हाजी बोन सेटर के पास आते हैं नेता और अभिनेता

वैद्यकीय उपचारों का साइड इफ़ेक्ट नहीं होता

मुश्ताक खान/ मुंबई। हाड वैद्य सेंटर (Had Vaidya centre) पर एका एक सैकड़ो लोगों की चौंकाने वाली भीड़ ने चंद पलों के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया। आखिर माजरा क्या है यह जानने के लिए मैं भी वहां पहुंचा तो खुद को रोक नहीं सका और अनायास ही हंसी आ गई। क्योंकि हाजी मोहम्मद युसुफ हाड वैद्य उपचार केंद्र में सिने जगत को दो अभिनेता अपना उपचार कराने आए थे। उन्हें देखने के लिए लोगों का हुजूम वहां लगा था। इस भीड़ में हर कोई एक दूसरे को पीछे कर खुद अभिनेताओं के साथ सेल्फी लेने के लिए बेताब था। दर्जनों फिल्में और धारावाहिकों में अपना अभिनय दिखा चुके भुपेंद्र सिंह और सुरेंद्र ठाकुर ने अपने दर्शकों का दिल नहीं तोड़ा बल्कि तकलीफ में होने के बावजूद दोनों अभिनेताओं ने अधिकांश लोगों के साथ फोटों खिंचवाए।

आधुनिकता के इस युग में भी वैद्यकीय उपचारों का बोल -बाला है, यही कारण है कि इस दौर में भी हाड वैद्यों (बोन सेटरों) की डिमांड कम होने के बजाय दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। क्योंकि मौजूदा परिस्थितियों में लोग ऑपरेशन व साईड इफेक्ट से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचारों को वरीयता दे रहे हैं। बात मंगलवार की रात की है।

कुर्ला पूर्व के कामगार नगर (Kurla East, Kamgar Nagar) में स्थित हाजी मोहम्मद युसूफ रहीम बक्श कुरैशी हाड वैद्य सेंटर (Haji Mohammad Yusuf Rahim Baksh Qureshi Had Vaidya Centre) है। इस सेंटर में हाजी साहब के साहबजादे हाजी अनवारुल हक अपनी टीम के साथ लोगों की नस और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का बखूबी इलाज करते हैं। करीब 7 पीढ़ियों से हाड वैद्य का काम कर रहे हाजी अनवारुल हक परिवार में अब हाजी मोहम्मद युसुफ रहीम बक्श कुरैशी नहीं रहे, लेकिन उन्होंने अपने कुशल कार्यों के बदौलत उत्तर प्रदेश से लेकर मुंबई सहित उपनगरों में भी अपने अनुभव का लोहा मनवा दिया। अब उनके इस काम को हाजी अनवारुल हक कर रहे हैं। उनके इस काम में हाजी साहब के बेटे फजले हक भी साथ देते हैं। कुर्ला पूर्व के कामगार नगर स्थित हाजी मो युसूफ हाड वैद्य सेंटर अपने नेकनामी की वजह से मशहूर है। इस सेंटर में नेता और अभिनेता भी अपने हाथ पैर का इलाज कराने आते हैं। हड्डियों से जुड़े हर तरह का इलाज इस सेंटर में बिना किसी चीर-फाड़ के ही किया जाता है।

आईए जानते हैं कुछ बातें बोन सेटर की जुबानीः

हाड वैद्य हाजी अनवारूल हक उत्तर प्रदेश, बाराबंकी जिला में झीवली के रहने वाले हैं। करीब 300 वर्ष पूर्व हाजी अनवारूल हक के पूर्वजों ने हाड वैद्य का काम उत्तर प्रदेश में शुरू किया था। जो धीरे -धारे यूपी से होते हुए मुंबई तक पहुंचा है। बोन सेटर हाजी साहब के सेंटर में हड्डियों से जुड़े लगभग सभी मामलों को वैद्यकीय तेल की मालिश व बांस की लकड़ियों से ठीक किया जाता है। यहां कोई एवस- रे या प्लास्टर नहीं किया जाता। हाजी अनवारूल हक के अनुसार हाथ, पैर, गर्दन, कमर व शरीर के किसी भी अंग की हड्डियों में मोच, अलगाव या टूट जाने पर वैद्यकीय तेल मालिश कर ठीक किया जाता है। जो कि अंग्रेजी दवाइयों के मुकाबले काफी बेहतर और सस्ती है। जड़ी बूटी से बने तेलों से एक दो नहीं हादसों में सात सात टुकड़े हुए हड्डियों को बिना एवस-रे देखे ही जोड़ने का श्रेय हाजी मो़ युसूफ ने लिया। उन्हीं की राह पर चल पड़े हाजी अनवारूल हक को भी इस काम में महारत हासिल है।

बोन सेटरः

हाजी अनवारूल हक ने एक सवाल के जवाब में बताया कि दवा के तौर पर इस्तेमाल होने वाली वैद्यकीय तेल को तैयार करने के लिए उन्हें जंगलों की खाक छाननी पड़ती है। उन्होंने कहा कि यूपी के पीलीभित के जंगलों से उन्हें अधिकांश जड़ी बूटी मिल जाती है। लेकिन इस जंगल में खतरनाक जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। हाड वैद्य हाजी अनवारूल हक ने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को मैने बरकरार रखा है।

इसके साथ मेरी कोशिश यह होती है कि अपने क्षेत्र के कम पढ़े लिखे व बेरोजगार युवकों को इस गुण से परिपूर्ण कर, उन्हें रोजगार के योग्य बनाते हैं। मौजूदा समय में मेरे साथ करीब एक दर्जन युवक जुड़े हैं। इनमें करीब 6 लड़के हाड वैद्य के गुणों से परिचित हो चुके हैं व अन्य अभी सीख रहें हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई व उपनगरों में जहां भी हाड वैद्य का उपचार होता है, उनमें अधिकांश यहां से सीखे हुए युवक ही हैं। उन्होंने कहा कि इस उपचार के जरीये हम गरीबो की मदद भी करते हैं। इसके अलावा जो पैसा देने में सक्षम नहीं हैं उनका इलाज मुफ्त में करते हैं।

बोन सेटर (Bone Setter) अनवारुल हक ने कहा कि विज्ञान चाहे जितना भी ततरक्की कर ले, उसे आयुर्वेद का मोहताज रहना ही पड़ता है। क्योंकि आयुर्वेदिक उपचारों में किसी प्रकार के रासायनिक केमिकल आदि कि मिलावट नहीं होती। यही कारण है कि आयुर्वेद का कोई दुष्परिणाम नहीं होता। इस उपचार में खाने की कोई दवा नहीं दी जाती। इन्हीं कारणों से हमारे यहां आम लोगों के अलावा खास व नेता और अभिनेता बेधड़क आते हैं।

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