट प्रतिशत में भारी बढ़ोतरी हुई है। यहां के मतदाताओं ने क्षेत्रीय दलों को पूरी तरह से निपटा दिया है, उन्होंने शिवसेना, राकांपा और एमआईएम को घर बिठा दिया।

हिंदुत्व का कार्ड खेलने और महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता पर राजनीतिक करने वाली शिवसेना का हाल सबसे बुरा रहा। 2012 के चुनाव में शिवसेना ने 15 सीटें जीती थी और उसे 18.5 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार उसे 7 प्रतिशत वोट ही मिले। यही हाल हैदराबाद के ओवैसी की पार्टी एमआईएम का भी हुआ। एमआईएम को पिछले चुनाव में 22 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 11 प्रत्याशी जीते थे।

इस बार एमआईएम का खाता भी नहीं खुला और वोट का प्रतिशत गिरकर 7 पर आ गया। शिवसेना और एमआईएम को लगभग एक समान ही वोट मिले। शरद पवार की राकांपा का भी बुरा हाल हुआ। पार्टी 10 सीटों से सीधे शून्य पर आ गई। पिछले चुनाव में जहां पार्टी को 16 प्रतिशत वोट मिले थे, इस चुनाव में उसे महज 3.65 प्रतिशत वोट मिले। दूसरी ओर, राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के वोट प्रतिशत में भारी इजाफा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के गढ़ नांदेड में पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। यहां की कुल 81 सीटों में से 73 कांग्रेस ने जीती।

उसे मिलने वाले वोट प्रतिशत में भी इजाफा हुआ। पिछले चुनाव में पार्टी को 40.41 प्रतिशत वोट मिले थे, इस बार 46.28 प्रतिशत मिले हैं। महाराष्ट्र में राज करने वाली बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए, लेकिन चव्हाण परिवार के गढ़ को नहीं ढहा सकी। लेकिन पार्टी के वोट प्रतशित में भारी इजाफा हुआ है। पिछले चुनाव में बीजेपी को 3.81 प्रतिशत वोट मिले जो इस बार बढ़कर 24.64 प्रतिशत हो गए। उसे 5 सीटें मिली हैं, जबकि 2012 के चुनाव में उसे 2 सीटें ही मिली थीं।

शिवसेना सांसद संजय राऊत ने इसपर कहा, ‘नांदेड अशोक चव्हाण परिवार और कांग्रेस का गढ़ रहा है। चव्हाण परिवार के खिलाफ बीजेपी ने जो नकारात्मक प्रचार किया उसका कांग्रेस को फायदा हुआ। रही बात बीजेपी की, तो उसने स्थानीय नेताओं की खरीदी फरोख्त की। दूसरे दल से लाकर उम्मीदवार बनाया। बीजेपी ने प्रचार में पूरी सरकार उतार दी। उसके वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी दूसरे दलों से आए लोगों के कारण हुई है।’

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