महा-वॉलेट करेगा नकदी की किल्लत दूर

मुंबई। नोटबंदी के फैसले के बाद से ही लोगों को हो रही कैश कि किल्लत को कम करने के लिए महाराष्ट्र सरकार महा वॉलेट लाने की तैयारी में है। दरअसल सरकार का उदेश्य कैशलैस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने का है।

इस योजना के बारे में राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुंगंतीवार ने कहा, “मैंने इस संबंद्ध में सूचना तकनीक विभाग से एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। प्रस्ताव के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया जाएगा। मैंने 15 दिनों के बीतर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है।”

मुंगंतीवार ने बताया, ‘महा-वॉलेट एक सुरक्षित ई-सेवा होगी, जिसके इस्तेमाल से लोगों के पैसे सुरक्षित रहेंगे। हम एक ऐसी व्यवस्था विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं जिसके माध्यम से महाराष्ट्र के 11.97 करोड़ लोगों की जरूरतों का ध्यान रखा जा सके।’

आईटी विभाग का प्रस्ताव कई बातों का ध्यान रखेगा। इसमें नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने में वाले लोगों और इसे इस्तेमाल नहीं कर सकने वाले लोगों का भी ख्याल रखा जाएगा। साथ ही, स्मार्टफोन और फीचर फोन इस्तेमाल करने वालों, मोबाइल का उपयोग नहीं करने वालों के अलावा उन लोगों का भी ध्यान रखा जाएगा जो तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।

राज्य के वित्तमंत्री ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि महा-वॉलेट की यह व्यवस्था छोटे विक्रेताओं, किसानों और नकद पैसों का इस्तेमाल करने वाले लोगों की मदद कर सके।’ इस प्रस्ताव में यह भी शामिल किया जाएगा कि उपभोक्ता महा-वॉलेट में कितना पैसा जमा कर सकेंगे। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि कितने लोगों के पास बैंक खाता है और कितने लोग क्रेडिट व डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं।

ये सभी आंकड़े भी जमा किए जाएंगे। मुंगंतीवार ने बताया, ‘हमारी कोशिश एक कैशलेस व्यवस्था विकसित करने की है। हम जानते हैं कि नकद का इस्तेमाल बिल्कुल खत्म कर देना मुश्किल काम है। हम ऐसा सिस्टम बनाना चाहते हैं जहां लोगों को कम नकद साथ रखना पड़े।’

उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही आईटी विभाग उन्हें प्रस्ताव तैयार करके देगा, यह मामला आगे की कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री के पास ले जाया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से कैशलेस सोसाइटी को बढ़ावा देने के लिए जो समिति बनाई गई है, उसमें देवेंद्र फडणवीस भी सदस्य हैं। हाल ही में बाकी सदस्यों के साथ हुई एक बैठक के दौरान उन्होंने कहा था कि किसानों, मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और छोटे विक्रेताओं की जरूरतों को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए।

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