भीड़ जुटाने वाले पीआर एजेंसियों की चांदी

राजनीति चमकाने में लगे निकम्मे उम्मीदवार

मुंबई। लोकसभा चुनाव के महाकुंभ में कौन हारेगा – कौन जितेगा यह तो समय ही बताएगा। लेकिन मौजूदा समय में पीआर एजेंसियों की चांदी हो गई है। इस बार के चुनाव में निकम्मे उम्मीदवार भी अपनी राजनीति को चमकाने के लिए सोशल मीडिया, पीआर एजेंसियों के अलावा भाड़े के टट्टुओं को जमा करने वालों पर दिल खोल कर नोटों की बौछार कर रहे हैं। इस बात का खुलासा प्रतिदिन व्हाट्सऐप्प पर आने वाली वीडियो क्लिप्स हैं।

व्हाट्सऐप्प और यूट्यूब की खबरों को गौर से देखने पर पता चलता है कि जो शख्स कांग्रेस गठबंधन का झंडा लिए जनता से कांग्रेस को जिताने कि अपील कर रहा था। वही शख्स दूसरे वीडियो में गले फाड़-फाड़ कर महायुति के लिए वोट मांगता देखा गया। इस वीडियो को देखने से ऐसा लगता है कि कांग्रेस गठबंधन से अधिक महायुति के उम्मीदवार द्वारा धन वर्षा किया गया है।

बहरहाल इस बार के लोकसभा चुनाव में मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र का तापमान बढ़ गया है। इस मौसम में पीआर एजेंसियों की चांदी हो गई है। मतदाताओं को रिझाने के लिए निकम्मे उम्मीदवार भी अपनी राजनीति को चमकाने के लिए इन एजेंसियों की मदद ले रहे हैं। राज्य में सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता अपनी छवि चमकाने, भाषण तैयार करने, सोशल मीडिया प्रोफाइल का प्रबंध देखने के लिए जनसंपर्क (पीआर) और समाचार निगरानी एजेंसियों की सेवाएं ले रखी है।

दिल्ली स्थित एक पीआर कंपनी के संस्थापक सुनील खोसला ने कहा कि आज के दौर में राजनीतिक जनसंपर्क रैलियों और पारंपरिक प्रचार तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे काफी आगे निकल गया है। उन्होंने कहा कि राजनीति पीआर बहुत वैज्ञानिक, आक्रामक और विशिष्ठ हो गया है। यह ग्राहकों के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाता है जहां बोले गए हर शब्द का एक रणनीतिक मतलब होता है, जिसका ठीक से पालन नहीं करने पर प्रतिकूल असर हो सकता है।

उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि एजेंसियों को सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए वीडियो बनाने का काम सौंपा गया है। साथ में लोगों के बीच उम्मीदवारों की छवि बदलने का काम भी सौंपा गया है। उद्योग के वरिष्ट पेशेवर हेमांग पलान ने कहा कि सोशल मीडिया के प्रभाव पर विचार करते हुए लगभग सभी प्रत्याशियों ने फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप्प ग्रुप के जरिए लोगों से जुड़ रहे हैं।

वह 2014 के चुनाव में भाजपा के कुछ प्रत्याशियों के मीडिया प्रबंधक थे। भाजपा के एक नेता एवं लोकसभा सदस्य ने कहा कि इन एजेंसियों की सेवा लेना वक्त की जरूरत है। यह उम्मीदवारों की रणनीति बनाने में मदद करते हैं। मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कहा कि उन्होंने अपनी और पार्टी की मदद के लिए दो एजेंसियों की सेवा ली है।

उन्होंने कहा कि वे हमारी विभिन्न रणनीतियों को बनाने में मदद करते हैं, लेकिन आपको भी समान रूप से स्मार्ट और सक्रिय होने की जरूरत है। जन संपर्क पेशेवर आपकी अकेले मदद नहीं कर सकते हैं। आईटी उद्योग से जुड़े टीवी मोहनदास पाई के मुताबिक, सोशल मीडिया लोकसभा चुनाव में चार-पांच प्रतिशत मत को प्रभावित कर सकता है। इसलिए जहां जीत का अंतर कम होता है वहां यह अहम कारक बन गया है।

 


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