अब ट्रेन में स्टील की जगह लगेगी प्लास्टिक की टोटी

संवाददाता/ मुंबई। ट्रेनों के उत्कृष्ट रैक में हजार से ज्यादा चोरियों के चलते रेलवे ने महंगे स्टेनलेस स्टील फिटिंग्स को प्लास्टिक से बदलने से फैसला किया है। पिछले महीने हमारे सहयोगी अखबार मुंबई मिरर ने उत्कृष्ट रैक के टॉइलट और वॉशबेसिन से 5 हजार से ज्यादा स्टेनलेस स्टील टैप की चोरी की खबर प्राथमिकता से प्रकाशित की थी। इसके बाद चोरों और बदमाशों को रोकने के लिए रेलवे को यह फैसला लेने पर मजबूर होना पड़ा।

रेलवे डेटा के अनुसार, ट्रेनों के उत्कृष्ट रैक से स्टेनलेस स्टील फ्रेम के साथ 2 हजार से अधिक बाथरूम मिरर, 500 लिक्विड सोप डिस्पेंसर और करीब 3 हजार फ्लश वॉल्व गायब हैं। बता दें कि रेलवे ने अपनी लंबी दूरी की ट्रेनों के अपग्रेडेशन के लिए 2018 में करीब 300 उत्कृष्ट रैक लॉन्च की थी। इसमें यात्रियों की सुविधा के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे और शौचालय को उत्कृष्ट बनाने के लिए स्टील की महंगी फिटिंग्स लगाई गईं।

उत्कृष्ट रैक सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे दोनों को उपलब्ध कराए गए थे। इनमें एलईडी लाइट्स के साथ टॉइलट्स में फ्रेशनर लगाए गए। रेलवे अधिकारी ने कहा कि पिछले महीने चोरों की वजह से सेंट्रल रेलवे को 15.25 लाख रुपये का जबकि पश्चिमी रेलवे को 38.58 लाख रुपये का नुकसान हुआ। उत्कृष्ट कोच के अंदर चोरी और तोड़फोड़ को देखते हुए अधिकारियों ने इसका समाधान निकाला और सभी महंगी स्टील फिटिंग को कम कीमत वाले प्लास्टिक फिटिंग से बदलने का फैसला किया।

सेंट्रल रेलवे (Central Railway) के एक अधिकारी के अनुसार, ‘इस तरह की बड़ी चोरी को देखते हुए रेलवे कोच में महंगे स्टेनलेस स्टील फिटिंग्स को रिप्लेस करना असंभव होगा।’ उन्होंने कहा, ‘चोरों की हरकत रोकने के लिए पुराने प्लास्टिक डिजाइन पर ही वापस आना होगा। इसका मतलब यह है कि कुछ शरारती तत्वों की वजह से सभी ग्राहकों को उत्कृष्ट रैक सेवा से वंचित होना पड़ेगा।’

उत्कृष्ट रैक में प्लास्टिक के रिप्लेसमेंट की लागत भी कम जाएगी। स्टील का एक टैप 300 से 450 रुपये का आता है, जबकि प्लास्टिक के एक टोटी में 60 से 80 रुपये ही खर्च होंगे। साथ ही इनकी रीसेल वैल्यू भी काफी कम होगी।

जोनल रेलवे यूजर्स कंसल्टेटिव कमिटी के एक सदस्य ने लोगों से रेलवे संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की है। एक यात्री सुभाष गुप्ता ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यात्री इसके पीछे दोषी हैं। यह संभव नहीं है कि शौचालय से आने वाले प्रत्येक यात्री को चेक किया जाए। रेलवे को दोषी ठहराने के बजाय हम लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।’

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