लॉकडाउन में NTC कामगारों की सैलरी बंद

प्रधानमंत्री मोदी से लगाई गई गुहार

प्रहरी संवाददाता/ मुंबई। कोरोना महामारी के दौरान नेशनल टैक्सटाइल कॉरपोरेशन (NTC) की ओर से इसके हजारों कर्मचारियों और कामगारों के लिए बुरी खबर आई है। पता चला है कि सरकारी स्वामित्व वाली इस एनटीसी ने मई और जून से देश भर के अपने कामगारों और कर्मचारियों को तनख्वाह देना बंद कर दिया है और इन्हें ज्यादा तकलीफ इस बात की है कि इस बाबत कॉरपोरेशन ने अभी तक कोई स्पष्टीकरण भी जारी नहीं किया है।

हरेंद्र कोसिया

इनके साथ दोहरी दिक्कत यह है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दौरान यह अपना विरोध जताने के लिए सड़क पर भी नहीं आ सकते। एनटीसी के अनुसूचित जाति जनजाति एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेंद्र कोसिया ने जगत प्रहरी को बताया कि उनके एसोसिएशन की तरफ से पीएमओ, लेबर मिनिस्ट्री और एनटीसी के सीएमडी को इस बाबत 24 जून को पत्र लिखकर तुरंत वेतन रिलीज करने की मांग की गई है।

लेबर मिनिस्ट्री ने उनके पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि इसे संबंधित डिपार्टमेंट को फॉरवर्ड कर दिया गया है, कृपया आप उनसे संपर्क करें। परंतु इसके बावजूद भी आज हालात यह है कि एनटीसी की तरफ से अभी भी इन्हें किसी भी प्रकार की कोई सैलरी नहीं मिली है और यह भूखों मरने के लिए मजबूर हैं।

सूत्रों के अनुसार एनटीसी को हर साल अपने कर्मचारियों कामगारों और अधिकारियों को तनख्वाह पर 350 करोड रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसके तीन सौ मैनेजमेंट कर्मचारी और 7200 कर्मचारियों की हालत काफी खराब हो चली है। यहां तक कि जब मार्च में लॉकडाउन लगाया गया था तो भी उस महीने में किसी ने इनकी सैलरी में 25 से 40 तक की भारी कटौती कर दी गई थी।

सरकार के इस कदम को अमानवीय करार देते हुए कोसिया ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार की मंशा यही है कि एनटीसी को बंद कर दिया जाए और इनके कामगारों को उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया जाए।

कोसिया ने याद दिलाया कि एनटीसी का 1983 में इसीलिए टेकओवर किया गया था कि ताकि इसमें काम कर रहे कर्मचारियों और कामगारों की सामाजिक और मानसिक सुरक्षा का ख्याल रखा जा सके। गौरतलब है कि इस मिल के आम कामगारों को 15000 रुपये तक की मासिक सैलरी मिलती है।

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