घाटे से जूझ रही मोनो रेल का भरोसा नहीं!

कहीं भी हो सकती है बंद?

मुश्ताक खान/ मुंबई। लगातार घाटे में चल रही मोनो रेल (Monorail) सोमवार की सुबह करीब 10 साढ़े दस बजे मैसूर कॉलोनी मोनो रेलवे स्टेशन (Mysore Colony Mono railway station) और भारत पेट्रोलियम मोनो रेलवे स्टेशन (Bharat Petroleum mono railway station) के बीच अचानक बंद हो गई। इसके अचानक बंद होने से यात्रियों में अफरा तफरी मच गई। बंद होने के करीब डेढ़ – दो घंटे बाद राहत कार्य शुरू हुआ। इस बीच दो फायर ब्रिगेड के वाहन दल बल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे, जबकि अडानी इलेक्ट्रिक (Adani Electricity) कंपनी का मैन लिफ्ट पहले से मौके पर मौजूद था। यह हादसा वाशीनाका के कोयना कॉलोनी के सामने की है।

मिली जानकारी के मुताबिक लगभग एक घंटे से एक ही स्थान पर रूकी मोनो रेल को देखकर स्थानीय नागरीक चौंक गए। इस दौरान मोनो रेल के एक कोच का कांच खोल कर यात्रियों ने मदद की गुहार लगाई। हालांकि इस दौरान मोनो रेल के पायलट ने कंट्रोल रूम को सूचना दे दी थी। वहीं आर सी मार्ग स्थित वाशीनाका के स्थानीय लोगों ने अपनी तरफ से मदद करनी चाही। जो की नामुमकीन था, इसलिए लोगों ने पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दे दी। इतना सब कुछ होते-होते काफी समय बीत चुका था। इस बीच अडानी इलेक्ट्रिक कंपनी का मैन लिफ्ट घटना स्थल पर पहुंच चुका था। इसके बाद एक के बाद एक दो फायर ब्रिगेड के दो एएलपी (एरियल लाडर प्लेटफार्म) वाहन दल-बल के साथ घटना स्थल पर पहुंची। फायर ब्रिगेड के एडीएफओ हरीश गिरकर के नेतृत्व में यहां राहत कार्य होने वाला था। लेकिन इस दौरान एमएमआरडीए की दूसरी मोनो रेल में ऊपर से ऊपर ही राहत कार्य शुरू किया जा चुका था।

एमएमआरडीए प्रशासन

सोमवार 23 सितंबर 2019 की घटना के मुद्दे पर एमएमआरडीए के ज्वाइंट प्रोजेक्ट डायरेक्टर दिलीप कवाथकर से संपर्क करने पर उन्होंने बताया की वडाला से चेंबूर जाने वाली मोनो रेल में कुल 38 यात्री थे, उन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया। इसके अलावा अन्य जानकारी के लिए उन्होंने मूर्ती जी का मोबाईल नंबर दिया। उक्त नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद अपना परिचय व दिलीप कवाथकर का हवाला देते हुए मूर्ती जी को व्हाट्सप्प और एसएमएस भी किया गया लेकिन 24 घंटा बीतने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। सूत्र बताते हैं कि शायद उन्हें पत्रकारों से एलर्जी है।

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) ने मोनो रेल सेवा को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया था। उसके बाद से अब तक दर्जनों बार मोनो रेल की सेवाएं ठप्प हो चुकीं हैं। इसके बाद फिर से एमएमआरडीए द्वारा धूमधाम से मोनो रेल की सेवा की बहाल कराया गया। लेकिन सेवा शुरू होने के दूसरे दिन फिर से मोनो रेल ठप्प हो गयी है। रविवार दोपहर चेंबूर नाका स्टेशन के करीब इंटरनेट के वायर में फंसने की वजह से ट्रेन बंद पड़ी थी। अचानक ट्रेन के बंद होने की वजह से यात्री ट्रेन में ही फंस गए। घटना की जानकारी मिलते ही दमकल विभाग के अधिकारी घटना स्थल पर पहुंच कर सीढ़ियों की सहायता से ट्रेन में फंसे यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इसके बाद दमकल के अधिकारियों ने ट्रैक के करीब मौजूद इंटरनेट के केबल को काटा, जिसके बाद दोबारा मोनो सेवा शुरू हुई।

उल्लेखनीय है कि पहले फेज उदघाटन अघाड़ी सरकार ने किया था। जबकि दूसरे फेज का उदघाटन राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने किया। इसके बाद 9 नवंबर 2017 को शॉर्ट सर्किट की वजह से मोनो रेल के दो डिब्बे जलकर खाक हो गए थे। मैसूर कॉलोनी स्टेशन पर खड़ी गाड़ी में आग लगने के कारणों का पता लगाने व भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने तक एमएमआरडीए ने मोनो सेवा को बंद करने का निर्णय लिया था। बताया जाता है कि अगजनी की घटना के बाद करीब 10 महीने मोनो रेल पूरी तरह ठप्प रही। नवंबर में ठप्प पड़ी मोनो सेवा को फिर से बहाल किया गया है।

मोनो रेल का बड़ा हादसा टला

एमएमआरडीए की लापरवाहियों का एक नहीं अनेक उदाहरण है। एक बार रात के समय चेंबूर स्टेशन के पास एक ही ट्रैक पर दो मोनो रेल आमने-सामने आ गर्ईं, हालांकि दोनों में भिड़ंत नहीं हुआ, जिससे बड़ा हादसा टल गया। इसके बाद जांच में पता चला कि तकनीकी खराबी के कारण एक ही ट्रैक पर दोनों मोनो रेल आमने -सामने आ गई थी। एमएमआरडीए (मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी) ने बताया की पावर सप्लाई बाधित होने की वजह से एक मोनो रेल बीच में रुक गई थी, उसे वहां से खींचने के लिए दूसरी रेल को भेजा गया था।


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