मनपा तक पहुंची मंदी की आंच

साभार/ मुंबई। रियल एस्टेट (Real Estate) समेत अन्य उद्योगों में छाई मंदी की आंच आखिरकार मनपा तक पहुंच गई। पिछले दो सालों से कमाई को लेकर चिंतित मनपा ने सभी विभागों को तमाम खर्चों में कटौती की सलाह दी है। इससे पहले कमिश्नर रहे अजोय मेहता (Ajoy Mehta) ने भी नए स्त्रोत तलाशने को कहा था। करीब 70,000 करोड़ रुपये बैंकों में डिपॉजिट रखने वाली मनपा के सामने आई इस समस्या ने जानकारों को हैरत में डाल दिया है।

रियल एस्टेट में जारी मंदी की वजह से मनपा (BMC) की कमाई का मुख्य स्त्रोत प्रॉपर्टी टैक्स पर असर हो रहा था। बिल्डरों के अटके प्रॉजेक्ट के चलते राजस्व में पर्याप्त वसूली नहीं हो रही थी। इस साल प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली पिछले साल की समान अवधि से भी कम हुई है। ऑक्ट्राय की वसूली बंद होने के बाद राज्य सरकार द्वारा भले ही पैसों की भरपाई की जा रही है लेकिन 2022 के बाद इसके जारी रहने को लेकर संशय व्यक्त किया जाता है। मनपा की कमाई के इन दो मुख्य स्त्रोत के प्रभावित होने से बीएमसी पर संकट बढ़ता दिख रहा है।

मनपा द्वारा बेस्ट को पटरी पर लाने के लिए भारी मदद की जा रही है। हाल ही में, बीएमसी ने फिक्स डिपॉजिट (एफडी) का पैसा निकालकर बेस्ट को मदद की थी। मनपा प्रशासन के इस उदारता पर कई सवाल भी उठने लगे थे। इससे पहले कमिश्नर मेहता ने बेस्ट को कभी भी अतिरिक्त पैसे नहीं दिए थे।

मनपा कमिश्नर प्रवीण परदेशी ने वैकल्पिक सेवाओं के लिए पीपीपी मॉडल का प्रयोग करने को कहा है। गार्डन इत्यादि की देखरेख भी नागरिक संगठन, नगरसेवक और सीएसआर फंड से कर पैसे बचाने को कहा है। इसके अलावा, अस्पताल, रोड, सीवर, नाला समेत अन्य विभागों में सीधे संबंधित कर्मचारियों की भर्ती की जाए, जैसे डॉक्टर, इंजिनियर इत्यादि।

प्रॉपर्टी टैक्स, पानी बिल के संग्रहण में भी नई तकनीक का प्रयोग किया जाए। साथ ही, टैक्स का संकलन बढ़ाने का भी प्रयास हो। कोर्ट इत्यादि में अटके मसलों का भी हल निकालने की सक्रिय पहल करने को कहा गया है। लटके बिल को वसूलने के लिए अभियान शुरू करने को कहा गया है।

कुछ महीनों पहले मनपा कमिश्नर प्रवीण परदेशी के खर्च करने की दरियादिली की चर्चा लंबे समय से हो रही थी। दबी जुबान से अधिकारी, नगरसेवक भी कमिश्नर के तरीके पर सवाल उठा रहे थे। इससे पूर्व कमिश्नर रहे अजोय मेहता पैसे देने के मामले में खासे अलर्ट रहते थे। बेस्ट की बार-बार मांग के बावजूद उन्होंने केवल परिवहन व्यवस्था सुधारने के लिए ही पैसे देने पर सहमति जताई थी। मनपा के अन्य खर्च को भी मंजूरी देते समय उसमें उनकी संजीदगी के उदाहरण दिए जाते हैं।

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