कानूनी पचड़े में फंसी बुलेट ट्रेन

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन (Bullet train) के रास्ते में कई तरह की रुकावटें आ रही है। उद्योग जगत की प्रमुख कंपनी गोदरेज ने राज्य सरकार पर बुलेट ट्रेन के लिए जमीन की डील में अड़ंगा डालने का आरोप लगाया है। बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में गोदरेज ने कहा है कि सरकार विक्रोली में उनकी 10 एकड़ की जमीन के लिए हुई डील में मिलने वाली 572 करोड़ रुपए से दूर रखना चाहती है। गोदरेज के अधिवक्ता नवरोज सीरवाई ने कहा कि हम बुलेट ट्रेन के लिए टनल बनाने को लेकर 10 एकड़ की जमीन देना चाहते हैं, लेकिन राज्य सरकार चाहती है कि डील की अमाउंट को कोर्ट में जमा कराया जाए। यह एक अनुचित डिमांड है. सरकार ने मुंबई से अहमदाबाद के लिए बुलेट ट्रेन की परियोजना बनाई है।

जस्टिस अमजद सैयद व पी. डी. नाइक ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सरकारी अधिवक्ता आशुतोष कुम्भाकोनी को निर्देश दिए हैं कि वे गोदरेज समूह से बात कर इस मुद्दे का हल निकाले। इस मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।

ईस्टर्न एक्सप्रेस- वे के विक्रोली में स्थित 10 एकड़ जमीन गोदरेज ने बुलेट ट्रेन के लिए देने का ऑफर दिया है, उस पर महाराष्ट्र सरकार ने भी अपना दावा पेश करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर साल 1973 से हाई कोर्ट में मामला लंबित है। यह मामला विक्रोली गांव के 3300 एकड़ से जुड़ा हुआ है। गोदरेज समूह की इस जमीन के अधिग्रहण के लिए पिछले साल नोटिस दिया गया था, जिसे कंपनी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद गोदरेज ने 10 एकड़ की दूसरी जमीन ऑफर की, जिस पर बुलेट ट्रेन के निर्माण से जुड़ी जापानी कंपनी ने टनल बनाने पर सहमति दे दी है।

गोदरेज का कहना है 10 एकड़ की जमीन के लिए हम 572 करोड़ रुपए लेने पर सहमत है, लेकिन केस हार जाने पर सरकार इस रकम के साथ ब्याज का शर्त रखना चाहती है। जिस पर हम राजी नहीं है। गोदरेज का कहना है कि यदि राज्य सरकार उनकी शर्तों को नहीं मानती है तो उन्हें जमीन अधिग्रहण की लंबी प्रक्रिया में जाना होगा।

 

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